Monday, 26 December 2011

एक नया रूप धर कर.........2012

                                
                           हर साल की तरह ये साल भी गुज़र गया,                                       कुछ दिल में  सिमट गया तो कुछ टूट कर बिखर गया...
कभी तो लगा की एक पल में साल गुज़र गया....
तो कभी इस साल के इक-इक पल को,
गुजरने में सदिया गुज़र गयी......

यूँ लगा की बहुत कुछ कहना सा बाकी रह गया,
वक़्त बंद मुट्ठी में रेत की तरह गुज़र गया...
पूरा साल गम और खुशी को संजोती और समेटती रही,
जो संजो न पायी वो मेरे शब्दों में बिखर गया...
कभी ठहरा हुआ सा लगा,
तो कभी दौड़ता हुआ ये साल गुज़र गया......

क्या खोया क्या पाया?
इसी कशमकश ये वक़्त.....पूरा साल गुज़रता गया.....
हम क्यों उदास होते है ये सोच कर कि,
जिन्दगी का एक साल बीत गया 
जब कि वक़्त कभी बीतता नही.....
वो तो हममे जीता है एक नया रूप धर कर..........!!!


Wednesday, 14 December 2011

आज ख्वाब लिख रही हूँ मैं...... !!!


तन्हा बैठी आज कुछ लिखने जा रही हूँ...                          
खुली आखों से कुछ सपने बुनने जा रही हूँ.....
सालो पहले कुछ सवाल किये थे खुद से,
उन सवालो के जवाब लिख रही हूँ मैं....
आज ख्वाब लिख रही हूँ मैं...... 

जीवन की आपाधापी से दूर दिन वो बचपन के,
जब आखों में सिर्फ ख्वाब हुआ करते थे 
एक जादू की नगरी थी,परियो की बाते थी,
सच्ची न होकर भी वो बाते सच्ची लगती थी....
दिल में छिपे हैं कही अभी भी,
वो एहसास लिख रही हूँ मैं.....
आज ख्वाब लिख रही हूँ मैं......


भला लगता था पूरी दुनिया को भूल,
खुद में खोये रहना..
उस छोटे से घर को ही सारा संसार समझना...
उन पलो,उन लम्हों में जिन्दगी है गुजरी,
कुछ खास लिख रही हूँ मैं.....
आज ख्वाब लिख रही हूँ मैं.............


Monday, 5 December 2011

रात सपने में तुम आये थे......!!!


रात सपने में तुम आये थे......!                                       
मैं कुछ कह रही थी तुमसे....
तुम सुन रहे थे मुझको,
बाते क्या की थी तुमसे.....
कुछ याद नही...सिर्फ  
मुझे देखती तुम्हारी वो आखें याद रह गयी.....
रात सपने में तुम आये थे......!


मैं चल रही थी तुम्हारे साथ,
गिर रही थी, संभल रही थी तुम्हारे साथ...
वो राहे कौन सी थी...वो सफ़र कौन सा था,
कुछ याद नही....सिर्फ
तुम्हारे हाथो को थाम चल रही थी,
टेड़ी-मेडी वो डगर याद रह गयी......
रात सपने में तुम आये थे.....!


थक कर बैठे थे किसी समंदर के किनारे,
तुम्हारे कंधे पर सर रख कर कुछ सोच रही थी....
क्या सोच रही थी,
कुछ याद नही.....सिर्फ
मुझे अपनी तरफ खींचती वो लहरे याद रह गयी.....
रात सपने में तुम आये थे....... !!!

Saturday, 26 November 2011

कशमकश से गुज़र रही हूँ मैं..... !!!


अज़ब जिन्दगी की कशमकश से गुज़र रही हूँ मैं,
जो हो रहा है वो समय की नियति है,
उसे रोक भी नही सकती....
जिसे पाने की सारी उम्मीदे खत्म हो चुकी है,
फिर भी उसी का इंतज़ार कर रही हूँ मैं.....


सपने सारे टूट चुके है, 
दर्द हद से गुज़र चूका है,
होटों पे मुस्कान लिए,
सब कुछ होते देख रही हूँ मैं.....
फिर भी उम्मीदों और आशाओं का हाथ थामे,
न जाने कहाँ चलती जा रही हूँ मैं,.
अज़ब जिन्दगी की कशमकश से गुज़र रही हूँ मैं......


दिल और दिमाग की जंग में 
जीत हर बार दिल की हो रही है......
हकीकत  को बूरा ख्वाब मान कर,
ख्वाबो में जी रही हूँ मैं.......आजकल, 
अज़ब जिन्दगी की कशमकश से गुज़र रही हूँ मैं..... 



Monday, 14 November 2011

मैं खामोश रहूंगी........!!


इस बार नही कहूँगी.....कि                                        
मैं तुम्हे याद करती हूँ,
इस बार नही कहूँगी......कि 
मैं अपने हर पल, हर लम्हे में 
तुम्हे महसूस करती हूँ,
इस बार खामोश रहूंगी
तुम्हारी ख़ामोशी की तरह........


नही कहूँगी.....कि
मेरा इक दिन भी ढलता नही 
तुमसे बात किये बिना,
नही कहूँगी कि मुझे मंजिल नही मिलेगी,
तुम्हारे साथ के बिना,
इस बार खामोश रहूंगी.....
तुम्हारी ख़ामोशी की तरह......


नही कहूँगी......कि
तुम्हारे बिन बारिश कि बूंदों का 
मुझे एहसास नही होता....
नही कहूँगी......कि
ख़ुशी चाहे कोई भी हो 
लम्हा कोई खास नही होता.....
तुम्हारे साथ के बिना,
इस बार खामोश रहूंगी....
तुम्हारी ख़ामोशी की तरह......


नही कहूँगी.....कि
मेरी आखों में कोई ख्वाब नही 
तुम्हारे ख्वाबो के सिवा,
नही कहूँगी....कि
मेरे जहन में कोई और ख्याल नही
तुम्हारे ख्यालो के सिवा,
नही कहूँगी....कि
मेरी जिन्दगी में कुछ भी नही 
तुम्हारे सिवा.....


इस बार सिर्फ खामोश रहूंगी....
क्यों कि,मैं जान गयी हूँ.....
"ख़ामोशी" ही अब तुमसे मुझको अभिव्यक्त करेगी....
"ख़ामोशी" ही मेरे शब्दों के बोझ से तुमको मुक्त करेगी.... 
इस बार नही कहूँगी..........
मैं खामोश रहूंगी..............!!!

Friday, 11 November 2011

जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाये...

आशीष अवस्थी... :"सागर" नाम तो सुना ही होगा आप  सभी ने.... ब्लॉग की दुनिया में एक तेजी से उभरता हुए सितारे की तरह है... ..... ..उनकी  रचनाये  हिंदी साहित्य की परकष्टा को छूती है.... आज उनके जन्मदिन पर हम सभी की तरफ से उन्हें बहुत-बहुत शुभकामनाये..... !
                      "सागर" को परिभाषित करती "सागर" की ही चंद पंक्तिया.....
       मैं "सागर" हूँ, इस सागर की बस इतनी परिभाषा.... जो बूंद- बूंद में भर जाता, पर बूंद-बूंद को प्यासा....!!


आप सभी सागर जी के उनके ब्लॉग पर अपनी शुभकामनाये और आशीर्वाद देना ना भूले.... ....
 ब्लॉग लिंक....http://ashishawasthisagar.blogspot.com/
इमेल आईडी ....samart.ashish08@gmail.com
मोबाइल नंबर... 9936337691

Wednesday, 2 November 2011

मैं हर वो शब्द ढूढती हूँ......!



मैं हर वो शब्द ढूढती हूँ....
जो तुम्हारे शब्दों के साथ ढल सके......
मैं मिल सकू या न मिल सकू....पर 
मेरे शब्द तो तुम्हारे शब्दों से मिल सके.... 

मैं हर वो शब्द ढूढती हूँ...
जो तुम्हारे एह्सासो मे ढल जाए.....
मेरी  खामोशी को तुम समझ सको या न समझ सको...
तुम्हारी खामोशी को मेरे शब्द मिल जाए...... 

मैं हर वो शब्द ढूढती हूँ.... 
जो तुम्हारा दर्द तुम्हारी उदासी को खुद मे समेट ले.....
मैं साथ हूँ तुम्हारे मैं कह सकू या न कह सकू... 
मेरे शब्द तुमसे मेरी हर बात कह दे....
मैं हर वो शब्द ढूढती हूँ.... !!

Sunday, 23 October 2011

वो दिया मैं खुद बन जाउंगी.....

अब की दिवाली कुछ ऐसे मनाऊंगी
अँधेरा रहे न किसी की जिन्दगी में...
वो दिया मैं खुद बन जाऊंगी,
अब के दिवाली ऐसी मनाऊंगी...

शत-शत नमन करती हूँ उन माता-पिता को,
जिन्होंने हमारी जिन्दगी को रोशन करने के लिए
खुद को  दिए की तरह जलाया है...
उनकी जिन्दगी में अँधेरा न रहे एक पल भी,
वो दिया मैं खुद बन जाऊंगी,
अब के दिवाली ऐसी  मनाऊंगी....                                      

बहुत प्यार देती हूँ उन भाई-बहनों को
जिनकी शरारतो से घर रोशन रहता है हमेशा 
उनकी जिन्दगी खुशियों से रोशन रहे हमेशा 
वो दिया मैं खुद बन जाऊंगी,
अब के दिवाली ऐसी मनाऊंगी.... 

यादे जुडी है उस घर से 
जिसने मुझे सम्हाला,अपना बनाया,
जिसकी दीवारों ने भी मुझसे बाते की है,
उस घर में कभी अँधेरा न हो,
दिया बन रौशनी मैं फैलाऊँगी 
वो दिया मैं खुद बन जाऊंगी,
अब के दिवाली ऐसी मनाऊंगी....

साथ रहे हमेशा उन सखियों का 
जिनके साथ हँसने-रोने के पल बीते है,
जिनसे अपने सपने भी बांटे है मैंने,
इन सखियों के साथ से यूँ ही
जिन्दगी रोशन करती जाऊंगी,
वो दिया मैं खुद बन जाऊंगी...
अब के दिवाली ऐसी मनाऊंगी......

संजो कर रखूंगी हर उस याद,लम्हे,प्यार, 
ख्वाब को,जो जिन्दगी ने मुझे दिए है,
रिश्तो की महक,प्यार का एहसास से,
रोशन रहे मेरे अपनों की जिन्दगी 
रौशनी धूमिल न हो एक पल भी
वो दिया मैं खुद बन जाऊंगी,
अब के दिवाली ऐसी मनाऊंगी......


Tuesday, 18 October 2011

मेरे होने का सबब होता है...... !!


तुम्हारा मेरी जिन्दगी में होना                                       
मुझे शब्दों से जोड़े रखता है...


तुम्हारे ख्वाबो का होना
मेरी बेरंग तस्वीरो में रंग भरता है...


तुम्हारा हर जवाब 
मेरे सवालो का अर्थ होता है....


तुम्हारी धड़कनो का धड़कना
मेरे होने का सबब होता है...... 

Thursday, 6 October 2011

नही बता पाउंगी की साँसे लेती हूँ कैसे...........!

तुम्हारे संग रहती हूँ ऐसे,                                           
दिया संग बाती हो जैसे....

तुमसे प्यार करती हूँ ऐसे,
सागर में बूंद रहती हैं जैसे....

तुम्हारा इंतज़ार करती हूँ ऐसे,
पिया के इंतज़ार में बरसो से
पपीहा पुकारती हो जैसे.....

तुम्हारे हर सफ़र पर साथ चलती हूँ ऐसे,
तुम संग परछाई रहती हो जैसे......

तुम्हे खुद में महसूस करती हूँ ऐसे,
दिल में धड़कने धड़कती है जैसे.....

तुम्हे कैसे बताऊ,
कि प्यार करती हूँ तुम्हे,
कितना और कैसे?
नही बता पाउंगी की साँसे लेती हूँ कैसे...........!

Tuesday, 27 September 2011

जिन्दगी चलने लगी...... !!

जब ठहरी सी लगी जिन्दगी,
तो घबरा कर मैं चलने लगी
जब भी हार कर थम गए कदम,
तो देखा जमी चलने लगी...

नजरो से दूर मंजिल ठहरी सी लग रही थी,
मैं जैसे ही बढ़ी मंजिल की तरफ 
तो देखा मंजिल भी चलने लगी...

मैं भाग रही थी जितनी भी,
अपनी परछाई से 
जा तो रही थी महफ़िल में,
पर देखा मेरे साथ
मेरी तन्हाई भी चलने लगी...

मैं भूलना चाहती थी,
अतीत की यादो को
छोड़ कर जैसे ही
इन यादो को आगे बढ़ी,
पर मुड कर देखा मेरे साथ,
यादे बन कर परछाई चलने लगी...

जब चल रहे थे सभी मेरे साथ,
मैं ठहर जाना चाहती थी
कुछ पल ही गुज़रे
तो देखा मैं ठहरी ही रही 
जिन्दगी चलने लगी.....!


Tuesday, 20 September 2011

फिर खोई सी थी......!!!


छत पर बैठी तन्हा,                                  
खोई-खोई सी थी,
वो कुछ न बोली,
उसकी आखें बोल रही थी,
वो रात भर नही सोयी थी..
एक टक कर रही इंतजार,
किसी अपने का 
वो नही आया टुटा उसका भ्रम,
वो बहुत रोई थी, 
आंसुओ में अपने दर्द को,
बहा दिया था उसने 
फिर गुमसुम बैठी सोच रही थी 
उस पल को जो बीत गया था,
क्या खोया?क्या पाया?
फिर इसमें उलझी,फिर खोई सी थी......

Monday, 12 September 2011

तुम्हारे लिए वो प्यार है.....!!

होगी तुम्हारे लिए यह मेरी लिखी
सिर्फ यह एक कविता,
मेरे लिए तो यह शब्दों में जो समेट कर रखा है
तुम्हारे लिए वो प्यार है.....

जिसका हर शब्द तुम्हे पुकारता है,   
जिसकी हर एक पंक्ति,
तुम्हारे एहसासों की गवाही देती है... 
सिर्फ तुम ही नही देख पाते हो!
वरना सभी को मेरी हर कविता में,
तुम्हारी छवि दिखाई देती है...

होगी तुम्हारे लिए मेरी कविताये
कागज़ में लिखी चंद पंक्तिया...
मेरे लिए यह मेरी धड़कने है,
सिर्फ तुम ही नही सुन पाते हो!
वरना सभी को हर पंक्ति में,
मेरी धडकने सुनाई देती है...

होगी तुम्हारे लिए यह कविता,
मेरी कल्पनाओं,मेरे ख्यालो में
लिखी कुछ पंक्तिया..
मेरे लिए यह भावनाओं,एहसासों से
पिरोयी हर एक पंक्ति है...
सिर्फ तुम ही नही समझ पाते हो इसकी गहरायी!
वरना हर किसी को मेरी हर पंक्ति में
प्यार की सच्चाई दिखाई देती है....

Friday, 2 September 2011

तुम्हारे है.... !!!


कुछ मैंने लिख दिए हैं,
कुछ अधलिखे हैं,
वो सारे गीत तुम्हारे है...

कुछ ख्वाब मैंने देख लिए हैं,
कुछ अनदेखे हैं,
वो सारे सपने तुम्हारे हैं...

कुछ मैंने कह दी हैं,
कुछ अनकही सी हैं,
वो सारी बाते तुम्हारी हैं....

कुछ एहसासों को शब्द दिए है मैंने, 
कुछ एहसास निशब्द रह गए हैं,
वो सारे शब्द तुम्हारे हैं...

कुछ दिन बीत गए हैं तुम्हारी यादो के संग,
कुछ इंतजार के है,
वो सारे पल तुम्हारे हैं....
मेरी हर ख़ुशी तुमसे ही हैं,
मेरा आज,मेरा कल तुम्हारा हैं....!

Wednesday, 24 August 2011

क्या चाहती हूँ मैं?


                                 हर बार मैं कहती हूँ..                               
जो मैं चाहती हूँ,
वो नही होता है.

फिर एक दिन खुद से पूछ बैठी 
आखिर क्या चाहती हूँ मैं?
क्या जो चाहती हूँ मैं,वो होता,
तो क्या सब ऐसा ही होता?

जो हो रहा है क्या मैं,
सच में नही चाहती थी?
एक सवाल के जवाब की तलाश में,
हजारो और सवालो में उलझ गयी मैं!

कितना आसान था ये कहना,
कि जो मैं चाहती हूँ वो नही होता है,
उतना ही मुश्किल था ये बताना,
कि क्या चाहती हूँ मैं?




Saturday, 20 August 2011

कान्हा में खो गयी.....!!!


सुध-बुध खोई बैठी,
                   "राधा"                   
कान्हा के प्यार में...
दूजी ना ऐसी प्रीत हुई 
इस संसार में..
तन,मन,धन से,
वह  कान्हा की हो गयी,
बिसरा के जग की रीति को,
कान्हा में खो गयी! 

Thursday, 11 August 2011

आज़ाद हर इक दिन होगा... !!!


आज़ादी कह देने से या कोई इक दिन
आजादी का जशन मना लेने से
ना ये देश आज़ाद होगा
हम कितने आज़ाद है
इस आजादी के बाद
अब इसका हिसाब होगा.

आजादी को कोई एक दिन, एक शब्द में
न बताना अब पर्याप्त होगा
आज़ाद तो हम तब होगे
जब हर शख्स की आँखों का
पूरा हर एक ख्वाब होगा

दिलाई है आजादी हमको
जिन शहीदों ने
उनके हम ऋणी है
ये कहना न अब पर्याप्त होगा
जाति-पाति,भेदभाव,ऊच-नीच
के बन्धनों से जब हम आज़ाद होगे
तब सफल इनका बलिदान होगा..

करते है आज संकल्प
तन से तो हो गए हम आज़ाद
अब मन को भी करना
आज़ाद होगा...

अगर एक साथ मिलकर
हम खड़े हो जाए
पूरी दुनिया को हमारी शक्ति पर
विश्वास होगा..

दायरा अगर अपनी सोच का
आसमां से भी कर दे ऊँचा 
इक  दिन ही नही आज़ाद
आज़ाद हर इक दिन होगा... !!!

Saturday, 6 August 2011

जिनको ढूंढ़ रही हूँ....!!!


बिखर गयी हूँ ऐसे,                               
फिर से बिखरे टुकड़ों को जोड़ रही हूँ 
खो गयी अपने बचपन में,
अपने बिछड़ी सखियों को ढूंढ़ रही हूँ...


क्या खेलोगी मेरी साथ, 
मैं उनसे पूछ रही हूँ  
वो मुझको मना रही है,
मैं उनसे रूठ रही हूँ..


उस लुका-छिपी के खेल में,
सब सखिया छिप गयी थी कही,
मैं आज भी दुनिया की भीड़ में,
जिनको  ढूंढ़ रही हूँ... 

Friday, 5 August 2011

एक लब्ज़ है "दोस्ती"..!!

एक लब्ज़ है "दोस्ती"                              
अपने अन्दर सारी कायनात समेटे हुए,
इसकी परतो में जिंदगी की अनगिनत,
सच्चाईया लिपटी हुई हैं..
ये जिंदगी के विरानो में,
खिला एक फूल हैं...
जिसकी खुशबू से संसार महकता है....!!!

Monday, 25 July 2011

जो मैने अभी लिखा नही..!!

मैने लिखा है,
बहुत कुछ, जिंदगी,प्यार,मिलना-बिछड़ना ,
सब ही लिख दिया..
फिर भी बहुत कुछ है ऐसा मेरे दिल मेँ,
जो मैने अभी लिखा नही..!!

मैने लिखी है,
समंदर की गहराई,पर्वत की ऊँचाई,
लहरे भी कुछ कहती है...
जो मैने अभी लिखा नही...!

मैने लिखा है,
मौसम की बहार को,सुदंरता और सिंगार को,
पतझङ भी कुछ कहता है.. 
जो मैने अभी लिखा नही ...!

मैने लिखा है,
दिल को अरमानो को,होठो पर बिखरी मुस्कान को,
आँखो की उदासी भी कुछ कहती है..
जो मैने अभी लिखा नही...!

मैने लिखा है,
तेरी मेरी उन बातो को,उन अहसासो और जज़बातो को,
ख़ामोशी भी कुछ कहती थी...
जो मैने अभी लिखा नही!

मैने लिखा है,
कविताओं को,मन के भावो को,
फिर भी लगता है कि बहुत कुछ ऐसा है मेरे दिल मेँ
जो मैने अभी लिखा नही..!!
और शायद मैं कभी लिख भी न  पाउंगी...!!

Saturday, 16 July 2011

क्या तुम मिलोगे मुझे????

मैने सोच तो लिया था,                                      
ये मान भी लिया था,
कि तुम नही मिलोगे मुझे!
फिर भी ना जाने क्यू?
एक उम्मीद सी बँधी है...! 
दिल ने एक जिद सी की है तुम्हे पाने की....?
दिल जान कर भी अंजान होना चाहता है,
मैने तो अपना लिया था इस उदासी,
इस तन्हाई को,
पर मेरा दिल नही मानता किसी सच्चाई को?
मेरे प्यार ने फिर जिद की है तुम्हे मना लाने की.....!!
मै फिर खङी हूँ तुम्हारे सामने एक सवाल लेकर......

क्या तुम मिलोगे मुझे????

Thursday, 14 July 2011

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्‍वरः । गुरु साक्षात्‌ परब्रह्म तस्मै श्रीगुरुवे नमः ॥

जिन्दगी की अँधेरी राहो पर 
आपने ज्ञान का दीप जलाया है 
जब भी हम हार कर निराश हुए है 
आपने हर मुश्किल में हमें जीना सिखाया है..

जब भटके है मंजिल से अपनी 
आप ने ही हमें सही राह दिखाई है 
अगर हम मंजिलो को पाने के लिए 
दिन रात दिये की तरह जले है 
आप ने भी अपने आपको हमारे साथ जलाया है.. 

बहुत-बहुत धन्यवाद आपका 
अपने अनुभवों का असीम ज्ञान दे कर 
हमें इस दुनिया के काबिल बनाया है.....!!

Tuesday, 5 July 2011

तुमसे जिन्दगी भर प्यार कर सकती हूँ मैं ...!!!

तुम एक उम्मीद दो,
मैं तुम्हारा जिन्दगी भर इंतजार कर सकती हूँ 
तुम मेरे साथ हो सिर्फ इतना काफी है 
तुमसे जिन्दगी भर प्यार कर सकती हूँ  मैं..! 

तुम भी मुझसे प्यार करो,इकरार करो
ऐसी शर्त नही रखी मैंने 
तुमसे प्यार करती हूँ 
जिन्दगी भर ये इकरार कर सकती हूँ मैं...

तुम्हारी जिन्दगी में मेरी कमी हो न हो 
पर यकीन करो 
अपने प्यार से तुम्हारी जिन्दगी की 
हर कमी भर सकती हूँ  मैं ..!!!



Friday, 1 July 2011

इक जिद है मेरी ....!!!

इक जिद है मेरी,                         
तुम्हे पाने की..                    
इक जिद है मेरी,
तुम्हे ना भुलाने की..
इक जिद है मेरी,
तुम्हारे साथ मंजिल तक जाने की..
इक जिद है मेरी,
हर पल तुम्हारा साथ देने की...
इक जिद है मेरी,
तुम्हे जीत लेने की..
इक जिद है मेरी,
तुमसे हार जाने की....!!!

Thursday, 30 June 2011

मेरे साथ चल कर देखना .....!!!

कभी जो वक़्त मिले तो
मेरे साथ चल कर देखना 
मेरे साथ इन टेढ़ी मेढ़ी राहो से गुज़र कर 
अपने हाथो में मेरा हाथ थाम कर
कुछ दूर सम्हल कर देखना....!

तुम्हारे ख्वाब,
तुम्हारी ख्वाइशे
मुझमे सब कुछ तुम्हारा ही है
एक बार अपने दिल को
मेरे दिल से बदल कर देखना...!
कभी जो वक़्त मिले तो
मेरे साथ चल कर देखना.......!!!

Wednesday, 29 June 2011

डॉ. किरण मिश्रा जी .... एक पूर्ण व्यक्तित्व...!!

                                                     
  कभी-कभी हम किसी ऐशे शख्स से मिलते है जो हमारे जीवन में एक छाप छोड़ जाते है अपने आप में एक पूर्ण व्यक्तित्व होते  है मैं भी इन्ही दिनों एक ऐसे ही आसाधारण व्यक्तित्व  की धनी सख्सियत से मिली आपका  परिचय डॉ. किरण मिश्रा कानपुर में के के गर्ल्स डिग्री कालेज में प्राचार्य पद पर कार्यरत है..
आपको पहले मैंने आपके ब्लॉग पर पढ़ा था और फिर आपसे मिलने का मौका भी मिला... 

मैं जब आपसे मिलने जा रही थी सामान्यता जो हर कोई सोचता है की डिग्री कालेज में प्राचार्य है तो बहुत सख्त होगी लेकिन मैं गलत थी,आपसे एक मुलाकात ने मेरी जीवन को एक नयी राह,नयी उम्मीद दे गयी..! आपकी शालीनता,सरलता और जिन्दगी में खुश रहने की इतनी सारी वजह किसी को भी प्रभावित कर सकती है..
आपसे मिलकर मुझे लगा की कोई भी पद किसी की पहचान नही बनाता बल्कि उसका व्यक्तित्व उसकी पहचान को पूर्ण करता है मैं जब आपसे  मिली तो बहुत डर रही थी पता नही मैं ठीक से बात कर भी पाउंगी की नही? पर आपसे  मिलने के बाद आपके असाधारण व्यक्तित्व से परिचय हुआ..
आपने  इस तरह जिन्दगी की छोटी छोटी बातो में खुशियों को तलाश करना उनमे जीने की कला को समझाया..आपके अंदर मैंने एक गुरु,एक दोस्त,एक मार्गदर्शक  को देखा... 

आपसे मिलने के बाद जो मैंने महसूस किया उन्हें शब्दों में उतरने की एक छोटी सी कोशिश की है,फिर भी बहुत कुछ था आपके व्यक्तित्व में जिसे कहने के लिए मुझे शब्द नही मिल पाए जो सिर्फ महसूस किये जा सकते  है ..आपका व्यक्तित्व किसी की भी जिन्दगी में एक साकारात्मक सोच को विकसित कर सकता है...
मेरे विचार से आप एक पूर्ण व्यक्तित्व की धनी है आपसे  मिलने के बाद मैं ही नही मेरे जैसी हजारो लडकिया  आपके  जैसा बनाना चाहेंगी.....!!

 ब्लॉग... kirankiduniya.blogspot.com` 

Sunday, 19 June 2011

ये बारिश की बूँदे....!!!

ये ठण्डी हवाये ये बारिश की बूँदे
जरा देखा इन्हे गौर से तो,
इनमे अक्स तुम्हारा दिखने लगा...!

इन हवाओ के साथ, 
तुम्हारे साथ बीती हुई अनछुई यादो का सिलसिला ,
बनके खुशबू मेरी सांसो मे घुलने लगा....!

 इन बूँदो का स्पर्श,
तुम्हारे प्यार का अहसास दिलाने लगी,
इक पल मुझे यूँ लगा कि
ये मौसम,ये फुहार
मुझे तुमसे मिलाने लगी...!


Sunday, 12 June 2011

बस एक आरजू है मेरे दिल की....!!!

कभी तुम्हे देखू तो देखती रहूँ 
कभी तुम्हे सोचूं तो सोचती रहूँ 
बस एक आरजू है मेरे दिल की 
एक शाम हो तुम्हारे साथ 
तुम कहते रहो और मैं सुनती रहूँ.!

तुम्हारे ख्वाब अपनी आँखोँ में बुनती रहूँ 
बस एक आरजू है मेरे दिल की 
तुम चलो जिस राह पर 
तुम्हारे हाथो को थाम 
मैं तुम्हारे साथ चलती रहूँ.!

तुम्हारी मुश्किलो को आसान मैं करती रहूँ 
बस एक आरजू है मेरे दिल की 
तुम्हारे बिना कोई सफ़र तय
मैं न करूँ 
तुमसे शुरु हर आगाज़,हर बात 
तुम पर ही ख़त्म अंजाम करती रहूँ....!!!