Wednesday 11 September 2013

मेरी ख़ामोशी भी जिक्र तुम्हारा करती है.........!!!

बात जब वफ़ाओ की करती हूँ,                                         
तो जिक्र तुम्हारा होता है...... 
बात जब एहसासों की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है.......
बात जब यादो की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......

बात ख्वाबो की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है...... 
बात जब सवालो की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है...... 
बात जब जवाबो की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......
  
बात जब शब्दों की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......  
बात जब अर्थो की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है...... 

बात जब शाम की ढलने की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......  
बात रातो के अंधेरो की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......  
बात जब सूरज निकलने की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......
  
बात जब हवाओं के रुख की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......  
बात जब बादल के गरजने की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......  
बात जब सावन की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......  
बात जब सखियों से साजन की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......  

बात तन्हाई की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है...... 
कोई बात करू न करू......
मेरी ख़ामोशी भी जिक्र तुम्हारा करती है.........!!!

Tuesday 3 September 2013

तुम्हारी तस्वीर उतरने की कोशिश की है मैंने......!!!

                                  

एक बार फिर इन्द्रधनुष के रंगों को लिया है मैंने,
ख्यालो को ब्रश बना लिया है मैंने 
जिन्दगी के कैनवास पर,
तुम्हारी तस्वीर उतरने की कोशिश की है मैंने..... 

खाली पड़े कैनवास पर,
कुछ यूँ आड़ी-तिरछी लकीरे खींच दी मैंने....
जिन्दगी की ठोकरों से फिर से,
सम्हलने की कला सीख ली हैं मैंने...... 
इस बेरंग जिन्दगी में तुम्हारे अक्स के साथ,
कुछ रंग भरने की कोशिश की है मैंने........
एक बार फिर........
जिन्दगी के कैनवास पर,
तुम्हारी तस्वीर उतरने की कोशिश की है मैंने..........!!!