Saturday 25 October 2014

इक ऐसा राज बताती हूँ.......!!!

चलो आज मैं तुम्हे...                                 
इक बात बताती हूँ....
जो तुम कभी जान नही पाये...
इक ऐसा राज बताती हूँ.......
तुम्हे मैं जैसी पसंद हूँ....
वैसी तो मैं हूँ ही नही....

तुम्हे पता है...
तुम्हारे साथ को मैंने ऐसा जीया..
खुद में तुमको जीने लगी.....
तुम्हे एहसास भी नही होने दिया...
और कब तुम्हारी पसंद मेरी हो गयी...
तुम्हे पता है...?
मुझे काफ़ी बिल्कुल भी नही पसंद थी...
पर तुम्हे जानना था समझना था..
कुछ लम्हे गुजारने थे तुम्हारे साथ...
ना जाने कब तुम्हे समझते-समझते....
मेरी जुबा को काफी का स्वाद भा गया....

चलो आज मैं तुम्हे इक बात बताती हूँ....
जो तुम कभी जान नही पाये...
इक ऐसा राज बताती हूँ.......
तुम्हे मैं जैसी पसंद हूँ वैसी तो मैं हूँ ही नही....

तुमको जो मैं फुलझड़ी सी लगती हूँ...
हमेशा हँसती खिलखिलाती सी दिखती हूँ....
मैं ऐसी बिल्कुल नही हूँ....
मेरे एहसासों की गहराइयों से,
मेरी उदास गहराई तन्हाई से...
तुम अपरचित ही रहे...
तुम्हारे चेहेरे पर मुस्कराहट,
देखने की मेरी जिद ने..
तुम्हारे साथ ने....
मुझे मेरे बचपन से मिला दिया...

तुमसे तुम्हारी जैसी दिखते=दिखते....
मेरी खुद से मुलाकात हो गयी...
खुद को कही खुद में छिपा दिया था....मैंने
मुझे जो तुम मिले....
यूँ लगा कि हाथ पकड़ कर......
मुझे खुद से मिला दिया तुमने...

चलो आज मैं तुम्हे इक बात बताती हूँ....
जो तुम कभी जान नही पाये...
इक ऐसा राज बताती हूँ.......
तुम्हे मैं जैसी पसंद हूँ वैसी तो मैं हूँ ही नही....!!!

Monday 20 October 2014

कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! भाग-11

88.
बहुत ढूंढने पर भी खुशी अब नही मिलती...
मेलो की दुकानों में....ढूंढा बहुत है... 
मैंने बच्चो के खिलौनो मे...बड़ो के सामानों में.
 89.
कभी-कभी बाते कर लेने से...बाते सुलझ जाती है.… 
90.
मेरे साथ बीते उन खुबसूरत लम्हों को... 
जो तुमने इबादत का नाम दिया है...
मैंने तुम्हारे सजदे में सर झुका दिया है..
91.
कुछ नही है आज....
लिखने को मेरे पास....
तुम कुछ कहो....तो वही लिख दूँ मैं..
92.
कोई मुझे लिखते हुए देखना चाहता है...
कोई मुझे देखते हुए... 
लिखना चाहता है....
किसकी शिद्दत पर...
मैं एतबार करू... 
बहुत उलझन में हूँ....किसे प्यार करू..
93.
फिर कोई खुबसूरत सी बात हो जाये....
मैं तुम्हे याद करू...और बरसात हो जाये..
 94.
मेरा नाम 'आहुति' जब-जब लिया जायेगा....
यक़ीनन तुम्हे भी याद किया जायेगा....
95.
चाहती हूँ मैं कि अपनी हर नज़म.. 
हर पंक्ति तुम्हारे नाम लिख दूँ...
चाहती तो मैं ये भी हूँ कि जब जिक्र प्यार का हो तो....
प्यार मिटा कर तुम्हारा नाम लिख दूँ...
96.
हमे हर रोज इन हवाओं में भी...
तुम्हारी खुसबू का एहसास मिला है....
और तुम कहते हो....
कि हमे मिले हुए अरसा गुजर गया है....
            

कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! भाग-10

78.
तुम्हारे हाथों को अपने हाथो में लेकर,
यूँ ही सफ़र तय करना अभी बाकी है...
तुम्हारे सीने पर सर रख कर..
धड़कने सुनना अभी बाकी है....
धडकनों को भी खबर ना हो..
मेरे लबो को तुम्हारे लबो..
कुछ कहना अभी बाकी है...
79.
मेरे धडकनों को जैसे छू कर गया है कोई अभी-अभी...
मुझे भी हिचकियाँ आ रही है...
किसी के लबो ने मेरा नाम लिया है अभी-अभी...
80.
अपना धड़कता दिल तुम्हारे सीने में छोड़ आयी हूँ...
तुम्हारे होटों पर निशानी..
अपनी मुस्कराहटो की छोड़ आयी हूँ...
सभी पढ़ लेंगे अब तुम्हारी आखों में...
कहानी अपनी उनमे छोड़ आयी हूँ....
81.
बारिश की हल्की-हल्की बुँदे...
मुझे तुम्हारे स्पर्श का एहसास दिलाती है....
कभी मेरे पलकों पर ठहरती है...
कभी मेरे होटों पर मुस्कराती है...
82.
कभी-कभी किसी को जीतने के लिये..
खुद को हारना पड़ता है...
 83.
मैं तो हर दिन तुम्हारे लिये करवाचौथ रहती आई हूँ...
सुना है उम्र बढती है...
इसके व्रत रखने से...
मैं तो हर पल अपनी साँसों को..
तुम्हारी सांसो से जोडती आयी हूँ...
अब भी क्या कोई रस्म अदा करनी पड़ेगी..........!
    84.
दिल की बाते है... 
तुमको समझाए कैसे....
बाते कुछ कही नही जाती....
प्यार की हद है कि..तुमको बताये कैसे...
85.
जब कभी जो कही मैं डर जाऊं...
या हार के टूटने लगूं..
तुम मेरा हाथ अपने हाथो में मजबूती से पकड़ कर रखना...
यक़ीनन मैं टूट भी गयी तो..कभी बिखारुंगी नही....     
86.
बेफिक्र तेरा हाथ पकड़ कर चली आयी हूँ मैं...
मेरा तो अब मुझमे रहा नही कुछ...
ख्वाब भी तुम्हारे अपनी आखों में भर लायी हूँ मैं..
 87.
फिर एक सफ़र...न कुछ पाने की उम्मीद...
ना कुछ खोने का डर...सिर्फ इक कोशिश का सफ़र