इन रंगों से थोड़े रंग
खुशियों के लेकर,
सबके जीवन में घोलूँगी मैं.....
इस बार होली कुछ ऐसे ही खेलूंगी मैं.....
भूल से दुःख दिया हो जो किसी को,
अपनी हर भूल की माफ़ी मांग लूँगी मैं....
रिश्तो में रंग ऐसे घोलूँगी मैं,
हर रिश्ते को एक धागे में बांध लूँगी मैं,
इस बार होली कुछ ऐसे ही खेलूंगी मैं.....
जो छूट गये हैं उनको भी साथ ले लूँगी मैं,
जो रूठ गये हैं उनको भी मना लूँगी मैं....
हर रंग को अपने रंग में मिला लूँगी मैं,
इस बार होली ऐसे ही खेलूंगी मैं.....
पल-पल जाते इन पलो से कुछ पल,
अपनी मुट्ठी में समेट लूँगी मैं...
नहीं भूलूंगी ये होली,
इन पलों में जी भर जी लूँगी मैं....
इस बार होली ऐसे ही खेलूंगी मैं.....