Friday 24 February 2012

देर तक देखती रही...दूर तक देखती रही.....!!!

यूँ ही इक दिन खिड़की से जाने किसे जाते,
देर तक देखती रही....दूर तक देखती रही......


ख्यालो में खोई थी या,
खुद के अन्दर उठे सवालों में उलझी थी
मन आवाज़ दे रहा था,
पर मौन खड़ी अपलक खिड़की से उसे जाते,
देर तक देखती रही....दूर तक देखती रही.....

मेरे अन्दर से कुछ जा रहा था,
शायद मुझे छोड़ कर
रूठ गयी थी मैं खुद से...
मैं रोक लेना चाहती थी,
मना लेना चाहती थी खुद को,
जाने किस कशमकश में खड़ी उसे जाते,
देर तक देखती रही....दूर तक देखती रही.....

कुछ सवाल थे उसके,
जिनके जवाब मैं नही दे पायी थी
मैं क्यों रोकना चाहती हूँ उसको 
मैं नही कह पायी थी...
मेरी हर कोशिश नाकाम हो गयी......!!!
यूँ ही इक दिन खिड़की से उसे जाते
देर तक देखती रही....दूर तक देखती रही.....

Saturday 18 February 2012

खुश थी जब मैं कुछ नही समझती थी......!!!

जब  मैं  नही  समझती थी,                                      
जिंदगी के मायने तब ही अच्छी  थी
ख्वाबो में जिया करती थी,
ख्यालो में खुश रहा करती थी...

खुश थी कुछ न जान कर,
अंजान थी जिंदगी की हकीकत से,
तब ही अच्छी थी ....
ख्यालो में खुश रहा करती थी...

तब न राहो की,न मंजिलो की कमी थी,
जिंदगी का हाथ पकड़ कर
ख्वाबो में चला करती थी...
ख्यालो में खुश रहा करती थी... 

आज जब जिंदगी ने मेरा हाथ पकड़ कर,
हकीकत से मिलाया है
मैंने हर सच्चाई को झूठा पाया  है ....
जब मैं अंजान थी,
इस हकीकत से तब ही अच्छी थी
ख्यालो में खुश रहा करती थी.....

तब न किसी से उम्मीदे थी,
न कुछ खोने का डर था
खुद में सिमटी,खुद में खोई थी...
अकेली थी पर इतनी न अकेली थी ..

आज पूछती हूँ मैं खुद से कि,
 मैं ऐसी तो नही थी....
खुश थी जब मैं कुछ नही समझती थी......
ख्यालो में खुश रहा करती थी.....

Monday 13 February 2012

शायद ऐसा ही प्यार होता है....... !!!


मुझे नही पता की प्यार क्या होता है
प्यार को समझने के लिए कोई
 बहुत-बहुत बड़े-बड़े ग्रन्थ नही पढ़े मैंने 
प्यार को व्यक्त करने के लिए कोई
 बड़े-बड़े शब्द भी नही मिले मुझे
मुझे तो सिर्फ इतना पता है...
किसी का ख्याल चुपके से होटों पे मुस्कान ला देता है
कोई हवा का झोका छू कर गुजरता है
तो किसी के होने का एहसास दिला देता है
जिसके लिए सिर्फ हम दिल से सोचते है
 शायद ऐसा ही प्यार होता है.. !!!

Sunday 5 February 2012

इतिहास भी रच सकती हूँ मैं......!!!


रंग तितलियों में भर सकती हूँ मैं......                               
फूलो से खुशबू भी चुरा सकती हूँ मैं......
यूँ ही कुछ लिखते-लिखते 
इतिहास भी रच सकती हूँ मैं......

चाह लूँ तो उस आसमां को भी
छू सकती हूँ मैं.....
देख लेना कभी आसमां पर,
बिना पंखो के बादलो  के संग भी 
उड़ सकती हूँ मैं.....

दोस्त बन जाऊं जो किसी की.....
उसे हर मुश्किल से
जीतना सिखा सकती हूँ मैं.....
हमसफ़र बन जाऊं जो किसी की,
उसकी हर राह मंजिल बना सकती हूँ मैं.....
नज़र भर कर देख लूँ जिसको,
उसे अपना बना सकती हूँ मैं.....

जज्बा तो वो रखती हूँ,                                                         
की पार पर्वत भी कर सकती हूँ मैं....
कभी देखना सागर की गहराइयो में,
लहरों के साथ गहराइयो को भी
छू सकती हूँ मैं....

मेरे प्यार,मेरे समर्पर्ण को,
मेरी कमजोरी न समझना 
मिट सकती हूँ किसी पर
तो मिटा भी सकती हूँ मैं....
खुद पर आ जाऊं तो
इस दिल को पत्थर भी बना सकती हूँ मैं...... 

जीत सको तो प्यार से जीत लेना मुझे,
प्यार में सब कुछ हार सकती हूँ मैं.....
कमजोर नही हूँ,मजबूर भी नही हूँ,
जिद पर आ जाऊं तो 
दुनिया भी बदल सकती हूँ मैं..... 

यूँ ही कुछ लिखते-लिखते 
इतिहास भी रच सकती हूँ मैं......