Wednesday 17 October 2012

कोई रिश्ता है हमारा......... !!!


इस रिश्ते को क्या नाम दूँ..?                                  
सिर्फ महसूस होता है....
कि हमारा कोई रिश्ता है.....

नज़र नही आता किसी को,
दिखाई देता भी नही है...
सिर्फ हवा के झोकों के साथ,
साँसों को महसूस होता है...
कि हमारा कोई रिश्ता है..

पन्नो पे लिखा जा सकता नही,
शब्दों में बांधा जा सकता नही..
निशब्द सा कोई रिश्ता है हमारा......

ख्वाबों में भी सजाया जा सकता नही,
ख्यालों में भी लाया जा सकता नही...
धडकनों के साथ महसूस होता है...
कि हमारा कोई रिश्ता है....

सवाल कोई करता नही,
ज़वाब भी कोई चाहता नही....
निरूत्तर सा है कोई रिश्ता है हमारा....

आगाज़ कोई करता नही,
अंजाम भी कोई चाहता नही,
अनंत सा है कोई रिश्ता है हमारा.....

ना कुछ कहना चाहता है किसी से,
ना ही कुछ सुनना चाहता है किसी से....
ख़ामोशी को बयां करता कोई रिश्ता है हमारा...........

ना किसी सफ़र की चाह है इसको,
ना किसी मंजिल की तलाश है इसको...
मेरी परछाई के साथ-साथ चलता....
कोई रिश्ता है हमारा.........




Saturday 6 October 2012

ऐसा कोई जिक्र नही करना चाहती हूँ......!!!

अपनी पुरानी डायरी में तुम्हे संजोना चाहती हूँ.....                           
चंद खुबसूरत लब्जों में तुम्हे पिरोना चाहती हूँ.....

 कुछ पंक्तियों में जिक्र तुम्हारी बातो का करना चाहती हूँ....
जिक्र तुम्हारे साथ सुबह और शामो का करना चाहती हूँ....

कुछ पंक्तियों में जिक्र मेरे रूठने तुम्हारे मनाने का करना चाहती हूँ.....
जिक्र उन खुबसूरत लम्हों का करना चाहती हूँ......
जिनमे तुमने साथ चलते-चलते....
यूँ ही अचानक मेरे हाथो को थाम लिया था.....

जिक्र उस लम्हे का करना  चाहती हूँ,
जब बिना बात के तुमने मेरा नाम लिया था......
मैं जिक्र तुम्हारी हँसी का...
बहुत कुछ कहती तुम्हारी ख़ामोशी का करना चाहती हूँ.....

मैं अपनी डायरी में तुम्हारी हर बात  करना चाहती हूँ....
तुम मुझे छोड़ कर जाओगे,
ऐसा कोई जिक्र नही करना चाहती हूँ...
तुम्हारे साथ हर सफ़र तय करना चाहती हूँ....
तन्हा मंजिल तक पहुची  हूँ....ऐसा कोई जिक्र नही करना चाहती हूँ......