जब मैं माँ बनूँगी,...
इक दुनिया का खूबसूरत एहसास,
जिसे शब्दो में बयां नही किया जा सकता है,
मैं चाहती हूँ तुम हर पल मेरे साथ रहना,
इस एहसास को मेरे साथ जीना,
तुम्हे ही हर पल देखना चाहती हूँ,
जिससे तुम्हारी ही छवि मुझमें आये,
अपनी उँगलियों से तुम्हारे होठो की,
मुस्कान की नाप ले लूँ,
कि जब तुम्हे देख कर वो मुस्कराये तो,
वो मुस्कान तुम्हे तुम्हारी लगे,
तुम्हारी आँखों में चाँद,तारे...
अपनी आँखों में भर लूँ,कि
जब तुम उसकी आँखों में,
देखो तो खुद को पाओगे,
तुम्हारी उँगलियों के निशाँ,
अपनी उँगलियों में ले लूँ,
कि तुम उसके उँगलियों को थामो,
वो एहसास तुम्हारा लगे...
मैं चाहती हूँ कि मैं नादानियाँ करूँ और,
तुम मुझ पर गुस्सा करो,
और मुस्करा कर मना भी लो,
मैं बताना चाहती हूँ उसको कि,
उसके पिता कितना प्यार करते है उसे...
मुझे पता तुम जताते नही हो,
पर उसकी हर सांस के साथ,
तुम्हारी सांसे चलती है...
मैं जानती हूँ उसके आने पहले ही,
तुमने लाखों सपने सजा लिए है,
उसके लिए तुमने इक,
नयी दुनिया बना ली है...
लोग कहते है कि इक माँ होने एहसास,
सिर्फ स्त्री ही महसूस करती है,
पर मैं कहती हूँ कि...
मुझे माँ कहने वाला तो,
नौ महीने बाद आये हो,
पर तुम मेरे लिए माँ पहले ही बन गए थे....!!!
Thursday 13 July 2017
जब मैं माँ बनूँगी,...!!!
Wednesday 5 July 2017
निशान रह गए थे...!!!
उस रात मेरी हथेली पर,
तुम अपनी उँगलियों से जाने क्या ढूंढ रहे थे,
शायद कुछ लिख रहे थे...
शायद अपना नाम लिख कर मिटा दिया था,
या मेरा नाम लिख कर मिटा रहे थे..
तुम्हे लगा मैं सो गई हूँ,
पर सच कहूं...
मैं तो उस एहसास में गुम थी,
जब तुम मेरी हथेली पर,
उंगलिया अपनी गोल-गोल घुमा रहे थे....
मैं समझ तो नही पायी थी कि,
उस रात तुमने क्या लिखा था मेरी हथेली पर..
तुमने मिटा तो दिया था,
पर निशान रह गए थे,
तुम्हारी उँगलियों के मेरी हथेली पर...!!!
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