Wednesday 9 March 2022

बाते...

पहले मैं अपने दिल की हर बात तुमसे कहती  थी...
जो कोई नही सुनता था वो हर बकवास तुमसे कहती थी...बेपरवाह, झल्ली सी थी...बेवजह ही ना जाने कितनी बाते करती थी...जब से तुमने सुनना छोड़ दिया है...अब शांत हो गयी हूँ... तब से जो तुम सुनना चाहते हो...बस वही बाते तुमसे होती है....पहले वक़्त कब तुम संग गुजर जाता था..पता ही नही चलता था...अब वक्त बहुत तन्हा मिलता है..खुद से बाते करने का....लोग तो ये भी कहने लगे है.. पागल है.. ना जाने क्या यूँ ही बड़बड़ाती रहती है.. उन्हें नही पता.. बाते कितनी और कैसी करनी है तुमसे अब..बस ये ही....खुद को समझाती रहती हूं....#आहुति#