Saturday 26 November 2011

कशमकश से गुज़र रही हूँ मैं..... !!!


अज़ब जिन्दगी की कशमकश से गुज़र रही हूँ मैं,
जो हो रहा है वो समय की नियति है,
उसे रोक भी नही सकती....
जिसे पाने की सारी उम्मीदे खत्म हो चुकी है,
फिर भी उसी का इंतज़ार कर रही हूँ मैं.....


सपने सारे टूट चुके है, 
दर्द हद से गुज़र चूका है,
होटों पे मुस्कान लिए,
सब कुछ होते देख रही हूँ मैं.....
फिर भी उम्मीदों और आशाओं का हाथ थामे,
न जाने कहाँ चलती जा रही हूँ मैं,.
अज़ब जिन्दगी की कशमकश से गुज़र रही हूँ मैं......


दिल और दिमाग की जंग में 
जीत हर बार दिल की हो रही है......
हकीकत  को बूरा ख्वाब मान कर,
ख्वाबो में जी रही हूँ मैं.......आजकल, 
अज़ब जिन्दगी की कशमकश से गुज़र रही हूँ मैं..... 



Monday 14 November 2011

मैं खामोश रहूंगी........!!


इस बार नही कहूँगी.....कि                                        
मैं तुम्हे याद करती हूँ,
इस बार नही कहूँगी......कि 
मैं अपने हर पल, हर लम्हे में 
तुम्हे महसूस करती हूँ,
इस बार खामोश रहूंगी
तुम्हारी ख़ामोशी की तरह........


नही कहूँगी.....कि
मेरा इक दिन भी ढलता नही 
तुमसे बात किये बिना,
नही कहूँगी कि मुझे मंजिल नही मिलेगी,
तुम्हारे साथ के बिना,
इस बार खामोश रहूंगी.....
तुम्हारी ख़ामोशी की तरह......


नही कहूँगी......कि
तुम्हारे बिन बारिश कि बूंदों का 
मुझे एहसास नही होता....
नही कहूँगी......कि
ख़ुशी चाहे कोई भी हो 
लम्हा कोई खास नही होता.....
तुम्हारे साथ के बिना,
इस बार खामोश रहूंगी....
तुम्हारी ख़ामोशी की तरह......


नही कहूँगी.....कि
मेरी आखों में कोई ख्वाब नही 
तुम्हारे ख्वाबो के सिवा,
नही कहूँगी....कि
मेरे जहन में कोई और ख्याल नही
तुम्हारे ख्यालो के सिवा,
नही कहूँगी....कि
मेरी जिन्दगी में कुछ भी नही 
तुम्हारे सिवा.....


इस बार सिर्फ खामोश रहूंगी....
क्यों कि,मैं जान गयी हूँ.....
"ख़ामोशी" ही अब तुमसे मुझको अभिव्यक्त करेगी....
"ख़ामोशी" ही मेरे शब्दों के बोझ से तुमको मुक्त करेगी.... 
इस बार नही कहूँगी..........
मैं खामोश रहूंगी..............!!!

Friday 11 November 2011

जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाये...

आशीष अवस्थी... :"सागर" नाम तो सुना ही होगा आप  सभी ने.... ब्लॉग की दुनिया में एक तेजी से उभरता हुए सितारे की तरह है... ..... ..उनकी  रचनाये  हिंदी साहित्य की परकष्टा को छूती है.... आज उनके जन्मदिन पर हम सभी की तरफ से उन्हें बहुत-बहुत शुभकामनाये..... !
                      "सागर" को परिभाषित करती "सागर" की ही चंद पंक्तिया.....
       मैं "सागर" हूँ, इस सागर की बस इतनी परिभाषा.... जो बूंद- बूंद में भर जाता, पर बूंद-बूंद को प्यासा....!!


आप सभी सागर जी के उनके ब्लॉग पर अपनी शुभकामनाये और आशीर्वाद देना ना भूले.... ....
 ब्लॉग लिंक....http://ashishawasthisagar.blogspot.com/
इमेल आईडी ....samart.ashish08@gmail.com
मोबाइल नंबर... 9936337691

Wednesday 2 November 2011

मैं हर वो शब्द ढूढती हूँ......!



मैं हर वो शब्द ढूढती हूँ....
जो तुम्हारे शब्दों के साथ ढल सके......
मैं मिल सकू या न मिल सकू....पर 
मेरे शब्द तो तुम्हारे शब्दों से मिल सके.... 

मैं हर वो शब्द ढूढती हूँ...
जो तुम्हारे एह्सासो मे ढल जाए.....
मेरी  खामोशी को तुम समझ सको या न समझ सको...
तुम्हारी खामोशी को मेरे शब्द मिल जाए...... 

मैं हर वो शब्द ढूढती हूँ.... 
जो तुम्हारा दर्द तुम्हारी उदासी को खुद मे समेट ले.....
मैं साथ हूँ तुम्हारे मैं कह सकू या न कह सकू... 
मेरे शब्द तुमसे मेरी हर बात कह दे....
मैं हर वो शब्द ढूढती हूँ.... !!