Friday 30 September 2016

अनकही.... आधी-अधूरी!!!

आज सुबह कुछ नयी सी लगी,या यूँ कहूँ की वही कुछ दिल में छिपे एहसासों को लिये,नई सी लगी..मन में इक अनजानी सी ख़ुशी,जैसे मन की ख्वाब में परियों से मुलाकात हुई हो,वही ख़ुशी जब तुमसे पहली बार मिली थी,वही गुदगुदी सी जब तुमने पहली बार मेरे हाथों को अपने हाथों में लिया था...जब से जगी हूँ बस इन्तजार में हूँ कि कि तुम किसी बहाने से मेरी तरफ देखो,और मेरी आँखों में वही चमक देख कर बोलोगे..कि क्या आज कुछ खास है...पर तुम्हारा रोज़ का वही रूटीन,जल्दी-जल्दी वाला,वही कप में आधी चाय छोड़ देना,न्यूज़पेपर यूँ ही आधा पढ़ कर,बिखरा छोड़ देना..यूँ ही आधी-अधूरी बात करके,शाम को लौट आऊँगा, तब बात करूँगा..वो शाम फिर कभी नही आयी, और तुम्हारा बातो को अधूरा छोड़ देना....ऐसा नही कि तुमने देखा नही मेरी तरफ,मेरी ही आँखे तुम्हे बांध नही पायी..तुम्हारे इस आधी-आधी बातो ने मुझे भी अंदर से अधूरा कर दिया है...जब तुमने देखा मेरी आँखों को,वो भी आधी-अधूरी ही अनकही कह रही थी....

Thursday 29 September 2016

मेरे तुम्हारे प्रेम को...!!!

सुनो मुरली मनोहर....
कही दूर चले जाते है.....
नही समझेगा ये समाज,
मेरे तुम्हारे प्रेम को...
इसने हमेशा ही प्रेम पर,
सवाल किये है,
उँगलियाँ उठायी है..
नही समझ सकता,
ये समाज प्रेम की,
निश्छलता को....
सुनो कृष्ण मुरारी..
तुमने तो हमेशा ही,
इस समाज को..
प्रेम का पाठ पढ़ाया...
फिर भी इसने प्रेम को,
इक दायरे में बांध कर,
समझते है..
इतना ही नही....
ये समाज हमें क्या समझेगा,
ये तो मीरा की भक्ति पर,
भी सवाल करते है....

Wednesday 28 September 2016

मेरा तुम्हारा हो गया....!!!

हम तुम जब मिले,
सब ख्वाब हमारे थे,
सब रंग हमारे थे...
सभी तस्वीर हमारी थी,
सभी ख्वाइशें हमारी थी,
राहे हमारी थी...
और मंजिले भी हमारी थी...
हम साथ थे,ये दुनिया हमारी थी....
पर अब जब तुम चले गये हो,
तो कहते हो....
मेरे भी कुछ ख्वाब है,
मेरी भी कुछ ख्वाइशें है,
मेरी भी अपनी मंजिले है..
ना जाने क्यों...
मेरी तस्वीरे,तुम्हारी तस्वीरो से...
मेल नही खाती,
क्यों राहे जो हमारी थी कभी,
अब तुम्हारी मंजिलो तक नही जाती...
मैं अपनी मुठ्ठी में सब कुछ,
हमारा ले कर बैठी थी,
तुम्हारे इन्तजार में..
ना जाने कब सब,
रेत की तरह फिसल गया...
अब हमारा...हमारा ना रहा...
मेरा तुम्हारा हो गया....!!!

Tuesday 27 September 2016

कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! भाग-29

261.
तुम्हारे ही ख्वाब मेरी आँखों में बसते है...तुम्हारी ही बाते मेरे होंठो पर हँसती है..

262.
जब भी मुझे तुम्हारी याद आती है.....
मुझे और भी यकीन हो जाता है...
कि तुमने मुझे याद किया है.....

263.
तुम्हारा होना ऐसा होता है......
जैसे शामिल करे कोई,
मेरे होने में तुम्हारा होना.......

264.
तुम्हारी याद में गुलाल आज भी,
अपने हाथों से गालो पर लगा लेती हूँ....चेहरे की उदासी को तुम्हारे नाम के,रंगो में छुपा लेती हूँ...

265.
इस बार होली में,
मुझ पर रंग सभी तुम्हारे नाम के होंगे....

266.
रंग तुम्हारी पसंद के सभी लगा लिये मैंने,इस उम्मीद में ना जाने किस,
रंग में तुम्हे पसंद आऊं मैं....

267.
वो मेरे इतने करीब से हो कर गुजरा है...उसके जाने के बाद भी...
मेरे आस-पास..इक अरसे तक,
उसका एहसास बिखरा रहा....

268.
कुछ ख्वाब अधूरे थे...कुछ बाते पूरी थी...तुम्हारे साथ प्यार तो पूरा था...तुम्हारे बिन जिन्दगी अधूरी थी..

269.
कोई सफ़र तुम्हारे बैगेर अब मुमकिन नही...ये और बात है कि,
किसी सफ़र पर तुम मेरे साथ नही..

कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! भाग-28

251.
तुम नजरो से कह देती,मैं नजरो से सुन लेता...
तुम ख्वाबो में जो आ जाती, तो मैं भी अपनी आँखों में कुछ सपने बुन लेता...
252.
कभी तुम्हारी नजरे हमसे सब कुछ कह देती थी,
आज तुम्हारी बाते भी मेरी समझ में नही आती..
कभी पहरों इन्तजार करती थी,
आँखे,आज तुम्हे देखना भी नही चाहती...
253.
वो आँखों-आँखों में बातो को कह जाना,
वो बातो-बातो में उंगलियों का टकरा जाना...
पहले से ही सब तय होता है...
यूँ ही नही होता बार-बार,
इत्तफाकन मिल जाना....
254.
हमारी जिंदगी हम पर ही बोझ तब हो जाती है,
जब हम किसी इक शख्स को अपनी जिंदगी मान लेते है...
और उस शख्स के लिए हम...
महज उसकी जिंदगी का हिस्सा होते है....
255.
जब तुम प्यार को समझना तो, मुझे भी बता देना,....
 जब कभी बेपरवाह, बेफिक्री से चाहना जीना,
 मुझे हमसफ़र अपना बना लेना....
256.
कुछ इस तरह से तुम्हे बताना चाहती हूँ मैं ..
कि हर बार से कुछ अलग लगे...
कुछ और शब्दों को खोज लूँ....
फिर कहूँगी तुमसे..
 तुम्हे अपना हमसफ़र बनाना चाहती हूँ....मैं..
257.
सवालो में उलझ कर रह गयी है जिन्दगी.....
 जवाब तो कोई मिलता नही...
सवालो के साथ ही,
आज कल मिलता है हर कोई.......
258.
आज इक इतफ़ाक एक साथ हुआ...
बरसो बाद आज वो मिला था,
बरसो बाद ही आज बरसी थी बारिश...
259.
तुम्हारी ख़ामोशी को ही,
मैं आज तक लिखती रही...
तुम कुछ कह देते तो जाने क्या होता...
260.
बेख़ुदी,बेचैनी,उलझन है...
रा मन... तुम हो तो सब कुछ है..
तुम नही तो क्या है जीवन........

Monday 12 September 2016

प्यार में कोई शर्त नही होती....!!!

क्या तुम नही जानते कि,
प्यार में कोई शर्त नही होती....
पर तुमने हर मोड़ पर शर्त रखी,
कि जैसे ये रिश्ता सिर्फ मेरा हो..
तुमने हर लम्हा...
मुझे ये एहसास कराया...
जैसे मुझे इस रिश्ते कि,
तुम्हारी जरुरत है..
हर शर्त रखी की ये मान लूँ,
ऐसे रह सकू जो तुम्हारे साथ..
तो तुम हो मेरे साथ.....
नही तो हमारे रास्ते अलग है....
कितना आसान था ना तुम्हारे लिये,
रास्तो को बदलना,
कितना आसान था ना तुम्हारे लिये,
शर्तो पर रिश्तो को रखना...
मैं मान भी लेती तुम्हारी हर शर्त,
गर तुम्हे मेरी जरुरत होती...
मुझे भ्र्म था कि....
हमे इक-इक दूसरे की जरुरत है..
तुम्हारी शर्तो ने...
वो भ्र्म भी तोड़ दिया,
तुमने भावनाओ का रिश्ता,
जाने कब शर्तो से जोड़ दिया...

Sunday 11 September 2016

उन आँखों की अनकही....!!!

अपनी खूबसूरती तो...
मैंने तुम्हारी आँखों में देखी थी....
जो अपलक मुझे देखे जा रही थी,
कुछ अनकहे शब्द आँखों में,
उतर आये थे तुम्हारे,
होठ बेचैन थे उन शब्दों को कहने के लिये...
पर शायद मैं तैयार नही थी,
उन आँखों की अनकही को सुनने के लिये,
तभी तो तुम्हारे कुछ कहने से पहले,
मैंने अपनी नजरे फेर ली थी..
मुझे पता था ये नजरे मैंने तुमसे नही,
बल्कि अपनी जिंदगी से फेर रही हूँ...
तब से आज तक...
मैं उन आँखों की अनकही सुनने के लिए,
बेचैन हो भटकती रही हूँ...!!!

Thursday 8 September 2016

कुछ पागलपन भी जरुरी था....!!!

कुछ पागलपन भी जरुरी था....
मैं भी तुम्हारे साथ,
कुछ नादानियाँ करना चाहती थी,
बारिश में छाते को फेंक को कर,
तुम्हारे साथ भीगना चाहती थी...
महकती भीगी हवाओं में,
तुम्हे महसूस करना चाहती थी...
यूँ बेवकूफियाँ कुछ,मारमार्जिया कुछ....
कुछ-कुछ मेरा पागल होना,
तुमको पागल कर देना भी जरुरी था....
तुम्हारी आँखों में देखकर,
कुछ झूठ बोलना चाहती थी..
या यूँ कहूँ की कुछ सच,
छिपाना चाहती थी....
यूँ ही बेवजह मुस्करा कर,
तुम्हे भी दीवाना बनाना चाहती थी...
मैं तो थी ही कुछ पागल,
तुम्हे पागल बनाना चाहती थी...
कुछ-कुछ मेरा पागल होना,
कुछ तुमको पागल कर देना भी जरुरी थी...