Friday 24 February 2017

तब तुम मुझे पढ़ना...!!!

जब तुम खुद को बिल्कुल खाली समझना,
जब तुम्हे लगे कि जैसे,
कुछ है ही नही तुम्हारे लिये..
तब तुम मुझे पढ़ना,
मुमकिन है तुम्हे सब कुछ अपना ही सा लगे....
जब तुम्हे लगे कि,
कुछ नही रहा संजोने के लिये,
जब तुम हालातो से मजबूर बिखर जाओ,
तो मुझे पढ़ना...
खुद को मेरे शब्दों में समेट कर,
संजो कर रखा हुआ पाओगे..
जब तुम्हे लगे तुम खुद को,
कही रख कर भूल गए हो,
तो मुझे पढ़ना,
तुम्हारी खुद से मुलाकात हो जायेगी....
तुम खुद को इन पन्नो में  ही कही पाओगे...
जब तुम्हे कुछ बेचैन कर दे,
लगे कुछ अधूरा सा रह गया है,
तब तुम मुझे पढ़ना,
और मेरी लिखी हर रचना के अंत में,
क्रमशः......कुछ लिखा रह गया है...
तुम्हे उन्हें लिख कर पूरा कर देना...
तुम्हे पूर्ण जीवन मिल जएगा...!!!

Monday 13 February 2017

प्यार महज इक शब्द ही तो था....!!!

प्यार महज इक शब्द ही तो था मेरे लिए,
पर तुमसे मिलने के बाद,
प्यार एहसास बन कर मुझे छू गया....
तुम क्या मिले..
प्यार के हज़ारों रंग मिल गए,सुबह,शाम,चाँद,तारे,बारिश,धुप,छाव...
जैसे हर शै में प्यार ही प्यार हो...
तुमसे जब से मिली,
नजरिये सारे जिंदगी के बदल गये,
बहुत गुमान था मुझे कि,
मैं नही किसी का इन्तजार करुँगी,
बहुत शर्ते लगी थी सखियों में कि,
मैं कभी इस तरह ना किसी से प्यार करूँगी...

तुमने कभी कहा नही पर,
तुम्हारे प्यार में हूँ,
ये बात ना कब दिल में उतर गयी,
तुमसे परे कुछ भी सोचना जैसे,
कोई अपराध लगता है,
तुमने कभी नही जताया,पर ,
इस तरह मुझ पर,
तुम्हारा अधिकार लगने लगा...

इस भीड़ में इक चेहरा कैसे,
इतना खास हो जायेगा,
ये तो सोचा ही नही था...
इस पूरी दुनिया में,
तुम ही मेरी दुनिया बन गये...
जादू ही तो जो इक बार चला तो,
फिर नही उतरा,
बस हद से ज्यादा गुजरता चला गया....

जब तक तुमसे नही मिली थी,
तब तक मैं इक स्त्री आजादी,
उसके स्वाभिमान,उसके आत्मसम्मान,
की बाते करती थी...
बाते आज भी वही है..
तुमसे मिल कर इन शब्द को अर्थ मिल गया,
मैंने जाना कि प्यार में,
इक स्त्री कमजोर नही होती,
समर्पित होती है....
ये समर्पण मैंने तुमसे मिलने के बाद समझा है...

प्यार में होना भी इक कला है,
मंदिरो की घंटियों सा गूंजता है,
तुम्हारा कहा इक-इक शब्द,
मेरे-तुम्हारे रिश्ते को मौली में बांध आती हूँ,
मंदिर की चौखट पर....
तुम्हे अपना सम्मान मान कर,
सजा लेती सिंदूर की तरह अपने मस्तक पर....

प्यार खुद अधूरा होकर भी पूर्ण है...
जिसने इसे महसूस कर लिया,
वो जी रहा है,वो भूल गया खुद को,
किसी के लिए...
मान लिया आधार किसी को जिंदगी के लिए...
प्यार महज इक शब्द ही तो था मेरे लिए...

Sunday 12 February 2017

फिर वही गुलाबो की महक.. फिर वही माह-ए-फरवरी है... !!!

चुम कर माथा तुम्हारा मैं ले लूँ,
सारी बलाये तुम्हारी,
बांध कर तुम्हारी कलाई प्यार इक धागा,
दे दूँ तुम्हे अपनी दुआएं सारी.....
वक़्क्त रुकता नही ना तुम्हारे लिए,
ना ही मेरे लिए..
क्यों ना कुछ देर ठहर जाये,
इक-दूजे के लिये...
कभी जब घबरा कर,
जो तुम थाम लोगे हथेलियां मेरी,
मैं महसूस कर लुंगी,
तुम्हारे मन की व्यथाएँ सारी..
कि फिर वक़्त मिले ना मिले,
चुम कर आँखे तुम्हारी,
भर दूँ तुम्हारी आँखों में,
आसमान की निहारिकायें सारी...  
फिर वही गुलाबो की महक..
फिर वही माह-ए-फरवरी है... !!!

Saturday 11 February 2017

फिर वही गुलाबो की महक.. फिर वही माह-ए-फरवरी है... !!!

जब तुम रुठ जाओगे,
मै कुछ नही कहूँगी,
तुम्हे गले से लगा कर मना लुंगी...
जब भी तुम उलझनों से,
परेशान हो कर अकेले,
तन्हा रहना चाहोगे,
मैं कुछ नही कहूँगी,
तुम्हे गले से लगा कर,
तुम्हे अपने होने एहसास दूंगी...
जब सफर तुम्हे लम्बा लगेगा,
तुम बैठोगे जो थक कर कही,
मैं तुम्हे गले से लगा कर,
फिर से चलने को,
तैयार कर दूंगी...
जब भी तुम जिंदगी की,
मुश्किलो से घबरा जाओगे,
मैं तुम्हे गले से लगा कर,
तुम्हे फिर से लड़ने के लिए,
तैयार कर दूंगी..
फिर वही गुलाबो की महक..
फिर वही माह-ए-फरवरी है... !!!

Friday 10 February 2017

फिर वही गुलाबो की महक.. फिर वही माह-ए-फरवरी है... !!!

तुम मुझसे मुझमे जीने का,
इक वादा दे दो,
मैं दिखूंगी हमेसा तुम्हारी आँखों में,
इक वादा दे दो...
मैं हसूंगी तुम्हारे होठो पर,
इक वादा दे दो...
घड़िया सुख-दुख की सभी,
गुजारँगे साथ-साथ...
इक वादा दे दो..
मुकम्मल जिंदगी होगी,
सिर्फ तुम्हारे साथ...
इक वादा दे दो...
जानती हूँ कि ये कसमे,
वादे सब झूठे है...
इस झूठ पर भी कुछ देर और कर लूँ,
यकीन क्यों ना कोई झूठा वादा दे दो...
भले ही तोड़ देना तुम सारे ही वादे,
पर तोड़ने ही के लिये ही,
इक वादा दे दो...
फिर वही गुलाबो की महक..
फिर वही माह-ए-फरवरी है...!!,
इक वादा दे दो...

Wednesday 8 February 2017

फिर वही गुलाबो की महक.. फिर वही माह-ए-फरवरी है...!!

ये सात दिन जिंदगी सात,
इंद्रधनुष के रंगों की तरह रहंगे...
कुछ खास हुआ हो या नही,
हम सात दिन साथ थे,
इससे ज्यादा कुछ और,
खास नही होगा...
सात दिनों का साथ,
सात कसमो सा रहा,
सात रातो साथ,
तुम्हारे सात सपने,
हमने निभायी इन सात दिनों में,
साथ-साथ सभी रसमें....
ये साथ दिन हमारे साथ के,
सात फेरो सा रहे,
जिनमे कभी तुम आगे चलते रहे,
कभी मैं दो कदम पीछे हो कर,
तुम्हारी ढाल बनती रही...
ये सात दिन जिंदगी के साथ,
सात जन्मों से रहे,
मैंने तुम्हे जी लिया,
इन सात दिनों में,
सात जन्मों का साथ...
फिर वही गुलाबो की महक..
फिर वही माह-ए-फरवरी है...!!

Tuesday 7 February 2017

फिर वही गुलाबो की महक.. फिर वही माह-ए-फरवरी है...!!

क्यों ना अपने घुटनों पर बैठ कर,
मुझे अपने साथ जिंदगी के,
सफर पर चलने की फरमाइश करते,
क्यों ना तुम कोई खूबसूरत सी,
अंगूठी मेरी उँगली में पहना कर,
बांध लेते अपने एहसासों से...
क्यों ना तुम कुछ शब्द से सजा के,
कोई खत दे कर...
मुझसे प्यार का इकरार करते...
पर ऐसा तो कुछ भी नही किया तुमने,
आँखों ही आँखों में,
तुमने बाते दिल कि कह दी,
मैंने मान ली तुम्हारे साथ सफर पर,
चलने की फरमाइश...
मैं बंध गयी तुम्हारे एहसासों में,
मैंने पढ़ लिए तुम्हारी आँखों में,
इकरार के सारे खत....
मैंने पढ़ ली तुम्हारी ख़ामोशी भी,
पर तुम मेरे शब्द भी ना पढ़ पाये....
फिर वही गुलाबो की महक..
फिर वही माह-ए-फरवरी है...!!

Monday 6 February 2017

फिर वही गुलाबो की महक.. फिर वही माह-ए-फरवरी है...!!

मैं तुम्हारे जीवन को गुलाब करना चाहती थी,
कांटे सभी मैं चुन कर,
तुम्हे पंखुड़ियों में सहज कर,
रखना चाहती थी...
मैं सींचती रही,तुम्हारे जीवन के गुलाबो को,
अपने प्यार से...कि खुश्बु बरकरार रहे,
तुम्हारी मेरी सांसो में,
मैं तुमसे इतर कुछ भी नही चाहती थी...
मैं हर रोज कली गुलाब की,
फूल बन कर तुम्हारी बाहों में रहना चाहती थी...
फिर वही गुलाबो की महक..
फिर वही माह-ए-फरवरी है...!!!

Sunday 5 February 2017

फिर वही गुलाबो की महक.. फिर वही माह-ए-फरवरी है...!!!

तुम्हारा यूँ हर रोज शाम को,
कॉफी पर मुझे बुलाना,
मैं जानती थी कि कहते नही हो,
पर तुम ये मुझसे सुनना चाहते हो,
कि तुमसे मिलना अच्छा लगता है....
और मैं भी हमेशा तुम्हारा,
ये गुरुर बना कर रखना चाहती थी,
तभी तो जब तुम पूछते थे,
क्या कर रही हो,
तो मैं कह देती थी कि बस अभी आती हूँ....
क्यों की तुम्हे मुझसे अपने लिए,
सुनना अच्छा लगता था,
और मुझे तुम्हारी आँखों में,
तुम्हारा सिर्फ और मेरा होने का गुरुर,
अच्छा लगता था....
फिर वही गुलाबो की महक..
फिर वही माह-ए-फरवरी है...!!!

Saturday 4 February 2017

फिर वही गुलाबो की महक.. फिर वही माह-ए-फरवरी है...!!!

वो सूरज के निकलने से शाम के ढलने तक,
हर पहर की तुमसे बाते करना...
साक्षी है वो चाँद,वो तारे,वो चांदनी..
हमारी वो कसमे,जीने-मरने के वादे करना....
हमने तो सीखा था इक-दूजे की आँखों में,
देख कर यकीन करना...
ना जाने तुमने कहाँ से सीख लिया,
इन्ही आँखों से छल करना....
वो सूरज वो शामें वो पहर,
आज भी ढलते है वैसे ही,
हमने सीख लिया है,
इनसे..इक-दूजे के लिए,
यूँ ही बेवजह तुम संग चलना....
फिर वही गुलाबो की महक..
फिर वही माह-ए-फरवरी है...!!!

Friday 3 February 2017

फिर वही गुलाबो की महक.. फिर वही माह-ए-फरवरी है...!!!

तेरा यूँ हक़ से
मुझ पर हक़ जताना
मुझ पर तुम्हारे सारे
अधिकार से लगते हैं
कितना अजीब पर प्यारा है
यूँ आँखों से सब कुछ कह देना
और होठो से ना बताना
जैसे आसमां का हक़ धरती पर
जैसे पानी का हक़ समुन्दर पर
जैसे खुशबू का हक़ फूलों पर
जैसे इश्क़ का हक़ दिल पर
सब खामोश होकर
एक दूसरे से मिलते हैं
और हक़ जताते हैं
हमारे तुम्हारे तरह
बिना एक दूसरे से कुछ मांगे...
फिर वही गुलाबो की महक...
फिर वही माह-ए-फरवरी है...!!!

Thursday 2 February 2017

फिर वही गुलाबो की महक... फिर वही माह-ए-फरवरी है...!!!

तुम्हारे-मेरे बीच रिश्ता
कच्चे धागे से बंधा था,
मैंने अपने प्यार और समर्पण से
इसे पक्की मौली बना दिया,
तुम खींचते रहे कितना पर
मेरे हर सजदे से
मेरी प्रार्थना से
ये मजबूत होता गया.
तुम शायद
इसे कभी नहीं समझ पाओगे
क्योंकि तुमने दिल में रखे थे
रुई की फोहों से सपने
और मैं रखी था कपास के बीच
जिसके बीड़वे कल पौधे बनेंगे
और उस कपास से सूत काट काट कर
फिर नए रिश्तों की मजबूत बंधन बाँधे जायेंगे..
फिर वही गुलाबो की महक...
फिर वही माह-ए-फरवरी है...

Wednesday 1 February 2017

फिर वही गुलाबो के महक...फिर वही फरवरी है....!!!

जब तुम्हारा दर्द मेरी आँखों से बहने लगा,
तब लगा सिर्फ दिल ही नही,
मन भी जुड़ गया है तुमसे...
और जब चंचल मन,
दौड़ता-भागता मन,
कही किसी पर ठहर जाये तो,
बात सिर्फ दिल से दिल की नही रह जाती,
जिंदगी  से साँसों की,और
साँसों की तुमसे हो जाती है..
मेरी साँसों में तुम्हारी खुश्बु बिखरी,
कि फिर वही माह-ए-फरवरी है...