Friday 3 February 2017

फिर वही गुलाबो की महक.. फिर वही माह-ए-फरवरी है...!!!

तेरा यूँ हक़ से
मुझ पर हक़ जताना
मुझ पर तुम्हारे सारे
अधिकार से लगते हैं
कितना अजीब पर प्यारा है
यूँ आँखों से सब कुछ कह देना
और होठो से ना बताना
जैसे आसमां का हक़ धरती पर
जैसे पानी का हक़ समुन्दर पर
जैसे खुशबू का हक़ फूलों पर
जैसे इश्क़ का हक़ दिल पर
सब खामोश होकर
एक दूसरे से मिलते हैं
और हक़ जताते हैं
हमारे तुम्हारे तरह
बिना एक दूसरे से कुछ मांगे...
फिर वही गुलाबो की महक...
फिर वही माह-ए-फरवरी है...!!!

2 comments:

  1. आपकी रचना बहुत सुन्दर है। हम चाहते हैं की आपकी इस पोस्ट को ओर भी लोग पढे । इसलिए आपकी पोस्ट को "पाँच लिंको का आनंद पर लिंक कर रहे है आप भी कल रविवार 5 फरवरी 2017 को ब्लाग पर जरूर पधारे ।

    ReplyDelete