Wednesday 26 December 2018

सुनो दिसम्बर..जरा ठहरो..!!!

सुनो दिसम्बर..जरा ठहरो..
धीरे-धीरे गुजरो...
समेट तो लूं बिखरी हुई यादो को,
दर्ज तो कर लूँ दिल में कुछ तारीखों को,
जिनके साथ का वक़्त कभी गुजरा नही...
बांध कर रख लूं...
उन्हें नजरो से जो छोड़ कर चले गए,
थाम लूं उन हाथो को,
जो बिछड़े तो है पर छूटे नही है...
सुनो दिसम्बर..जरा ठहरो..
जी तो लूँ उन लम्हो को,
जो ठहरें तो है पर अभी गुजरे नही है...!!!

Monday 10 December 2018

तुम कोई कमिटमेंट नही करना चाहते हो...!!!

मैं जानती हूं कि तुम कभी नही कहोगे की,
मैं तुम्हारे लिए जरूरी हूँ...
मैं तुम्हारे साथ चलूँ हर राह पर,
ऐसा तुम चाहते हो..
पर खुद आगे बढ़कर,
मुझे साथ चलने को नही कहोगे...
तुम नही कहोगे कि तुम बेचैन हो जाते हो,
मुझे अपने आस-पास ना पाकर..
मैं जानती हूं,तुम अपने प्रति लापरवाह हो जाते हो,
क्यों कि तुम जानते हो कि,
तुम्हारी परवाह करने के लिए मैं हूँ...
मैं जानती हूं,कि तुम कभी मुझे..
रुकने के लिए नही कहोगे,
पर जब तक मैं लौट कर ना आ जाऊं,
तुम वही ठहरे रहोगे...
तुम कभी अपने एहसासों को,
मुझसे नही कहोगे,
तुम भी महसूस करते हो,
मुझे हर लम्हा..पर कभी कहोगे नही..
क्यों कि तुम पुरुष हो,
ना पत्थर बने रहना चाहते हो..
तुम कुछ भी ना कहो,
पर मैं तुम्हारी हर बात समझजाऊं,
दिल से तो तुम ये चाहते हो,
पर तुम्हारे पास दिल है..
नही ये जताना चाहते हो...
तुम शामिल तो मुझे अपने हर लम्हे में चाहते हो,
पर मेरे लिए तुम्हारे पास कोई लम्हा नही है,
ये भी जताते हो...
तुम वो सब कुछ चाहते हो,जो मैं चाहती हूं...,
पर तुम डरते हो किसी भी जिम्मेदारी लेने से,
भागते हो अपने आप से,अपनी ख्वाइशों से....
तुम्हारा अहम तुम्हे रोकता है...
क्यों कि  तुम कोई कमिटमेंट नही करना चाहते हो...!!!