Saturday 26 October 2013

कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! भाग-1

                       1.
वो दूर हो कर भी मुझसे दूर न रहा कभी                  
मैं पास हो कर भी उसके पास न रही कभी.....!!!
                 
                       2.
मैंने तुम्हे कभी याद नही किया क्यों कि  
मैंने तुम्हे कभी भुलाया ही नही.......!!!


                         3.
वो दूर हो कर भी मुझसे दूर न रहा कभी,
मैं पास हो कर भी उसके पास न रही कभी......!!!

                        4.
तुमसे दूर जितना भी खुद को ले जाती हूँ,
उतनी ही तुम्हारे करीब खुद को पाती हूँ.......!!!

                       5.
कुछ इक पल और रुक जाते तो अच्छा होता,
मेरे बिना कुछ कहे ही....    
तुम समझ जाते तो अच्छा होता.....!!!


                      6.
मेरी आखों को तुम्हारा इन्तजार आज भी है.…
मैं झूठ कहूँ तो कहूँ.....
सच तो यही है......
इस दिल को तुमसे प्यार आज भी है.....!!!


                 7. 
धड़कने तो बेवजह धड़कती है,
ये किसी की सुनती कहाँ है....
लाख समझाने की कोशिश करो,
ये समझती कहाँ है.....!!!                                                    

Tuesday 15 October 2013

ये जो ख़त मैंने तुमको लिखे है..... !!!

ये जो ख़त मैंने तुमको लिखे है.....                
बंद है इन लिफाफों में...अभी तक,
तुमने खोले ही नही......
कितने रंग-बिरंगे पन्नो पर,
सजे मेरे शब्द.....
तुमने कभी पढ़े ही नही.....!

दिल की बैचेनियों को,
धडकनों की गुस्ताखियों को....
इन खतो में गढ़ा मैंने...... 
मेरे खतो को तुम समझते,
तुम तो इन शब्दों की गहराइयों में,
कभी उतरे ही नही.......!!

सुबह के निकलने से लेकर,
शामो के ढलने तक जिक्र है.... इन खतो में, 
गुजरते लम्हों के साथ,
दिल जो करता तुम्हारी वो फ़िक्र है...इन खतो में 
बंद है कब से कितने राज़,
इन खतो में....
तुमने कभी पढ़े ही नही.....!!!

इन खतो को थाम कर कब से, 
तुम्हारे इन्तजार में बैठी हूँ.....अभी तक 
तुम उन राहो से.......कभी गुजरे ही नही.......!!!!


Monday 7 October 2013

सीधे सरल शब्दों में, मैंने दिल की बात कही है......!!!

सीधे सरल शब्दों में,                                 
मैंने दिल की बात कही है....
सीधे सरल तरीके से,
तुम्हारे दिल तक पहुच गयी है.... 


सोच समझ कर अगर कहती मैं,
तो बात न इतनी सीधी होती...
वक़्त बहुत लगता फिर तो,
तुम्हारे दिल तक न पहुची होती...... 

होठो तक आते-आते जैसे,
कोई बात ठहर गयी थी... 
सवालो के जवाब पाते-पाते,
जैसे कोई बात उलझ गयी थी... 
अब मैंने न कुछ भी,
सुलझाने की कोशिश की है....
बस सीधे सरल शब्दों में,
सीधी-सीधी बात कही है 
सीधे सरल तरीके से,
तुम्हारे दिल तक पहुच गयी है.....

भावो और एहसासों को,
अल्फाज़ न अपने दे पायी.... 
दिल के जज्बातों को,
आवाज न अपनी दे पायी....
कहने को कुछ मैं कब से,
गहरे शब्दों को ढूंढ़ रही थी..... 
शब्द मिले न मुझको ऐसे,
हार गयी मैं.....
सीधे दिल से दिल की बात कही है.....
सीधे सरल तरीके से,
तुम्हारे दिल तक पहुच गयी है.......!!!

Tuesday 1 October 2013

अपनी हदों से गुजर रही हूँ मैं...............!!!

अपनी हदों से गुजर रही हूँ मैं,                   
खुद से लड़ने की जिद कर रही मैं...
जाने की रौशनी की तलाश में,
गहरे अंधेरो में उतर रही हूँ मैं.... 

अभी पार समंदर कर रही हूँ मैं, 
लहरों से उलझ रही हूँ मैं..... 
खुद को खो देने के जूनून में, 
समंदर की गहराइयों में उतर रही हूँ मैं....

अभी आकाश को खुद में समेट रही हूँ मैं,
चाँद तारो से लड़ रही हूँ मैं.....
किसी को चाँद देने के जूनून में,
मैं हर हद से गुजर रही हूँ मैं....... 

अभी शब्दों को गढ़ रही हूँ मैं.... 
किसी की ख़ामोशी पढने के जूनून में,
मैं छुपे एहसासों को शब्दों में रच रही हूँ मैं........