Tuesday 19 December 2017

प्यार को हारने नही दिया....!!!

बहुत इम्तहानों से गुजरा ये साल,
कभी तुम्हारे रूठने में,
कभी तुम्हे मनाने में..
कभी प्यार से भरी तुम्हारी  शिकायतों में,
कभी तुम्हे खो देने के डर से,
रातो की मेरी सिसकियों में..
बिखरते-बिखरते....
मेरे-तुम्हारे रिश्ते के सँवरने में...
इम्तहान था...तो फेल तो हुए,
पर हमारे बीच प्यार की गहराई के,
ग्रेश मार्क्स से पास भी हो गए...
नाराजगी,गलतिया,शिकायतें,
इन सब को दरकिनार कर,
बस हमारे प्यार ने,
प्यार को हारने नही दिया....!!!

Saturday 9 December 2017

तारीखे कहाँ बदलती है....!!!

तारीखे कहाँ बदलती है,
ये तो बदलते वक़्त के बार-बार,
खुद दोहराती है...
गुजरी तारीखों में कैद कुछ यादो को,
हम उन्ही तारीखों के लौट आने पर,
फिर उन्हें जीते है...
दर्द हो या खुशी,हम उलझे रहते है,
तारीखों के हेर-फेर में..
ये साल ये तारीखे,
सिर्फ कैलेंडर के साथ बदल जायँगे,
ये तारीखे तो कैलेंडर में,
फिर वापस आ जएँगी,
पर जो बिछड़ गये है हमसे,
वो सिर्फ यादो में ही राह जायँगे...
चलो हिसाब कुछ उन यादो का,
उन दर्दो का इन तारीखों का साथ कर लेते है...
तुम मिलना इस बार मुझे उन्ही तारीखों,
साथ बैठ कर कुछ बात फिर कर लेते है...
तारीखे कहाँ बदलती है,
ये तो बदलते वक़्त के,
बार-बार खुद दोहराती है...!!!

Monday 4 December 2017

आज सारे गुबार दिल के...!!!

क्यों ना लिख दूँ,
आज सारे गुबार दिल के...
ये मौन ये चुप्पी इक दिन,
सब बिखेर कर रख देगी..
क्यों ना लिख दूँ आज सारे ज्वार दिल के....
क्यों ना शब्दो मे लपेट कर,
अपनी आँखों की उदासी को ,
कागज़ में उतार दूँ,
तुमसे मिलने बिछड़ने के किस्सो को...
शब्दो मे सही,क्यों ना जोड़ दूँ,
दिल बिखरे हिस्सो को...
क्यों ना लिख दूँ...
आज सारे गुबार दिल के...
क्यों ना हर दर्द को पंक्तियों में ढाल दूँ,!
तुम्हारे हर जवाब पर मैं इक सवाल दूँ...
क्यों ना हार-जीत का शिलशिला,
यही पर थम जाए...
ये मौन ये चुप्पी इक दिन,
सब बिखेर कर रख देगी..
क्यों ना लिख दूँ...
आज सारे ज्वार दिल के....!!!