Friday 30 December 2016

साल बदल रहा है...!!!

मैं क्या जानूँ की कौन सी तारीख है,
क्या पता कि साल बदल रहा है...
मुझे तो तुम्हारी आँखों के बदलते,
अंदाज़ याद रहते है...
जो पल-पल कहती है कि,
तुम किस बात से नाराज होते है,और
कौन सी बात तुम्हे नही भाती..
मुझे तो याद रहते है,
तुम्हारी जुबां के को स्वाद,
जो मैं हर रोज तुम्हारे लिए,
रेसिपी बदल-बदल कर,
तुम्हारे लिए कुछ नया बनाती हूँ...
मुझे तो याद रहती है,
हर रोज बदलती तुम्हारी...
वो शरारत भरी वो बाते,
जो ना जाने कहाँ से सीख कर आते हो....
मैं क्या जानूँ की कौन सी तारीख है,
क्या पता कि साल बदल रहा है..
पर हाँ मुझे याद रहती है,
कैलेंडर की कुछ तारीखे,
जो कभी नही बदलती,
जिस दिन तुम इस दुनिया में आये,
जिस दिन मैं तुमसे मिली थी,
यही कुछ तारीखे है,
जो मेरे लिए कैलन्डर होती है,
मैं पूरा साल इन्ही तारीखों में,
पल,लम्हे,साल,सदियां,...
बदलते देखती हूँ.....!!

Saturday 24 December 2016

छूटता कुछ भी नही है इस जहाँ...!!!

ये साल भी जा रहा है,
हर साल की तरह,
कुछ ख्वाइशें पूरी होते-होते,
अधूरी रह गयी...
कुछ दर्द जिंदगी को जार-जार कर गए,
तो कुछ मरहम होठो पर,
हँसी के साथ आंसू लिए मिल गए...
शिकायत बहुत है,सवाल भी बेहिसाब थे..
सभी यूँ ही उदास अकेले,
पुरानी कैलेंडर की तरह रह गए,
तारीखों में जिंदगी सिमट गयी...
फिर नई यादो की तलाश में,
कुछ पाने की आस लिये,
कुछ बिखरे हुए विश्वास लिये,
इस की दहलीज पर,
हम भी खड़े है...
जो खो दिया है,उस दर्द में,
खुद को समेट कर,
जो पा लिया उस सुकून में
खुद को लपेट कर...
आने वाला साल का,
आगाज हम फिर करँगे,
तारीखे बदलेंगी जरूर,
पलटते कैलन्डर के पन्नो की तरह,
वक़्त के साथ फिर,
दोहराये जायँगे हम सभी,
छूटता कुछ भी नही है इस जहाँ,
सब यही रहता है,
सिर्फ उसकी सूरत बदल जाती है...!!!

Sunday 18 December 2016

तुमकों मैंने ना झुठला पाऊँगी...!!!

अपनी सारी रचनाओं की,
अपनी कल्पनाओ को,
तुम्हारी छवि में ढाल लिया है..
अब तमको मैं ना झुठला पाऊँगी...
तुमसे ही हर ख्वाब को सच मान लिया है...
ख्यालो की बंदिशे खुल कर,
तुम तक ही पहुँची है,
अपनी हथेलियों में रेखाएं,
तुम्हारे नाम की मैंने खींची है,
अब तमको मैं ना झूठला पाऊँगी..
तुमसे ही नसीब अपना मान लिया है....
प्यार वो जो अब तक,
मेरे शब्दो में था,
अब वो तुम्हारी आँखों में देखती हूँ,
इक नाम जिसे सुनने को,
बेचैन रहती थी मेरी साखियाँ,
अब वो मेरी बातों में सुन लेती है..
अब तुमकों मैंने ना झुठला पाऊँगी...
तुमसे ही तुमको मैंने माँग लिया है..."!!!

Tuesday 6 December 2016

तुमसे ही है पहरों,शाम मान लिये थे...!!!

बो इक पल,वो इक लम्हा..
जब तुम्हारी आँखों के सारे फैसले,
मैंने मान लिये थे.....
जब तुम मेरे साथ,
दिनों और सालों का हिसाब लगा रहे थे,
तब ही मैंने तुम्हारे साथ...
जन्मो के बंधन बांध लिये थे...
वो इशारे तुम्हारी मेरी आँखों के,
तुम समझते थे या मैं समझती थी...
जब तुम मुझसे कहने के लिए,
शब्दो को ढूंढ रहे थे...
तब ही तुम्हारे बिन बोले ही,
तुम्हारे दिल के राज मैंने जान लिए थे...
वो सुबह जो तुमसे शुरू होती थी,
तुमसे पूरी होती थी राते...
जब तुम घड़ी की सुइयों से,
मेरे साथ वक़्त जोड़ रहे थे,
तब ही मैंने तुमसे ही है पहरों,
शाम मान लिये थे...!!!

Saturday 3 December 2016

सर्दी की चिठ्ठिया....!!!

काँपती उँगलियों से,
थरथराते शब्दो को लिख रही हूँ....
धुंध में तुम्हे ढूंढती अपनी आँखों की बेचैनियां,
इस बार राजाई में छुप कर,
तुम्हारी पढूंगी,और तुम्हे लिखूंगी,
मैं भी तुम्हे सर्दी की चिठ्ठियां...
#सर्दीकीचिठ्ठियां#

ठिठुरते हुए,कोहरे की आड़ में,
मैं आज फिर तुमसे मिल आऊँगी,
बस तुम देखोगे मुझे,मैं देखूंगी तुम्हे....
बच कर सबकी नजरो से दे दूंगी,
कुछ निशानियां अपनी...
#सर्दीकीचिठ्ठियां#

सुबह काँपते हाथो से,
तुम्हे चाय की प्याली थमाना,
और वो तुम्हारा वो प्याली के साथ,
मेरा हाथ पकड़ लेना....ठंठी बहुत है,
ये कह कर तुम्हारा मुस्कराना देना,
तुम्हारे मुस्कराने पर मेरा शरमा जाना....
यही कुछ नादानियाँ है..,
#सर्दीकीचिठ्ठियां#