Saturday 3 December 2016

सर्दी की चिठ्ठिया....!!!

काँपती उँगलियों से,
थरथराते शब्दो को लिख रही हूँ....
धुंध में तुम्हे ढूंढती अपनी आँखों की बेचैनियां,
इस बार राजाई में छुप कर,
तुम्हारी पढूंगी,और तुम्हे लिखूंगी,
मैं भी तुम्हे सर्दी की चिठ्ठियां...
#सर्दीकीचिठ्ठियां#

ठिठुरते हुए,कोहरे की आड़ में,
मैं आज फिर तुमसे मिल आऊँगी,
बस तुम देखोगे मुझे,मैं देखूंगी तुम्हे....
बच कर सबकी नजरो से दे दूंगी,
कुछ निशानियां अपनी...
#सर्दीकीचिठ्ठियां#

सुबह काँपते हाथो से,
तुम्हे चाय की प्याली थमाना,
और वो तुम्हारा वो प्याली के साथ,
मेरा हाथ पकड़ लेना....ठंठी बहुत है,
ये कह कर तुम्हारा मुस्कराना देना,
तुम्हारे मुस्कराने पर मेरा शरमा जाना....
यही कुछ नादानियाँ है..,
#सर्दीकीचिठ्ठियां#

3 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 05 दिसम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (05-12-2016) को "फकीर ही फकीर" (चर्चा अंक-2547) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. kya baat sushma ji .....jab jab apka likha padhti hun jane kyu mujhe meri si lagti hai

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