Friday 27 February 2015

आसान नही था...तुमको लिखना.....!!!

उसने कहा था.....
कि लिखते रहना...
उसे कैसे बताऊँ की..
तुम्हारे बिन लिखना...
इतना आसान नही है...
आसान नही था..
उन लम्हों को लिखना,
जो कभी गुजरे ही नही....
आसान नही था...
उस ख़ामोशी को लिखना..
जो इक अरसे से...
हमारे बीच आ गयी है...
आसान नही था...
उन राहो को लिखना..
जिनको मंजिल कभी..
मिली ही नही...
आसान नही था...
उन यादो को लिखना...
जो सिर्फ तारीखों में सिमटी है....
आसान नही था...
उस एहसास को लिखना..
जो पहली बार छुआ था तुमने....
आसान नही था...
उन आखों को लिखना...
जो सिर्फ मुझे देखती थी...
आसान नही था...
उन रातो को लिखना..
जो तुमसे बाते करते गुजरी है...
आसान नही था...
उन पलों को लिखना..
जो तुम्हारे इन्तजार में गुजरे है....
उससे कहना...मुस्किल था..
कुछ भी आसान नही था..तुम्हारे बिन...
मैंने तो हर पल में..
तुम्हे लिखा है....
आसान नही था...तुमको लिखना.....!!!

Saturday 14 February 2015

Valentine..डायरी......तुम्हे पसंद नही था....!!!

वैलेंटाइन डे पर..
तुमने पूछा मुझसे..
कि क्या चहिये...?
मैंने कहा....
कि जो तुम्हारी मर्जी हो,
वो दे दो...
तुम नही माने कहाँ...
जो तुम मांगोगी...
वो तुम्हे दूंगा...
मैंने हँस पड़ी ...
कहाँ रहने दो..
तुम नही दे पाओंगे..
मैंने पुछा......
तुम बताओ तुम्हे क्या चहिये...?
तुम बोले....कि 
"वैलेंटाइन डे"का पूरा दिन,हर लम्हा...
तुम्हारे साथ...जीना चाहता हूँ....
मैंने हँस कर कहा.… 
बस इतना ही.... ? 
तुम बोले कि क्यों?                                   
तुम क्या चाहती हो...?
मैंने कहाँ......
मैं इक पूरी जिन्दगी.....
तुम्हारे साथ,
"वैलेंटाइन डे"की तरह,
जीना चाहती हूँ.... दे पाओगे..?
और तुम कुछ नही बोले...
हमेसा की तरह खामोश हो गये....
और मैं हँसती रही..
क्यों की मेरा रोना..
तुम्हे पसंद नही था...........!!!

Friday 13 February 2015

Valentine..डायरी...अभी बाकी था....!!!

तुम्हारी आखों में उतर कर,
तुम्हारे दिल के सच को जानना....
अभी बाकी था....
जो तुम लब्जों में नही कह पाये,
उस ख़ामोशी को सुनना...
अभी बाकी था...
तुम्हारे लिये..
उगते सूरज की किरन,
ढलती सिंदूरी शाम की,
लालिमा लाना...
अभी बाकी था...
तुम्हारे साथ रात ढले,
खुली आखों के रतजगे...
अभी बाकी है
तुम्हारे लिये हद से गुजरना,
अभी बाकी था...
तुम्हारे अक्स को,
अपने शब्दों में उतारना..
अभी बाकी था....
तुम्हारी बाहों में,
मेरा टूट कर बिखरना..
अभी बाकी था....!!!

Thursday 12 February 2015

Valentine..डायरी... सारा विश्वास तुम्हे दे दूंगी...!!!

इक दिन कुछ देर,
तुम्हारे हाथो को थाम कर...
तुम्हारे सारे दर्द..
मैं ले लुंगी.....
इक दिन तुम्हारे सीने पर,
सर रख धड़कनो को,
तुम्हारी सारे सुर ..
मैं दे दूंगी.....
इक दिन तुम्हारी पलकों को,
अपने होटों से छु कर,
सारे ख्वाब...
मैं दे दूंगी....
इक दिन तुम्हे गले से लगा कर,
सारे एहसास...
मैं दे दूंगी....
इक दिन तुम्हारी आखों में,
देख कर कह दूंगी...
प्यार तुम्ही से करती हूँ...
अपना सारा विश्वास...
तुम्हे दे दूंगी.....
यकीनन तुम जीत लोगे,
दुनिया को...
मैं हार कर तुमसे ...
अपने दिल का हर राज
तुम्हे दे दूंगी...!!!

Wednesday 11 February 2015

Valentine..डायरी... कुछ ख्वाब..ख्वाब ही रहे..तो अच्छा है....!!!

वो इक ख्वाब जो तुमने...
मुझे बताया था...
वो इक ख्वाब जो कई बार..
तुम्हारी नींदों में आया था....
कि कई बार तुम्हे सुलाने,
तुम्हारे सिरहाने कोई आता है,
कि कई बार तुम्हे जगाने,
तुम्हारे सिरहाने कोई गुनगुनाता है.....
तुमने बताया था कि...
कई बार सुने पड़े अपने कमरे में,
किसी के पयाल की...
छम-छम सुनी है तुमने....
तुमने बताया था कि,
जाने क्यों लगता है...
कि तुम्हारी रसोई से...
किसी की चूड़ियों की,
खनक सुनाई देती है....
तुमने बताया था कि...
जब तुम पीछा करते हो..
इस आहट का तो वो,
कही गुम सी हो जाती है....
तुम थक कर,हार कर,
जब अपनी आँखे बंद करते हो..
तो कोई चेहरा तुम्हे दिखता है....
जो बहुत अपना-अपना...
सा लगता है...
पर तुम पहचान नही पाते हो....
मैं चुप-चाप तुम्हारे,
उस ख्वाब को सुन लेती हूँ...
तुम पगला गये हो....
ये कह कर हँस देती हूँ...
और डरती हूँ...
कि कही वो धुँधला चेहरे को,
तुम पहचान ना लो,
कही उस पयाल की..
छम-छम में,
तुम किसी की धड़कने..
ना सुन लो...
कही किसी चूड़ियो की खनक,
कोई सवाल न करे तुमसे...
सोचती हूँ कि....कुछ ख्वाब...
ख्वाब ही रहे..तो अच्छा है....!!!

Tuesday 10 February 2015

Valentine..डायरी....तो समझना कि वो मैं हूँ....!!!

कभी जो तुम किसी अहाट पर,
ठहर जाना...
तो समझना कि वो मैं हूँ...
कभी जो अचानक,
कोई हवा का कोई झोंका...
तुम्हारे मन को महका दे,
तो समझना कि वो मैं हूँ...
कभी जो तन्हा चलना,
जो किसी सफर में,
कि चुपके से कोई..
तुम्हारा हाथ थाम ले,
तो समझना कि वो मैं हूँ...
कभी जो होटों पर मुस्कान,
और आखों से आंसू छलक जाये..
तो समझना कि वो मैं हूँ...
कभी जो किसी डर से,
धडकते दिल को...
कोई थाम ले,
तो समझना कि वो मैं हूँ...
कभी जो उदासियो में,
कोई ख्याल तुम्हे बहला दे...
तो समझना कि वो मैं हूँ....
कभी जो बारिश की बुँदे,
किसी के छुने का एहसास करा दे,
तो समझना कि वो मैं हूँ....
कभी जो चाँद  तुम्हे,
किसी चहेरे से मिला दे,
तो समझना कि वो मैं हूँ....
ये सच है कि..
मैं कही नही हूँ...
पर कोई जो....
मेरे होने का एहसास करा दे,
तो समझना कि वो मैं हूँ....!!!

Monday 9 February 2015

Valentine..डायरी....मैं जिंदगी से जीतना चाहती हूँ........ !!!

मैं तुम्हारे साथ सूरज को,                      
निकलते देखना चाहती हूँ.....
तुम्हारे साथ शामो को,
ढलते देखना चाहती हूँ....
मैं तुम्हारे साथ ओस से,
भीगी घास पर,
नंगे पाँव चलना चाहती हूँ....
तुम्हारा हाथ थाम कर,
मैं टेढ़ी-मेढ़ी राहो पर,
गिरते-गिरते सम्हालना चाहती हूँ.....
अपनी हथेलियों से,
तुम्हारी हथेलियों में...
बारिश की बूंदो को,
समेटना चाहती हूँ.....
अपनी पलकों में,
तुम्हारी पलकों के सारे ख्वाबो को 
छुपा लेना चाहती हूँ..... 
मैं अपनी मुस्कराहटों को,
तुम्हारे लबो पर सजाना चाहती हूँ...
मैं अपनी धड़कनो को,
तुम्हारे दिल में धड़कते देखना चाहती हुँ.... 
इक बार जो तुम थाम लो हाथ,
मैं जिंदगी से जीतना चाहती हूँ........ !!!

Sunday 8 February 2015

Valentine..डायरी....तुम जीने की वजह बन गये.…..!!!

मेरी बेवजह जिंदगी की.....                        
तुम न जाने कब जीने की.…… 
वजह बन गये.……
तुम्हारी हर छोटी-बड़ी चाह 
मेरी जिंदगी की चाहत बन गयी.…
बेतरतीब, बेफिक्र जिंदगी मैं जी रही,
तुम मेरी जिंदगी की फ़िक्र बन गये.…
मैं लिखती हूँ जो कोरे पन्नो पर,
तुम पन्नो पर बिखरे,
वो शब्द बन गये.… 
मेरी बेवजह जिंदगी की..... 
तुम जीने की वजह बन गये.… 
जिसने भी देखा है मेरी आँखों मे… 
तुमको ही पाया है  …… 
मेरी हर बात में,
हर बार जिक्र तुम्हारा ही आया है…
मैंने एहसासो,
जज्बातो,ख्वाबो को सजाया है..
अपने शब्दो में, 
जिसने भी पढ़ा है मुझको...
तुमको ही पाया है मेरे शब्दो में........!!!

Saturday 7 February 2015

Valentine..डायरी.... तुमको बताऊँगी मैं....!!!

दिल की सारी बाते...
कहनी है तुमसे...
जिन बातो को लब्ज़...
नही दे पाऊँगी..
वो बाते भी...
आँखों से कहनी है....
कुछ भी ना छुपाऊंगी मैं...
हर बात अपने दिल की....
तुमको बताऊँगी मैं....
मैं तो जुबा के बदले,
नजरों से काम लुंगी....
आखों से तुम्हारेे दिल,
मैं उतर जाऊँगी...
महसूस करोगे मुझकों,
खुशबू बन कर साँसों में,
बिखर जाऊँगी...
इक-इक लम्हा कैसे तुम बिन,
भी तुम्हारे ही साथ गुजरा है....
मैं तुमको बताऊँगी मैं.....
जिन्दगी का तो पता नही..
पर तुम्हारे बिन जिन्दगी का,
इक भी लम्हा गुजरा नही...!!!

Friday 6 February 2015

Valentine..डायरी....तुम सिर्फ मुस्करा देते हो........!!!

तुमसे बाते-बाते..करते-करते..            
वो मेरा यूँ ही रूठ जाना...
और वो तुम्हारा कुछ ना कह कर,
मुझे अपने गले से लगाना...
उस इक लम्हे के लिये ही,
मैं तुमसे बार-बार रूठती थी.....
तुम्हे पता था....कि
मुझसे तुम्हारा नाराज होना..
मैं नही सह पाती थी...
रो देती थी...
मेरा रोना तुम नही देख पाते थे...
तो कभी तुम मुझसे..
नाराज ही नही हुए....
जहाँ मैं गलत होती थी..
वहां भी तुम मुझे मना लेते थे....
मेरी हट जिद पूरी करते थे...
तुमने कभी कहाँ नही पर,
तुम्हारे प्यार जताने का...
अंदाज़ यही था....
अपनी प्यारी बातो में,
तुम मुझको उलझा देते हो...
मैं समझू कुछ उससे पहले,
तुम मुझको बहला देते हो....
हार तो मैं तब जाती हूँ...
मेरे रूठने पर भी जब,
तुम सिर्फ मुस्करा देते हो........!!! 

Thursday 5 February 2015

Valentine..डायरी....चाँद में तुम्हे ही पाया है.....!!!

वो ढलते सूरज की सिंदूरी शाम..
वो अपनी हाथेलियों में...
लिखती-मिटाती मैं तुम्हारा नाम....
वो असमान को घेरते...
तारो की राते...                                    
वो घंटो निहारते..
चाँद की बाते.....
मुझे देखती.....
तुम्हारी आखों के सवाल..
मेरी झुकती पलकों के जवाब.....
वो तुम्हारे कांधे पर सर रख कर,
 गुजरती ना जाने कितनी...
खुबसूरत राते...
वो चाँद का पीछा करती....
हमारी आँखे.....
लो मैंने......
आज फिर चाँद से तुम्हारे लिए...
एक सन्देश भिजवाया है,
तुम भी नज़र भर कर देख लेना...
मैंने अभी-अभी....
चाँद में तुम्हे ही पाया है.....!!!

Wednesday 4 February 2015

Valentine..डायरी....निशानिया है प्यार की....!!!

         
मेरी चूड़ियों की खनक..
मेरे हाथो में रची...
महंदी की महक..
तुम्हे बहुत भाती थी..
तुम्हारी ही फरमाइश पर,
मैं हर रोज़ अलग-अलग रंगों की,
चूड़िया पहन कर आती थी...
और महंदी हर मौसम..
सिर्फ तुम्हारे लिये रचाती थी...
तुम हँसते हुये कहते थे...
ये महंदी से रची हथेलिया..
चूड़ियों से सजी कलाई... 
मुझे  खिचती है...तुम तक...
और...तुम किसी फिल्म का,
डायलाग बोलते थे..कि 
""ये हाथ मुझे दे दे ठाकुर""..और.
फिर दोनों हँसते रहते थे....
मेरी चूड़िया....तुम्हारी छुअन..
आज भी महसूस कर..शरमाती है...
मेरी महंदी...आज भी तुम्हारे स्पर्श को,
महसूस कर और....भी निखर जाती है....
और यही सच भी है....
कभी हाथो में टूटती चूडिया...
कभी आखों का बिखरता काजल...
कभी तेज होती साँसे...
कभी धडकनों की हलचल.....
ये और कुछ नही.....
निशानिया है प्यार की....!!!

Monday 2 February 2015

Valentine..डायरी....धड़कनो का शोर...!!!


सुना है प्यार में धड़कने,
बहुत जोर से धड़कती है..
मैं कभी इन धड़कनो...
का शोर नही सुना था...
कभी महसूस नही किया था...कि
धड़कने कैसे धड़कती है...
उस दिन जब साथ चलते-चलते,
अचानक मेरे करीब रुक गये थे..
और....घबरा कर कुछ कदम,
मैं पीछे हो गयी थी...और
तुम मुस्करा कर चल दिये थे...
उस पल मैंने अपनी...
धड़कनो का शोर सुना था...
दिल पर रख कर हाथ,
धड़कते हुए उन्हें महसूस किया था...
और तुम ये कहते हुए...
हँस रहे थे...कि
बिना stethoscope के,
धड़कने महसूस हुई....
और मैं कुछ नही कह पायी...
और मुस्कराती रही.....
जितना तेज......
मेरी धड़कनों का शोर था...
उतनी ही गहरी.....
तुम्हारी खामोशिया थी....
जितनी तन्हा,
तुम्हारी महफिले थी.....
उतनी ही तुमसे रोशन....
मेरी तन्हाईया थी........!!!

Valentine..डायरी..होटों पर ठहरी हुई कोई बात.....!!!



उस दिन तुम अपने हाथों में..
इक बॉक्स लिये मेरे पास आये थे..
और यूँ ही मेरी तरफ,
अपने हाथ बढ़ाते हुए कहा था...
कि चलोगी मेरे साथ...
मैं तुम्हारे इस अचानक पूछने पर,
कुछ सोच में पड़ गयी थी...
और कुछ कह नही पायी थी...
वो बॉक्स जिसमे तुमन
ख़त लिख कर रखे थे...
वही छोड़ कर....
तुम बिना कुछ कहे...
बिना मेरी तरफ देखे,
मुड़ कर चले गये थे...
तुम्हारे जाने के बाद,
मैंने वो सारे ख़त पढ़े...
जिसमे तुमने मुझमे पसंद,
हर बात का जिक्र किया था ....
मुझ पर कौन सा रंग जचता है...
मेरी कौन सी बात तुम्हे भाती है..
उन तमाम खतो में तुमने कही,
ये जिक्र नही किया कि.....
तुम मुझे प्यार करते हो....
उस दिन भी शायद,
तुम यही कहने आये थे...
पर कह नही पाये...और
मेरे जवाब को जाने बैगेर,
तुम चले गये....
इक बार जो मुड़ कर देखते..
तो मैंने भी साथ चलने के लिये,
तुम्हारी ओर अपना हाथ बढाया था...
मैं आज भी उन खतो को,
थाम कर कब से,
तुम्हारे इन्तजार में बैठी हूँ.....
अभी तक
तुम उन राहो से.....
कभी गुजरे ही नही.......!!!!

Sunday 1 February 2015

Valentine..डायरी..कुछ अनछुए एहसास.....!!!

मैं तुम्हारे साथ तो रही...                
तुम्हे पसंद भी करती थी....
पर ये नही जानती थी......
कि तुम्हे प्यार करती हूँ या नही 
तुमसे बाते करना.....
तुम्हारे साथ वक़्त बिताना.....
सभी अच्छा लगता था......
पर तुम मेरी जरुरत हो...
ये नही जानती थी....
मैं क्यों तुम्हारे साथ हूँ....
ये भी नही जानती थी....
ऐसी कौन सी चीज है....
जो मैं तुम्हारे साथ हूँ......
इसी सवाल के जवाब की...
तलाश में मैं थी.....कि 
इक दिन जब मैं तुम्हारे साथ थी....
कि अचनाक बादलो के...
गरजने के साथ-साथ...
बिजली का कड़कना कि.....अचनाक 
मैंने तुम्हारे हाथों को....
कस के पकड़ लिया था....और 
तुम्हारा ये कहना....मुझे सम्हालते हुए ....
कि  कुछ नही हुआ.....
उस पल मुझे एहसास हुआ.....
कि तुम क्या हो मेरे लिये,
और मैं सिर्फ इतना कह पायी थी....कि 
जब कभी जो कही मैं डर जाऊं...
या हार के टूटने लगूं..
तुम मेरा हाथ अपने हाथो में,
मजबूती से पकड़ कर रखना...
यक़ीनन मैं टूट भी गयी तो..
कभी बिखारुंगी नही......!!!