Friday 13 February 2015

Valentine..डायरी...अभी बाकी था....!!!

तुम्हारी आखों में उतर कर,
तुम्हारे दिल के सच को जानना....
अभी बाकी था....
जो तुम लब्जों में नही कह पाये,
उस ख़ामोशी को सुनना...
अभी बाकी था...
तुम्हारे लिये..
उगते सूरज की किरन,
ढलती सिंदूरी शाम की,
लालिमा लाना...
अभी बाकी था...
तुम्हारे साथ रात ढले,
खुली आखों के रतजगे...
अभी बाकी है
तुम्हारे लिये हद से गुजरना,
अभी बाकी था...
तुम्हारे अक्स को,
अपने शब्दों में उतारना..
अभी बाकी था....
तुम्हारी बाहों में,
मेरा टूट कर बिखरना..
अभी बाकी था....!!!

3 comments:

  1. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (15-02-2015) को "कुछ गीत अधूरे रहने दो..." (चर्चा अंक-1890) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    पाश्चात्य प्रेमदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. वेलेंटाइन दिवस पर सुन्दर रचना...सार्थक प्रस्तुति...

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  3. अभी बाकी था....
    तुम्हारी बाहों में,
    मेरा टूट कर बिखरना..
    अभी बाकी था....!!!
    umda ....pyaar ke ahsaaso ki khubsurat abhivyakti ..badhayi shubhkamnaye :)

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