Sunday 8 February 2015

Valentine..डायरी....तुम जीने की वजह बन गये.…..!!!

मेरी बेवजह जिंदगी की.....                        
तुम न जाने कब जीने की.…… 
वजह बन गये.……
तुम्हारी हर छोटी-बड़ी चाह 
मेरी जिंदगी की चाहत बन गयी.…
बेतरतीब, बेफिक्र जिंदगी मैं जी रही,
तुम मेरी जिंदगी की फ़िक्र बन गये.…
मैं लिखती हूँ जो कोरे पन्नो पर,
तुम पन्नो पर बिखरे,
वो शब्द बन गये.… 
मेरी बेवजह जिंदगी की..... 
तुम जीने की वजह बन गये.… 
जिसने भी देखा है मेरी आँखों मे… 
तुमको ही पाया है  …… 
मेरी हर बात में,
हर बार जिक्र तुम्हारा ही आया है…
मैंने एहसासो,
जज्बातो,ख्वाबो को सजाया है..
अपने शब्दो में, 
जिसने भी पढ़ा है मुझको...
तुमको ही पाया है मेरे शब्दो में........!!!

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