इक दिन कुछ देर,
तुम्हारे हाथो को थाम कर...
तुम्हारे सारे दर्द..
मैं ले लुंगी.....
इक दिन तुम्हारे सीने पर,
सर रख धड़कनो को,
तुम्हारी सारे सुर ..
मैं दे दूंगी.....
इक दिन तुम्हारी पलकों को,
अपने होटों से छु कर,
सारे ख्वाब...
मैं दे दूंगी....
इक दिन तुम्हे गले से लगा कर,
सारे एहसास...
मैं दे दूंगी....
इक दिन तुम्हारी आखों में,
देख कर कह दूंगी...
प्यार तुम्ही से करती हूँ...
अपना सारा विश्वास...
तुम्हे दे दूंगी.....
यकीनन तुम जीत लोगे,
दुनिया को...
मैं हार कर तुमसे ...
अपने दिल का हर राज
तुम्हे दे दूंगी...!!!
Thursday, 12 February 2015
Valentine..डायरी... सारा विश्वास तुम्हे दे दूंगी...!!!
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सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (14-02-2015) को "आ गया ऋतुराज" (चर्चा अंक-1889) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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पाश्चात्य प्रेमदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteआपकी गज़ल को कोई दिल से लगा ले
ReplyDeleteमेरी शुभकामनाएं.
सुन्दर सार्थक प्रस्तुति...
ReplyDeleteअच्छी भावाभिव्यक्ति
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