Wednesday 11 February 2015

Valentine..डायरी... कुछ ख्वाब..ख्वाब ही रहे..तो अच्छा है....!!!

वो इक ख्वाब जो तुमने...
मुझे बताया था...
वो इक ख्वाब जो कई बार..
तुम्हारी नींदों में आया था....
कि कई बार तुम्हे सुलाने,
तुम्हारे सिरहाने कोई आता है,
कि कई बार तुम्हे जगाने,
तुम्हारे सिरहाने कोई गुनगुनाता है.....
तुमने बताया था कि...
कई बार सुने पड़े अपने कमरे में,
किसी के पयाल की...
छम-छम सुनी है तुमने....
तुमने बताया था कि,
जाने क्यों लगता है...
कि तुम्हारी रसोई से...
किसी की चूड़ियों की,
खनक सुनाई देती है....
तुमने बताया था कि...
जब तुम पीछा करते हो..
इस आहट का तो वो,
कही गुम सी हो जाती है....
तुम थक कर,हार कर,
जब अपनी आँखे बंद करते हो..
तो कोई चेहरा तुम्हे दिखता है....
जो बहुत अपना-अपना...
सा लगता है...
पर तुम पहचान नही पाते हो....
मैं चुप-चाप तुम्हारे,
उस ख्वाब को सुन लेती हूँ...
तुम पगला गये हो....
ये कह कर हँस देती हूँ...
और डरती हूँ...
कि कही वो धुँधला चेहरे को,
तुम पहचान ना लो,
कही उस पयाल की..
छम-छम में,
तुम किसी की धड़कने..
ना सुन लो...
कही किसी चूड़ियो की खनक,
कोई सवाल न करे तुमसे...
सोचती हूँ कि....कुछ ख्वाब...
ख्वाब ही रहे..तो अच्छा है....!!!

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