Tuesday 27 September 2011

जिन्दगी चलने लगी...... !!

जब ठहरी सी लगी जिन्दगी,
तो घबरा कर मैं चलने लगी
जब भी हार कर थम गए कदम,
तो देखा जमी चलने लगी...

नजरो से दूर मंजिल ठहरी सी लग रही थी,
मैं जैसे ही बढ़ी मंजिल की तरफ 
तो देखा मंजिल भी चलने लगी...

मैं भाग रही थी जितनी भी,
अपनी परछाई से 
जा तो रही थी महफ़िल में,
पर देखा मेरे साथ
मेरी तन्हाई भी चलने लगी...

मैं भूलना चाहती थी,
अतीत की यादो को
छोड़ कर जैसे ही
इन यादो को आगे बढ़ी,
पर मुड कर देखा मेरे साथ,
यादे बन कर परछाई चलने लगी...

जब चल रहे थे सभी मेरे साथ,
मैं ठहर जाना चाहती थी
कुछ पल ही गुज़रे
तो देखा मैं ठहरी ही रही 
जिन्दगी चलने लगी.....!


Tuesday 20 September 2011

फिर खोई सी थी......!!!


छत पर बैठी तन्हा,                                  
खोई-खोई सी थी,
वो कुछ न बोली,
उसकी आखें बोल रही थी,
वो रात भर नही सोयी थी..
एक टक कर रही इंतजार,
किसी अपने का 
वो नही आया टुटा उसका भ्रम,
वो बहुत रोई थी, 
आंसुओ में अपने दर्द को,
बहा दिया था उसने 
फिर गुमसुम बैठी सोच रही थी 
उस पल को जो बीत गया था,
क्या खोया?क्या पाया?
फिर इसमें उलझी,फिर खोई सी थी......

Monday 12 September 2011

तुम्हारे लिए वो प्यार है.....!!

होगी तुम्हारे लिए यह मेरी लिखी
सिर्फ यह एक कविता,
मेरे लिए तो यह शब्दों में जो समेट कर रखा है
तुम्हारे लिए वो प्यार है.....

जिसका हर शब्द तुम्हे पुकारता है,   
जिसकी हर एक पंक्ति,
तुम्हारे एहसासों की गवाही देती है... 
सिर्फ तुम ही नही देख पाते हो!
वरना सभी को मेरी हर कविता में,
तुम्हारी छवि दिखाई देती है...

होगी तुम्हारे लिए मेरी कविताये
कागज़ में लिखी चंद पंक्तिया...
मेरे लिए यह मेरी धड़कने है,
सिर्फ तुम ही नही सुन पाते हो!
वरना सभी को हर पंक्ति में,
मेरी धडकने सुनाई देती है...

होगी तुम्हारे लिए यह कविता,
मेरी कल्पनाओं,मेरे ख्यालो में
लिखी कुछ पंक्तिया..
मेरे लिए यह भावनाओं,एहसासों से
पिरोयी हर एक पंक्ति है...
सिर्फ तुम ही नही समझ पाते हो इसकी गहरायी!
वरना हर किसी को मेरी हर पंक्ति में
प्यार की सच्चाई दिखाई देती है....

Friday 2 September 2011

तुम्हारे है.... !!!


कुछ मैंने लिख दिए हैं,
कुछ अधलिखे हैं,
वो सारे गीत तुम्हारे है...

कुछ ख्वाब मैंने देख लिए हैं,
कुछ अनदेखे हैं,
वो सारे सपने तुम्हारे हैं...

कुछ मैंने कह दी हैं,
कुछ अनकही सी हैं,
वो सारी बाते तुम्हारी हैं....

कुछ एहसासों को शब्द दिए है मैंने, 
कुछ एहसास निशब्द रह गए हैं,
वो सारे शब्द तुम्हारे हैं...

कुछ दिन बीत गए हैं तुम्हारी यादो के संग,
कुछ इंतजार के है,
वो सारे पल तुम्हारे हैं....
मेरी हर ख़ुशी तुमसे ही हैं,
मेरा आज,मेरा कल तुम्हारा हैं....!