ये रास्ते जिन्दगी के....ये रिश्ते जिन्दगी के.....
आज उस मोड़ पर आ पहुंची हूँ मैं,जहाँ रास्तो और रिश्तो में
किसी एक को अपनाना है मुझे.....
रास्ते वो जो मंजिल तक ले जायेंगे मुझे,
रिश्ते वो जिनके बिना मंजिल मिल जाने पर भी, ख़ुशी अधूरी है मेरी.....
आज उस मोड़ पर आ पहुंची हूँ ....जहाँ
मंजिल और खुशियों में,
किसी एक को अपनाना है मुझे....
कुछ रास्ते ऐसे भी है...
जो हर रिश्ते से आगे ले जायेंगे,
इक अलग मुकाम दिलायंगे मुझे...
पर खड़ी हूँ सोच में हूँ..
क्या रिश्तो के बिना ये मुकाम,
मेरी पहचान दिला पायेंगे मुझे...
आज उस मोड़ पर आ पहुंची...जहाँ
मुकाम और पहचान में,
किसी एक को अपनाना है मुझे....
जिन्दगी ने मुझे ऐसे,
दो राहे पर ला कर खड़ा कर दिया है,
जहाँ ग़र रास्तो को चुनती हूँ तो....
रिश्तो को खो दूंगी.....
ग़र रिश्तो को चुनती हूँ तो...
खुद को खो दूंगी मैं......
जिसको भी चुनूगी हार मेरी ही होगी....
सोच में हूँ जिन्दगी का सफ़र,
इस मोड़ पर ही खत्म क्यों नही हो जाता .....
ये रास्ते जिन्दगी के....ये रिश्ते जिन्दगी के......!!!