Monday 30 April 2012

ये रास्ते जिन्दगी के....ये रिश्ते जिन्दगी के......!!!


ये रास्ते जिन्दगी के....ये रिश्ते जिन्दगी के.....              
आज उस मोड़ पर आ पहुंची हूँ मैं,
जहाँ रास्तो और रिश्तो में
किसी एक को अपनाना है मुझे.....

रास्ते वो जो मंजिल तक ले जायेंगे मुझे,
रिश्ते वो जिनके बिना मंजिल मिल जाने पर भी, ख़ुशी अधूरी है मेरी.....
आज उस मोड़ पर आ पहुंची हूँ ....जहाँ
मंजिल और खुशियों में,
किसी एक को अपनाना है मुझे....

कुछ रास्ते ऐसे भी है...
जो हर रिश्ते से आगे ले जायेंगे,
इक अलग मुकाम दिलायंगे मुझे...
पर खड़ी हूँ सोच में हूँ..
क्या रिश्तो के बिना ये मुकाम,
मेरी पहचान दिला पायेंगे मुझे...
आज उस मोड़ पर आ पहुंची...जहाँ 
मुकाम और पहचान में,
किसी एक को अपनाना है मुझे....

जिन्दगी ने मुझे ऐसे,
दो राहे पर ला कर खड़ा कर दिया है,
जहाँ ग़र रास्तो को चुनती हूँ तो....
रिश्तो को खो दूंगी.....
ग़र रिश्तो को चुनती हूँ तो...
खुद को खो दूंगी मैं......
जिसको भी चुनूगी हार मेरी ही होगी....
सोच में हूँ जिन्दगी का सफ़र,
इस मोड़ पर ही खत्म क्यों नही हो जाता .....  
ये रास्ते जिन्दगी के....ये रिश्ते जिन्दगी के......!!!

Monday 23 April 2012

ना जाने क्यों डर सा लगता है.....!!!

ना जाने क्यों डर सा लगता है..                            
पा लूँगी कुछ मैं भी..
खो दूंगी कुछ मैं भी....
सब कुछ बिखरा-बिखरा सा लगता है....
ना जाने क्यों डर सा लगता है...

मुड-मुड कर देखती हूँ तुमको,
हर आहट पर यूँ ही रुक भी जाती हूँ....
ये दिल भी कुछ दीवाना सा लगता है.....
ना जाने क्यों डर सा लगता है...

तलाश में हूँ मंजिल की,
सफ़र पर तन्हा नही हूँ मैं...
मेरे साथ चलता,
तुम्हारा साया सा लगता  है.....
जब से मिली हूँ तुमसे,
जब से तुम्हे माना है अपना..
न जाने क्यों हर कोई अपना-अपना सा लगता है...... 
ना जाने क्यों डर सा लगता है...!!!

Wednesday 11 April 2012

मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है.......!!!

मेरी हर आहट पर तुम्हे ठहरते देखा है.....                            
मेरी धडकनों के साथ,
तुम्हारी धडकनों को धड़कते देखा है....
सबसे नजरे बचा कर,
छुपते-छुपाते तुमको मुझे देखते देखा है......

जिस राह से मैं गुजरी हूँ....
उन राहों में मेरे कदमो के निशां पर,
तुम्हे अपने कदमो को रखते देखा है......
मेरी हर बात पर छुप कर सबसे,
तुम्हे मुस्कराते देखा है....

मैंने कही भी नही है जो बाते तुमसे,
उन बातो को मेरी आखों में तुम्हे पढते देखा है.......
मैंने कहा कुछ भी नही है....
फिर भी लगता है कि
अब कहने के लिए रहा कुछ नही है.....
मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है....... 

Wednesday 4 April 2012

सिर्फ महसूस किये जाते है......!!!


कुछ एहसासों को लब्ज़ नही मिलते,
वो सिर्फ महसूस किये जाते है......
उन्हें शब्द हम क्या दे...उन्हें अर्थ हम क्या दे.....? 
जो अनजाने में इस दिल से जुड़ जाते है....
साथ होते है फिर भी तन्हाई सी रहती है,
बाते तब भी होती है..
जब खामोश हम हो जाते है.....
फिर कहाँ कुछ कहने-सुनने को कुछ बाकी रहता है,
जब एहसासों से ही एहसास समझे जाते है....
नाम उसे हम क्या दे?
जिसकी एक झलक दिख जाने भर से,
दिल को मीठी सी ख़ुशी होती है.....
क्या बतलायेंगे किसी को....?
जो न पूरी सच्ची होती है...जो न पूरी झूठी होती है......
यादे कुछ यूँ भी बन जाती है.....
जो याद नही आती सिर्फ दिल को महसूस होती है.... 
गुजरे लम्हों के साथ.. कुछ है जो गुजरता जा रहा है... 
हलचल सी मची है दिल में.....
ख़ामोशी है...तन्हाई है.... 
फिर भी साथ मेरे है कोई.....
जो सपना सा... अपना सा है....
हर पल इस दिल को एहसास दिला रहा है.....