मेरी हर आहट पर तुम्हे ठहरते देखा है.....
मेरी धडकनों के साथ,
तुम्हारी धडकनों को धड़कते देखा है....
सबसे नजरे बचा कर,
छुपते-छुपाते तुमको मुझे देखते देखा है......
जिस राह से मैं गुजरी हूँ....
उन राहों में मेरे कदमो के निशां पर,
तुम्हे अपने कदमो को रखते देखा है......
मेरी हर बात पर छुप कर सबसे,
तुम्हे मुस्कराते देखा है....
मैंने कही भी नही है जो बाते तुमसे,
उन बातो को मेरी आखों में तुम्हे पढते देखा है.......
मैंने कहा कुछ भी नही है....
फिर भी लगता है कि
अब कहने के लिए रहा कुछ नही है.....
मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है.......
This one is awesome....Best of all your poems I have read till now...
ReplyDeleteमैंने कहा कुछ भी नही है....
ReplyDeleteफिर भी लगता है कि
अब कहने के लिए रहा कुछ नही है.....
मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है.......
बेहतरीन पंक्तियाँ रची हैं सुषमा जी!
सादर
अब कहने के लिए रहा कुछ नही है.....
ReplyDeleteमेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है....... bahut bahut sundar...
मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है.......
ReplyDeleteमौन से झरता प्रेम ....
सुंदर रचना ....
अच्छी प्रेममयी रचना .......
ReplyDeleteअब कहने के लिए रहा कुछ नही है.....
ReplyDeleteमेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है......सुंदर
khubsurat ehsaso se saji kavita .....
ReplyDeleteमेरी धडकनों के साथ ,
ReplyDeleteतुम्हारी धडकनों को धड़कते देखा है....
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इसलिए पूरा विश्वास है....
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अब कहने के लिए रहा कुछ नही है.....
मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है....
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इसी तरह प्यार में डूबे लोगों के बारे में दो जिस्म एक जान कहते सुना है ....
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मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है
ReplyDeleteमैंने अपनी माथे की लकीरों को,तुम्हें पढते देखा है ......
गहरे एहसास !
शुभकामनाएँ!
प्रेम से परिपूर्ण भावमयी प्रस्तुति
ReplyDeleteसुषमा जी! बहुत सुन्दर भावभिव्यक्ति..सुन्दर रचना...
ReplyDeleteअब कहने के लिए रहा कुछ नही है.....
ReplyDeleteमेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है.......
बहुत सुन्दर भाव...
वाह....
ReplyDeleteजिस राह से मैं गुजरी हूँ....
उन राहों में मेरे कदमो के निशां पर,
तुम्हे अपने कदमो को रखते देखा है......
बहुत सुंदर प्यार भरी रचना....
bahut khub...अब कहने के लिए रहा कुछ नही है..... :)
ReplyDeleteनमस्कार जी,
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत ये कविता बहुत पसंद आयी है!!!!
जिस राह से मैं गुजरी हूँ....
ReplyDeleteउन राहों में मेरे कदमो के निशां पर,
तुम्हे अपने कदमो को रखते देखा है......
मेरी हर बात पर छुप कर सबसे,
तुम्हे मुस्कराते देखा है.... :)
मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है.....wah.....kya baat hai.
ReplyDeletewaah. sunder rachna !!
ReplyDeleteप्यार और क्या है.....जहाँ शब्द चुप रहे ..सिर्फ एक मौन .....एक छुअन सब कह जाए .....बस !!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सुष्माजी !!!!!
बहुत ही खुबसूरत लगी पोस्ट....शानदार।
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत पोस्ट !
ReplyDeleteजिस राह से मैं गुजरी हूँ....
ReplyDeleteउन राहों में मेरे कदमो के निशां पर,
तुम्हे अपने कदमो को रखते देखा है......
मेरी हर बात पर छुप कर सबसे,
तुम्हे मुस्कराते देखा है....
बहुत सुंदर
यही तो प्यार की कसौटी है बिना कुछ कहे तुम्हारी आँखों से सब समझ जाए वही तो प्यार है बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह! जी वाह! बहुत ख़ूब
ReplyDeleteकृपया इसे भी देखें-
उल्फ़त का असर देखेंगे!
खूबसूरत.....
ReplyDeleteमेरी हर आहट पर तुम्हे ठहरते देखा है.....
ReplyDeleteवाह ...बहुत बढि़या।
कोमल अहसास....सुंदर कविता !
ReplyDeleteबधाई और शुभकामनायें आप दोनों को !
ReplyDeleteजिस राह से मैं गुजरी हूँ....
ReplyDeleteउन राहों में मेरे कदमो के निशां पर,
तुम्हे अपने कदमो को रखते देखा है......
मेरी हर बात पर छुप कर सबसे,
तुम्हे मुस्कराते देखा है...
KHUBSURAT LINES WITH NICE FEELINGS.
सच कहा तुमने कि,
ReplyDeleteमेरे लफ्ज़ यहाँ कमतर हैं....
फिर भी बिन बोले, मेरी बात,
तुम्हें समझते देखा है......
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं...
ReplyDeleteतुझे ऐ ज़िन्दगी हम दूर से पहचान लेते हैं...
कुछ ना कहो...बिन बोले समझो...यही तो प्यार है...
प्यार एँ ऐसे ही होता है ... बिनकहे ही समझ आता है ...
ReplyDeleteजिस राह से मैं गुजरी हूँ....
ReplyDeleteउन राहों में मेरे कदमो के निशां पर,
तुम्हे अपने कदमो को रखते देखा है......
मेरी हर बात पर छुप कर सबसे,
तुम्हे मुस्कराते देखा है.
इन पंक्तियों को पढ़ते हुए एक चित्र-सा उभरता है मन में।
जिस राह से मैं गुजरी हूँ....
ReplyDeleteउन राहों में मेरे कदमो के निशां पर,
तुम्हे अपने कदमो को रखते देखा है......
मेरी हर बात पर छुप कर सबसे,
तुम्हे मुस्कराते देखा है....
खुबसूरत लाइन दिल को छूने वाली नहीं कहूँगा अच्छी लगी
मन को भा गई .
मैंने कही भी नही है जो बाते तुमसे,
ReplyDeleteउन बातो को मेरी आखों में तुम्हे पढते देखा है
खूबसूरत भावना
बहुत प्यारी कविता, सुन्दर एहसास, बधाई.
ReplyDeleteमैंने कही भी नही है जो बाते तुमसे,
ReplyDeleteउन बातो को मेरी आखों में तुम्हे पढते देखा है.......
मैंने कहा कुछ भी नही है....
फिर भी लगता है कि
अब कहने के लिए रहा कुछ नही है.....
मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है.......
bahut khoob
rachana
कोई बेहद अपना हर अनकही समझ ही लेता है!
ReplyDeleteसुन्दर एहसास!
कृपया मेरी १५० वीं पोस्ट पर पधारने का कष्ट करें , अपनी राय दें , आभारी होऊंगा .
Deletebahut sundar kavita
ReplyDeleteमेरी धडकनों के साथ,
ReplyDeleteतुम्हारी धडकनों को धड़कते देखा है....
सबसे नजरे बचा कर,
छुपते-छुपाते तुमको मुझे देखते देखा है......
सुषमा जी अनकही बातों और धडकनों को ऐसे ही प्रिय समझते रहें तो आनंद और आये ..सुन्दर रचना
भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
अनकही को समझ लेने के भावों को, समझ लेना,
ReplyDeleteअनकही को आँखों में पढ़ती हुई आँखों को, पढ़ लेना
निराला अंदाज........
YAHI HOTA HAI SUSHMA JI ......RACHANA BAHUT SUNDAR ....BADHAI SWEEKAREN.
ReplyDeleteKAFI DIN BEET GAYE .....MERE BLOG PR APKA AMANTRAN HAI
sundar rachna...
ReplyDeletethis called "osmosis" through hearts.
ReplyDeleteसुषमा जी ,आप की यह कविता मन को छू गई .मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं .
ReplyDeleteसुषमा जी ,आप की यह कविता मन को छू गई .मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं .
ReplyDeletesundar prastuti
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रेममयी प्रस्तुति...
ReplyDeleteअनुपम भाव संजोजन .....
bhut khusi aur romanch feel hota hai jab koi ap k man ki bat bina kahe hi smj leta hai...bhut hi sunder poem
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