Wednesday, 11 April 2012

मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है.......!!!

मेरी हर आहट पर तुम्हे ठहरते देखा है.....                            
मेरी धडकनों के साथ,
तुम्हारी धडकनों को धड़कते देखा है....
सबसे नजरे बचा कर,
छुपते-छुपाते तुमको मुझे देखते देखा है......

जिस राह से मैं गुजरी हूँ....
उन राहों में मेरे कदमो के निशां पर,
तुम्हे अपने कदमो को रखते देखा है......
मेरी हर बात पर छुप कर सबसे,
तुम्हे मुस्कराते देखा है....

मैंने कही भी नही है जो बाते तुमसे,
उन बातो को मेरी आखों में तुम्हे पढते देखा है.......
मैंने कहा कुछ भी नही है....
फिर भी लगता है कि
अब कहने के लिए रहा कुछ नही है.....
मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है....... 

50 comments:

  1. This one is awesome....Best of all your poems I have read till now...

    ReplyDelete
  2. मैंने कहा कुछ भी नही है....
    फिर भी लगता है कि
    अब कहने के लिए रहा कुछ नही है.....
    मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है.......

    बेहतरीन पंक्तियाँ रची हैं सुषमा जी!


    सादर

    ReplyDelete
  3. अब कहने के लिए रहा कुछ नही है.....
    मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है....... bahut bahut sundar...

    ReplyDelete
  4. मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है.......

    मौन से झरता प्रेम ....
    सुंदर रचना ....

    ReplyDelete
  5. अच्छी प्रेममयी रचना .......

    ReplyDelete
  6. अब कहने के लिए रहा कुछ नही है.....
    मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है......सुंदर

    ReplyDelete
  7. khubsurat ehsaso se saji kavita .....

    ReplyDelete
  8. मेरी धडकनों के साथ ,
    तुम्हारी धडकनों को धड़कते देखा है....
    *****************************************
    इसलिए पूरा विश्वास है....
    **************************************
    अब कहने के लिए रहा कुछ नही है.....
    मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है....
    ******************************************************
    इसी तरह प्यार में डूबे लोगों के बारे में दो जिस्म एक जान कहते सुना है ....
    *******************************************************

    ReplyDelete
  9. मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है
    मैंने अपनी माथे की लकीरों को,तुम्हें पढते देखा है ......
    गहरे एहसास !
    शुभकामनाएँ!

    ReplyDelete
  10. प्रेम से परिपूर्ण भावमयी प्रस्तुति

    ReplyDelete
  11. सुषमा जी! बहुत सुन्दर भावभिव्यक्ति..सुन्दर रचना...

    ReplyDelete
  12. अब कहने के लिए रहा कुछ नही है.....
    मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है.......
    बहुत सुन्दर भाव...

    ReplyDelete
  13. वाह....
    जिस राह से मैं गुजरी हूँ....
    उन राहों में मेरे कदमो के निशां पर,
    तुम्हे अपने कदमो को रखते देखा है......

    बहुत सुंदर प्यार भरी रचना....

    ReplyDelete
  14. bahut khub...अब कहने के लिए रहा कुछ नही है..... :)

    ReplyDelete
  15. नमस्कार जी,
    बेहद खूबसूरत ये कविता बहुत पसंद आयी है!!!!

    ReplyDelete
  16. जिस राह से मैं गुजरी हूँ....
    उन राहों में मेरे कदमो के निशां पर,
    तुम्हे अपने कदमो को रखते देखा है......
    मेरी हर बात पर छुप कर सबसे,
    तुम्हे मुस्कराते देखा है.... :)

    ReplyDelete
  17. मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है.....wah.....kya baat hai.

    ReplyDelete
  18. प्यार और क्या है.....जहाँ शब्द चुप रहे ..सिर्फ एक मौन .....एक छुअन सब कह जाए .....बस !!!
    बहुत सुन्दर सुष्माजी !!!!!

    ReplyDelete
  19. बहुत ही खुबसूरत लगी पोस्ट....शानदार।

    ReplyDelete
  20. बहुत ही खूबसूरत पोस्ट !

    ReplyDelete
  21. जिस राह से मैं गुजरी हूँ....
    उन राहों में मेरे कदमो के निशां पर,
    तुम्हे अपने कदमो को रखते देखा है......
    मेरी हर बात पर छुप कर सबसे,
    तुम्हे मुस्कराते देखा है....

    बहुत सुंदर

    ReplyDelete
  22. यही तो प्यार की कसौटी है बिना कुछ कहे तुम्हारी आँखों से सब समझ जाए वही तो प्यार है बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  23. मेरी हर आहट पर तुम्हे ठहरते देखा है.....
    वाह ...बहुत बढि़या।

    ReplyDelete
  24. कोमल अहसास....सुंदर कविता !

    ReplyDelete
  25. बधाई और शुभकामनायें आप दोनों को !

    ReplyDelete
  26. जिस राह से मैं गुजरी हूँ....
    उन राहों में मेरे कदमो के निशां पर,
    तुम्हे अपने कदमो को रखते देखा है......
    मेरी हर बात पर छुप कर सबसे,
    तुम्हे मुस्कराते देखा है...
    KHUBSURAT LINES WITH NICE FEELINGS.

    ReplyDelete
  27. सच कहा तुमने कि,
    मेरे लफ्ज़ यहाँ कमतर हैं....
    फिर भी बिन बोले, मेरी बात,
    तुम्हें समझते देखा है......

    ReplyDelete
  28. बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं...
    तुझे ऐ ज़िन्दगी हम दूर से पहचान लेते हैं...

    कुछ ना कहो...बिन बोले समझो...यही तो प्यार है...

    ReplyDelete
  29. प्यार एँ ऐसे ही होता है ... बिनकहे ही समझ आता है ...

    ReplyDelete
  30. जिस राह से मैं गुजरी हूँ....
    उन राहों में मेरे कदमो के निशां पर,
    तुम्हे अपने कदमो को रखते देखा है......
    मेरी हर बात पर छुप कर सबसे,
    तुम्हे मुस्कराते देखा है.

    इन पंक्तियों को पढ़ते हुए एक चित्र-सा उभरता है मन में।

    ReplyDelete
  31. जिस राह से मैं गुजरी हूँ....
    उन राहों में मेरे कदमो के निशां पर,
    तुम्हे अपने कदमो को रखते देखा है......
    मेरी हर बात पर छुप कर सबसे,
    तुम्हे मुस्कराते देखा है....

    खुबसूरत लाइन दिल को छूने वाली नहीं कहूँगा अच्छी लगी
    मन को भा गई .

    ReplyDelete
  32. मैंने कही भी नही है जो बाते तुमसे,
    उन बातो को मेरी आखों में तुम्हे पढते देखा है
    खूबसूरत भावना

    ReplyDelete
  33. बहुत प्यारी कविता, सुन्दर एहसास, बधाई.

    ReplyDelete
  34. मैंने कही भी नही है जो बाते तुमसे,
    उन बातो को मेरी आखों में तुम्हे पढते देखा है.......
    मैंने कहा कुछ भी नही है....
    फिर भी लगता है कि
    अब कहने के लिए रहा कुछ नही है.....
    मेरी अनकही बातो को तुम्हे समझते देखा है.......
    bahut khoob

    rachana

    ReplyDelete
  35. कोई बेहद अपना हर अनकही समझ ही लेता है!
    सुन्दर एहसास!

    ReplyDelete
    Replies
    1. कृपया मेरी १५० वीं पोस्ट पर पधारने का कष्ट करें , अपनी राय दें , आभारी होऊंगा .

      Delete
  36. मेरी धडकनों के साथ,
    तुम्हारी धडकनों को धड़कते देखा है....
    सबसे नजरे बचा कर,
    छुपते-छुपाते तुमको मुझे देखते देखा है......

    सुषमा जी अनकही बातों और धडकनों को ऐसे ही प्रिय समझते रहें तो आनंद और आये ..सुन्दर रचना

    भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण

    ReplyDelete
  37. अनकही को समझ लेने के भावों को, समझ लेना,
    अनकही को आँखों में पढ़ती हुई आँखों को, पढ़ लेना
    निराला अंदाज........

    ReplyDelete
  38. YAHI HOTA HAI SUSHMA JI ......RACHANA BAHUT SUNDAR ....BADHAI SWEEKAREN.

    KAFI DIN BEET GAYE .....MERE BLOG PR APKA AMANTRAN HAI

    ReplyDelete
  39. this called "osmosis" through hearts.

    ReplyDelete
  40. सुषमा जी ,आप की यह कविता मन को छू गई .मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं .

    ReplyDelete
  41. सुषमा जी ,आप की यह कविता मन को छू गई .मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं .

    ReplyDelete
  42. बहुत ही सुन्दर प्रेममयी प्रस्तुति...
    अनुपम भाव संजोजन .....

    ReplyDelete
  43. bhut khusi aur romanch feel hota hai jab koi ap k man ki bat bina kahe hi smj leta hai...bhut hi sunder poem

    ReplyDelete