ये रास्ते जिन्दगी के....ये रिश्ते जिन्दगी के.....
आज उस मोड़ पर आ पहुंची हूँ मैं,जहाँ रास्तो और रिश्तो में
किसी एक को अपनाना है मुझे.....
रास्ते वो जो मंजिल तक ले जायेंगे मुझे,
रिश्ते वो जिनके बिना मंजिल मिल जाने पर भी, ख़ुशी अधूरी है मेरी.....
आज उस मोड़ पर आ पहुंची हूँ ....जहाँ
मंजिल और खुशियों में,
किसी एक को अपनाना है मुझे....
कुछ रास्ते ऐसे भी है...
जो हर रिश्ते से आगे ले जायेंगे,
इक अलग मुकाम दिलायंगे मुझे...
पर खड़ी हूँ सोच में हूँ..
क्या रिश्तो के बिना ये मुकाम,
मेरी पहचान दिला पायेंगे मुझे...
आज उस मोड़ पर आ पहुंची...जहाँ
मुकाम और पहचान में,
किसी एक को अपनाना है मुझे....
जिन्दगी ने मुझे ऐसे,
दो राहे पर ला कर खड़ा कर दिया है,
जहाँ ग़र रास्तो को चुनती हूँ तो....
रिश्तो को खो दूंगी.....
ग़र रिश्तो को चुनती हूँ तो...
खुद को खो दूंगी मैं......
जिसको भी चुनूगी हार मेरी ही होगी....
सोच में हूँ जिन्दगी का सफ़र,
इस मोड़ पर ही खत्म क्यों नही हो जाता .....
ये रास्ते जिन्दगी के....ये रिश्ते जिन्दगी के......!!!
seedhe..mann se nikli aawwwj...
ReplyDeletebahut khoob shushma ji... mann ki uthalputhal ko achchhe shbd diye hain....
जहाँ ग़र रास्तो को चुनती हूँ तो....
ReplyDeleteरिश्तो को खो दूंगी.....
ग़र रिश्तो को चुनती हूँ तो...
खुद को खो दूंगी मैं......
काश की रास्तो और रिस्तो की मंजिल एक ही होती ...
बहुत अच्छा...
बड़ी उहापोह की स्थिति है...................
ReplyDeleteकिसे चुना जाये....................
चलिए दिमाग को दरकिनार कर दिल की सुनिए......
सुंदर अभिव्यक्ति मन की उलझन की....
ye rishte..ye raste...sundar rachna
ReplyDeleteये ही जिंदगी हैं ......और जिंदगी का सार भी
ReplyDeleteअजीब कशमकश है यह लेकिन यहां पहचान तभी मिलती है जब मुकाम हासिल होता है। रास्तों और रिश्तों की भी कमोबेश यही कहानी है। जब सारे रास्ते बंद हो जाते हैं तब रिश्तों से होकर ही कोई रास्ता निकलता है। बधाई हो आपको। विचारों के द्वंद्व को आपने शब्दों में बखूबी पिरोया है।
ReplyDeleteदोनों एक दूजे बिना अधूरे हैं ......
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!
बहुत खूब
ReplyDeleteसादर
एक दोराहे पर खड़ा मन ....असमंजस में ....
ReplyDeleteबुद्धि ,विवेक का सहारा लेकर ही करना पड़ता है चुनाव जीवन में ...यह सोचते हुए कि जीवन में सब नहीं मिलता .......कुछ तो छोडना ही पड़ता है .....!!
शुभकामनायें .....
खुद को खो दूंगी मैं......
ReplyDeleteजिसको भी चुनूगी हार मेरी ही होगी....
सोच में हूँ जिन्दगी का सफ़र,
इस मोड़ पर ही खत्म क्यों नही हो जाता ..
बहुत अच्छी पंक्तियाँ ...आभार
Wah, bahut khub
ReplyDeleteSahi mein bahut dwand hai, dharam-sankat jaisi samssya hai...:-)
ये दोराहे आते हैं ... यहीं समझ जवाब देने लगती है
ReplyDeleteजिसको भी चुनूगी हार मेरी ही होगी....!
ReplyDeleteकहीं न कहीं आदमी खुद के अस्तित्व को बचाए रखने की फिराक में होता है ..लेकिन फिर भी वक़्त उसे गुम होने पर मजबूर कर देता है ...!
३० अप्रैल को मैंने भी इसी विषय पर लिखा है..
ReplyDeleteमै भी मंजिल और रिश्ते में उलझ गयी हूँ
वैसे आपने बहुत अच्छे से और विस्तृत रूप में इसे व्यक्त किया है.....
जिंदगी अक्सर ऐसे ही दोराहों पर खड़ा कर देती है जब किसी एक को चुनना होता है ऐसे में समर्पण करे ईश्वर को और उसे चुनने दे वो हमेशा आपके लिए अच्छा ही चुनता है चाहे वो आपको शुरू में ख़राब लगे पर अंत में वही अच्छा होगा ।
ReplyDeleteसोच में हूँ जिन्दगी का सफ़रए
ReplyDeleteइस मोड़ पर ही खत्म क्यों नहीं हो जाता ...
अगर खत्म हो गया ... इस मोड़ पर तो फिर हम इसके रास्तों से वाकि़फ़ कैसे होंगे ... बहुत अच्छा लिखा है आपने ...
कल 02/05/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
...'' स्मृति की एक बूंद मेरे काँधे पे '' ...
जिन्दगी ने मुझे ऐसे,
ReplyDeleteदो राहे पर ला कर खड़ा कर दिया है,
जहाँ ग़र रास्तो को चुनती हूँ तो....
रिश्तो को खो दूंगी.....
ग़र रिश्तो को चुनती हूँ तो...
खुद को खो दूंगी मैं......
जिसको भी चुनूगी हार मेरी ही होगी....
हम जीना सीखें रिश्तों को .
हम जीना सीखें रिश्तों में ..
आपको समर्पित ...
हम क्यों जियें रिसतों को ?.
हम क्यों जियें रिसतों में..?
रिश्ते होंगे तो रास्ते बनते जायेंगे.
रास्ते होंगे अपने तो रिश्ते जुड़ते जायेंगे
रिश्ते होंगे तो रास्ते बनते जायेंगे.
ReplyDeleteरास्ते होंगे अपने तो रिश्ते जुड़ते जायेंगे
शायद यही सत्य है ....
बहुत खूब...रास्ते चुनतीं हैं तो...रिश्ते...खोने का डर है...रिश्तों से हमारा वजूद है...जिंदगी की राह तो अच्छी या बुरी सबकी कट ही जाती है...
ReplyDeleteयही जिन्दगी का सार है..यही सत्य है शायद...
ReplyDeleteबेहतरीन भाव....जिन्दगी का सच...
ReplyDeleteis kashmakash ka aalam kya bataye,
ReplyDeletekise chhode kise apnaaye jabki
mera dono se rista hai najdik ka...
यही हालत तो अर्जुन की थी...अब कृष्ण की जरूरत है !
ReplyDeleteआती हैं ऐसी परिस्थितियां भी..... मन की उहापोह को सटीक शब्द दिए हैं....
ReplyDeletewe need to strike a perfect balance while going through such mental conflicts.
ReplyDeleteइसी का नाम ज़िंदगी हैं बहुत खुबसूरत अहसास ....
ReplyDeleteजीवन में अक्सर ऐसे दोराहे मिलते हैं । और हम रास्ते के बजाये रिश्ता ही चुनते हैं ।
ReplyDeleteभावनाओं का महत्व आसानी से नाकारा जाना, नकारने वाले के लिए और जिनसे जुड़ी भावनाएं होती हैं, उनके लिए असह्य होता है, लेकिन इस द्वंद्व में फंसकर कश्मशाने वाले अकसर जीवनभर दुखी रहते हैं और जीवन को जीते नहीं, बल्कि रो-रो कर काटते हैं! जबकि इसके विपरीत इस बात की प्रबल संभावनाएं होती हैं कि भावनाओं के बहाव में बहने से अपने को बचा लेने वाले मंजिल भी पाते हैं और जीवन को अपने तरीके और समग्रता से जीते हैं! हालाँकि अपवाद सभी प्रकार के सर्वत्र मिल जायेंगे| रिश्ते भावनाएं हैं और आज के सन्दर्भ में रिश्ते उतने शाश्वत नहीं रहें कि रिश्तों के लिए "खुद" को खो दिया जाये! आप है तो रिश्ते हैं, आप नहीं तो रिश्तों को कौन पूछेगा! रिश्ते आपके लिए हैं ना कि आप रिश्तों के लिए!
ReplyDeleteअपने द्वंद्व को सार्थक तरीके से प्रस्तुत करने में आप सफल हैं!
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
ये रास्ते जिन्दगी के....ये रिश्ते जिन्दगी के.....
ReplyDeleteआज उस मोड़ पर आ पहुंची हूँ मैं,
जहाँ रास्तो और रिश्तो में
किसी एक को अपनाना है मुझे.....
खूब लिखा है आपने....आभार
खुद के सवाल जवाब में खोई खूबसूरत रचना |
ReplyDeleteस्नेह,प्यार,ममता खोजे, बस यही कहानी जीवन की !
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
आज उस मोड़ पर आ पहुंची हूँ मैं,
ReplyDeleteजहाँ रास्तो और रिश्तो में
किसी एक को अपनाना है मुझे.....
निर्णायक पंक्तियां
जिंदगी जीवन में ऐसे कितने पल खड़े करती है ... खुद से ही इसका जबाब लेना होता है ... गहरी रचना ...
ReplyDeletebahut hi jaddo jahad bhra swal hai hal nikalna bhi utna hi mushkil-------
ReplyDeletebahut hi badhiya
poonam
bahut hi kathin mod raah dhudhna bhi utna hi mushkil
ReplyDeletebahut badhiya
poonam
बहुत अच्छी रचना...बधाई...
ReplyDeleteनीरज
सार्थक सवाल करती रचना .......
ReplyDeleteकोमल अनुभूति
ReplyDeletekabhi kabhi aisi asmanjas wali sthiti ka samna karna padta hai
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति । । मरे पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।
ReplyDeleteye to koi mushkil sawal nahi....areyyyyy aankh band karo aur dono ko khushiyon ki taraju me tolo....jis faisle ko chunNe se khushi jyada mile jiwan bhar k liye....usi ko chun lo...kitna to aasan hai.
ReplyDeletebahut sunder nazm.
कोमल भाव लिए रचना बहुत अच्छी लगी|
ReplyDeleteआशा
A great dilemma, but without our loved ones our life will be emotionless.
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