
कहना था की मुझे कुछ मिले न मिले...
लेकिन जिन्दगी के हर मोड़ पर..
तुम मेरे साथ रहना..
सिर्फ तुम्हारे इक साथ के लिए
मैं अपनी हर ख़ुशी,हर ख्वाइश छोड़ दूंगी,
मेरे लिए कभी भी तुम्हारा,
ये प्यार कम ना हो.....
मैं सच में वैसी नही हूँ...
शायद तुम्हारी कल्पनाओं,
जैसी भी नही हूँ...
फिर भी जैसी भी हूँ...
सिर्फ तुम्हारी हूँ....
दिल से बहुत जुड़ते है रिश्ते...
मैंने अपनी भावनाओं,
अपने सपनो को....
अपनी ख़ुशी को जोड़ दिया है तुमसे.....
कुछ नही हूँ तुम्हारे बिना....
अपनी पहचान को भी तुमसे ही जोड़ा है....
अब जैसी भी हूँ... जो भी हूँ.. सिर्फ तुम्हारी हूँ....
लफ्जों की खूबसूरती छन-छन के निखर आई है...बहुत खूब!
ReplyDeleteमन को छूती, उद्वेलित करती कविता.. बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteशब्दों के साथ चित्र कविता को बहुत खूबसूरती से स्पष्ट कर रहा है।
ReplyDeleteसादर
बहुत ही सुन्दर रचना....
ReplyDeleteजो भी हूँ जैसी भी हूँ सिर्फ तुम्हारी हु.....
बहुत ही गहरी है ये पंक्तिया ..
अपनत्व दर्शाती बहुत ही सुन्दर रचना,,,,,
मन को छूती हुई सुन्दर रचना...
ReplyDeleteसमर्पित प्रेम की बहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteमैं सच में वैसी नही हूँ...
ReplyDeleteशायद तुम्हारी कल्पनाओं,
जैसी भी नही हूँ...
फिर भी जैसी भी हूँ
सिर्फ तुम्हारी हूँ
बहुत बहुत बहुत सुन्दर
prem aur apnapan ki gahri abhivyakti -------bahut sundar rachna ----
ReplyDeleteसुंदर समर्पण ...भाव प्रबल रचना ...!!
ReplyDeleteशुभकामनायें ...!!
शायद तुम्हारी कल्पनाओं,
ReplyDeleteजैसी भी नही हूँ...
फिर भी जैसी भी हूँ...
सिर्फ तुम्हारी हूँ....
बहुत सुन्दर
सिर्फ तुम्हारी हूँ इसलिए चाहती हूँ तुम भी मेरे रहो...सिर्फ मेरे...........
ReplyDeleteबहुत सुंदर सुषमा जी.
अनु
दिल से बहुत जुड़ते है रिश्ते...
ReplyDeleteमैंने अपनी भावनाओं,
अपने सपनो को....
अपनी ख़ुशी को जोड़ दिया है तुमसे.....
कुछ नही हूँ तुम्हारे बिना....
अपनी पहचान को भी तुमसे ही जोड़ा है....
अब जैसी भी हूँ... जो भी हूँ.. सिर्फ तुम्हारी हूँ..
KHUBSURAT AIHASAAS.
ReplyDelete♥
जैसी भी हूं...
सिर्फ तुम्हारी हूं....
बहुत भाग्यवान है वह पुरुष , जिसके लिए कहा गया है यह !
… क्या कुछ नहीं है इस कथन में …
सुषमा 'आहुति' जी
नमस्कार !
आपकी कविताओं में बिना आडंबर के सादगी भरा समर्पण भाव होता है , जो मुझे छू जाता है …
निस्वार्थ प्रेम भाव रचनाओं में आता रहे…
सदा !
सर्वदा !
चिर काल तक !
अनंत काल तक !
आभार एवं साधुवाद !!
हार्दिक शुभकामनाएं !
मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
अब जैसी भी हूँ... जो भी हूँ.. सिर्फ तुम्हारी हूँ....समर्पण ही प्यार है .
ReplyDeleteदिल से बहुत जुड़ते है रिश्ते...
ReplyDeleteमैंने अपनी भावनाओं,
अपने सपनो को....
अपनी ख़ुशी को जोड़ दिया है तुमसे.....
प्रेम समर्पण है .....इस भाव की बेहतर अभिव्यक्ति इस रचना में हुई है ...!
bahut hee khoobsoorat ehsaas mein piroyi hui ye rachna!!
ReplyDeleteप्रेम और समर्पण से भरी सुन्दर रचना...
ReplyDeleteमैं सच में वैसी नही हूँ...
ReplyDeleteशायद तुम्हारी कल्पनाओं,
जैसी भी नही हूँ...
फिर भी जैसी भी हूँ...
सिर्फ तुम्हारी हूँ....
bhut sundar
इस साथ में ही है जीवन की साँसें ...
ReplyDeleteआमीन ... ये रिश्ते यूं ही जुड़े रहें ... प्रेम की बयार बहती रहे ...
ReplyDeleteमधुर रचना प्रेम मे पगी ...
समर्पण की शानदार रचना
ReplyDeleteमैं सच में वैसी नही हूँ...
ReplyDeleteशायद तुम्हारी कल्पनाओं,
जैसी भी नही हूँ...
too gud....
प्रेम ऐसा ही समर्पण मांगता है बहुत सुन्दर पोस्ट।
ReplyDeletebahut sundar Sushama ji....
ReplyDeleteमैं सच में वैसी नही हूँ...
ReplyDeleteशायद तुम्हारी कल्पनाओं,
जैसी भी नही हूँ...
फिर भी जैसी भी हूँ...
सिर्फ तुम्हारी हूँ....very nice....
प्रेम और प्रभु...ऐसा ही समर्पण माँगते हैं...
ReplyDeleteपूर्ण समर्पण के भाव ...सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteपूर्ण समर्पण की यही तो पहचान है...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और हृदयस्पर्शी रचना !
ReplyDeletesamarpan mein khushi hai
ReplyDeletesabhi kavitayein bahut hi sundar hain.....achcha laga par kar.........
ReplyDeletebahut hi sundar rachna hai........
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