Wednesday 23 May 2012

मेरी डायरी..... !!!

फिर आज पुरानी डायरी के,                                   
पन्ने पलट रही हूँ..
इन पन्नो के साथ,
मैं जिन्दगी के गुजरे
लम्हों को पलट रही हूँ...
मेरी ख्वाइशों की तरह,
मेरी डायरी भी जिम्मेदारियों के,
बोझ तले दबी थी कही....

मैं खुद को छोड़ कर आगे बढ़ती तो रही,
पर हर मोड़ पर डायरी में बंद खुद को ढूढती रही..
पन्नो में लिखे कुछ शब्द भी धुंधले से हो गए है
गुजरे लम्हों के साथ इन शब्दों के अर्थ भी कही खो गए है.....

फिर आज मैं क्या थी? मैं क्या हूँ?
इन सवालो में उलझ गयी हूँ,
मेरी भावनाओं से बंधे थे कभी ये शब्द...
आज उन्ही भावनाओं से टूट कर बिखर गयी हूँ...
फिर आज अपनी लिखी पंक्तियों से,
जिन्दगी के लिए कुछ
साँसे उधार मांग रही हूँ....
जो खो गया है कही,
इन पंक्तियों से वो प्यार मांग रही हूँ....

आज न जाने क्यों मेरे ही लिखे शब्द,
मुझे बेगाने लग रहे है.....
मैं इन्हें पढ़ रही हूँ  ऐसे,
जैसे किसी बिछड़ी हुई,
सहेली के किस्से पुराने लग रहे है.....

अभी कुछ पन्ने ही पलटे थे मैंने,
कि इन शब्दों में खोती जा रही थी...
मैं गुम  न जाऊं उन सपनो में 
इस डर से जल्दी से डायरी मैंने बंद कर दी....

खुद से खुद की मुलाकात न हो जाए,
इससे पहले मैं इस डायरी को,
वही छुपा कर रख आई हूँ....
अब एहसास हुआ की,
मेरी डायरी कही गुम नही हुई थी.....
अपनी ख्वाइशे की तरह,
मैं खुद अपनी डायरी छिपा आई थी..... 





Monday 14 May 2012

ये दूरियाँ.....!!!


इतने पास हो तुम,
फिर भी तुमसे,                                   
सरहदों की दूरियाँ लगती है.....
जितनी बेचैन करती है मुझे,
उतनी ही खुबसूरत ये दूरियाँ लगती है....


कभी ये कितनी यादे,ख्यालों को संजोती,
ये दूरियाँ लगती है....
कभी संजो कर रक्खी हर याद को बिखेरती,
ये दूरियाँ लगती है.....
रिश्तो और जिन्दगी का हर रूप दिखाती,
ये दूरियाँ लगती है........


कभी नजदीकियां बढ़ा देती है..ये दूरियाँ,
कभी यादें भी मिटा देती है...ये दूरियाँ....
हमारे रिश्तो का इम्तहान सा लेती....
ये दूरियाँ लगती है.....

Saturday 12 May 2012

माँ तो सिर्फ 'माँ' होती है.....!

कहते है की हर किसी के साथ ईश्वर नही आ सकता था 
तो उसने सबके लिए 'माँ' को बना दिया.....!!!


हमारी हर गलती को माफ़ कर देती है                   
हर मुस्किल में हमारा साथ देती है 
सवाल मुझसे करे कोई जवाब वो देती है 
हम हमेशा बच्चे है उसकी नज़र में 
माँ तो सिर्फ 'माँ' होती है.....!!

हमें प्यार देती है 
दुलार देती है 
अपने त्याग और संघर्ष से
हमारा जीवन संवार देती है 
हमारे सपनो को पूरा करने के लिए 
अपनी सारी उम्र गुजार देती है 
माँ तो सिर्फ 'माँ' होती है...!!! 

Tuesday 8 May 2012

सिर्फ तुम्हारी हूँ....!!!

ना जाने कितनी बाते करनी होती है तुमसे.....              
कहना था की मुझे कुछ मिले न मिले...
लेकिन जिन्दगी के हर मोड़ पर..
तुम मेरे साथ रहना..
सिर्फ तुम्हारे इक साथ के लिए
मैं अपनी हर ख़ुशी,हर ख्वाइश छोड़ दूंगी,
मेरे लिए कभी भी तुम्हारा,
ये प्यार कम ना हो.....
मैं सच में वैसी नही हूँ...
शायद तुम्हारी कल्पनाओं,
जैसी भी नही हूँ...
फिर भी जैसी भी हूँ... 
सिर्फ तुम्हारी हूँ....

दिल से बहुत जुड़ते है रिश्ते...
मैंने अपनी भावनाओं,
अपने सपनो को.... 
अपनी ख़ुशी को जोड़ दिया है तुमसे.....
कुछ नही हूँ तुम्हारे बिना....
अपनी पहचान को भी तुमसे ही जोड़ा है.... 
अब जैसी भी हूँ... जो भी हूँ.. सिर्फ तुम्हारी हूँ....