हे कृष्ण.....
नही बनना चाहती थी मैं,
कोई मिशाल.......
मैं तो सिर्फ तुमसे प्रेम करती थी.......
हे कृष्ण.....
नही चाहती थी मैं....
असाधारण सी ख्याति,
मैं तो सिर्फ साधारण सा जीवन,
तुम्हारे साथ जीना चाहती थी......
मैं तो सिर्फ तुमसे प्रेम करती थी.......
हे कृष्ण.....
नही चाहती थी....
किसी मंदिर की मूरत बनना,
मैं तो सिर्फ...
तुम्हारे दिल में रहना चाहती थी....
मैं तो सिर्फ तुमसे प्रेम करती थी......
हे कृष्ण.....
नही ही चाहती थी मैं.…कि
हर घर में पूजी जाऊं,
मैं तो सिर्फ....
तुम्हे पूजना चाहती थी....
मैं तो सिर्फ तुमसे प्रेम करती थी......
कुछ पल इन अंधेरो में,
मुझे जीने दो.....
न जाने क्यों अँधेरे...
अब मुझे अच्छे लगते है...
डरती तो मैं भी थी कभी इन अंधेरो से,
तुम्हारे झूठे वादे भी सच्चे लगते थे........!
कुछ पल इन अंधेरो से,
बाते कर लेने दो मुझे.....
न जाने क्यों ये काले साये भी,
अपने से लगते है....
डरती तो मैं भी थी कभी इन सायों से,
जब मेरे हमसफ़र बनकर चलती,
तुम्हारी परछाई भी सच्ची लगती थी.......!
अब न रोको इन पतझड़ो को,
तस्वीरो में उतारने दो मुझे.....
कुछ पल और इन सूखे पत्तो के,
साथ गुजारने दो मुझे......
न जाने अब ये पतझड़ भी,
जिन्दगी से लगते है.....
डरती तो मैं भी थी कभी इन पतझड़ो से,
जब तुम्हारे साथ सूखे गुलाब भी,
खिले से लगते है.........!
अब मुझे चलने दो इन सुनी राहो पर,
अब लगने दो ठोकरे मुझको.....
न जाने क्यों ये राहे भी,
मंजिल सी लगती है......
डरती तो मैं भी थी इन ठोकरों से कभी,
जब तुम्हारा हाथ थाम,
इन राहो पर सम्हला करती थी......
न रोको मुझे अब खो देने दो खुद को,
भूल जाने दो खुद को......
कि अब डर नही लगता कुछ भी खोने से,
क्यों कि अब तुम साथ नही हो.……..............!!!
इस भीड़ में इक चेहरा ढूंढती हूँ मैं.…
मेरी दीवानगी की हद तो देखो.........
हर चहेरे में तुम्ही को देखती हूँ मैं.......!
तुम साथ दो तो ये सफ़र तय मैं कर लूँ,
यकीनन मंजिल पा लुंगी मैं.……
मेरी दीवानगी की हद तो देखो.........
अपनी परछाई में तुम्हारा अक्स देख कर,
साथ ले कर चलती हूँ मैं.……।
तुम्हारी आखों में जो खुद को देखूं,
और भी खुबसूरत लगती हूँ मैं
मेरी दीवानगी की हद तो देखो.........
तुम्हे अपना आइना मान कर,
सजती संवरती हूँ मैं.……….
तुम जरा जाओ मेरे ख्यालो से तो,
कुछ और लिखूं....
मेरी दीवानगी की हद तो देखो.........
हर शब्द में तुम्ही को लिखती हूँ मैं......!!!
हाथो में महेंदी लगी है....
कलाइयों में हरी चूड़ियाँ भी सजी है,
फिर लगी सावन की झड़ी है.....
कि हर आहट पर....
धड़कन भी धड़क रही है.......!!!
फिर किसी की याद में,
आइना सामने रख कर....
हर गोरी सज संवर रही है.....
कभी खुद में ही शरमा कर सिमट रही है....
पल-पल किसी के प्यार में,
टूट कर बिखर रही है..........!!!
कि हर आहट पर धड़कन भी धड़क रही है...........!!!
वो लबो से कुछ कहे न कहे,
उसकी पायल की झंकार,
उसकी आखों में बसा काजल में प्यार.....
चूड़ियों की खनक,
कह रही बहुत कुछ,
वो बिंदियाँ की चमक..........
कि अब प्यार खुशबू,
उसकी साँसों में उतर रही है....................!!!
कि हर आहट पर धड़कन भी धड़क रही है............!!!
जिन्दगी के हर मोड़ पर,
इक दोस्त की जरुरत होती है.....
हर रिश्ते में खुबसूरत दोस्ती होती है......
दिल की बाते दिल तक पहुँचाती,
बिना शब्दों के सब कुछ कह जाती....
दोस्ती होती है......
हर रिश्ते में खुबसूरत दोस्ती होती है......
न जाने कितने अनछुए पल,
न जाने कितनी अनकही बाते,
जिनसे मैं खुद भी अनजान थी
वो सारी सखियों को पता होती है....
कितने राज़ छुपाये....
ये दोस्ती होती है.......
हर रिश्ते में खुबसूरत दोस्ती होती है......
न जाने कितने ख्वाब देखे इन आँखों ने,
न जाने कितनी बार बादल बरसे है....इन आँखों से,
हम खुद भी बेखबर रहे है......जिन बातो से..
उन बातो की गवाह......
दोस्ती होती होती है........!!!
हर रिश्ते में खुबसूरत दोस्ती होती है......
एक अधूरे ख्वाब की,
पूरी रात है.....मेरे पास...
तुम हो ना हो,
तुम्हे जीने का एहसास है.....मेरे पास.....!
तुम्हे छोड़ कर जाना हो तो जाओ,
अभी उम्मीद छोड़ी नही है मैंने...
तुम्हारा इन्तजार करुँगी,
मुझे थामने के लिये....
तुम्हारा विश्वास है.....मेरे पास.....!!
मैं बढ़ रही हूँ,
कदम-दर-कदम मंजिल की तरफ...
मुझे तन्हा न समझना तुम कभी,
हर कदम तुम्हारा साथ है......मेरे साथ....!!!
गुजरे हुए लम्हों की बाते लेकर,
तुम्हारे ख्यालो में गुजरी राते लेकर....
अपने सिरहाने लेकर लेटी हूँ.....
मुझे नींद के आगोश में ले जाती,
तुम्हारी यादे है......मेरे पास.......!!!!
जिन्दगी के उलझे सवालो में,
कितनी बार टूट कर बिखरी हूँ....
अपने ही सवालो से........
फिर समेटा है खुद को,
मेरे सवालो के दिए....
तुम्हारे वो जवाब है......मेरे पास......!!!!!
इस भागती जिन्दगी में,
सब छुटा जा रहा है..
तुम से दूर हुए दिन हफ्तों में,
हफ्ते महीनो में,महीने साल में.....
बदलते जा रहे है......
इस बदलते वक़्त के साथ,
तुम्हारे साथ बीते लम्हात है.....मेरे साथ.....!!!!!!!
एक अधूरे ख्वाब की,
पूरी रात है.....मेरे पास...
तुम हो ना हो,
तुम्हे जीने का एहसास है.....मेरे पास.....!