इस भीड़ में इक चेहरा ढूंढती हूँ मैं.…
मेरी दीवानगी की हद तो देखो.........
हर चहेरे में तुम्ही को देखती हूँ मैं.......!
तुम साथ दो तो ये सफ़र तय मैं कर लूँ,
यकीनन मंजिल पा लुंगी मैं.……
मेरी दीवानगी की हद तो देखो.........
अपनी परछाई में तुम्हारा अक्स देख कर,
साथ ले कर चलती हूँ मैं.……।
तुम्हारी आखों में जो खुद को देखूं,
और भी खुबसूरत लगती हूँ मैं
मेरी दीवानगी की हद तो देखो.........
तुम्हे अपना आइना मान कर,
सजती संवरती हूँ मैं.……….
तुम जरा जाओ मेरे ख्यालो से तो,
कुछ और लिखूं....
मेरी दीवानगी की हद तो देखो.........
हर शब्द में तुम्ही को लिखती हूँ मैं......!!!
मेरी दीवानगी की हद तो देखो.........
हर चहेरे में तुम्ही को देखती हूँ मैं.......!
तुम साथ दो तो ये सफ़र तय मैं कर लूँ,
यकीनन मंजिल पा लुंगी मैं.……
मेरी दीवानगी की हद तो देखो.........
अपनी परछाई में तुम्हारा अक्स देख कर,
साथ ले कर चलती हूँ मैं.……।
तुम्हारी आखों में जो खुद को देखूं,
और भी खुबसूरत लगती हूँ मैं
मेरी दीवानगी की हद तो देखो.........
तुम्हे अपना आइना मान कर,
सजती संवरती हूँ मैं.……….
तुम जरा जाओ मेरे ख्यालो से तो,
कुछ और लिखूं....
मेरी दीवानगी की हद तो देखो.........
हर शब्द में तुम्ही को लिखती हूँ मैं......!!!
प्रेम में भींगी सुन्दर पंक्तियाँ.
ReplyDeleteवाह बहुत बढिया..सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteप्रेम जब दीवानेपन की हद तक पहुँच जाता है तो ऐसा ही होता है ... भावमय ..
ReplyDeleteबहुत ही प्रेमपगी भावों की अभिव्यक्ति!!
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत रचना ......
बहुत ही सुंदर प्रेमाभिव्यक्ति जी ........
ReplyDeleteबे लौस मोहब्बत हो , बेबाक सदाक़त हो
सीनों में उजाला कर , दिल सूरत -ए-मीना दे
................{इकबाल का शेर )
= ( हे परमात्मा ! ) प्रेम निःस्वार्थ हो , सच्चाई भय -मुक्त हो ,
हमारे सीनों/इरादों में सच का प्रकाश हो , ह्रदय निर्मल हों
Let love be selfless and truth fearless;
Let our breasts be flooded with light‐Make our hearts clear as crystal.
“ तेरा एहसान हैं बाबा !{Attitude of Gratitude}"
अब क्या देखे ....आपकी दीवानगी की तो कोई 'हद' ही नहीं ...!
ReplyDeleteआपका एक एक लफ्ज़ खूबसूरती की तमाम 'सरहदें' लांघ गया है ...लाजवाब !
excellent
ReplyDeleteयह दीवानगी अच्छी लगी ....
ReplyDeletehar shabd mein tumhi ko likhti hoon....Aha!!!
ReplyDeleteBahut hi sundar:-)
प्रेम भाव से भरी बहुत सुंदर पंक्तियाँ ,,
ReplyDeleteRECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.
तुम जरा जाओ मेरे ख्यालो से तो,
ReplyDeleteकुछ और लिखूं....
मेरी दीवानगी की हद तो देखो.........
हर शब्द में तुम्ही को लिखती हूँ मैं......!!!
बस यही प्यार है
behad pyare bhav hain......khubsurat shabd hain....
ReplyDeleteतू जहाँ मैं वहाँ ……बहुत खूब |
ReplyDeleteवाह! समर्पित प्रेम की बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteअलग सी कशिश ..
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
सुन्दर प्रेमपूर्ण रचना...
ReplyDelete:-)
सुंदर भाव !
ReplyDeletemast hai :)
ReplyDeleteतुम्हारी आखों में जो खुद को देखूं,
ReplyDeleteऔर भी खुबसूरत लगती हूँ मैं ......
बहुत सुन्दर सुषमा जी..............
प्रेम की भावनाओं में सजी हुई रचना ... मन में बस्ती हुई खुशबू.
ReplyDeleteदिल से बधाई स्वीकार करे.
विजय कुमार
मेरे कहानी का ब्लॉग है : storiesbyvijay.blogspot.com
मेरी कविताओ का ब्लॉग है : poemsofvijay.blogspot.com
बहुत सुंदर रचना .... !!
ReplyDeleteअगर आप काव्य संग्रह में शामिल होना चाहती हैं तो ' माँ ' विषय पर अपनी दो रचनायें
संक्षिप्त परिचय और तस्वीर भेज दें .... रचनायें स्वीकृत होने के बाद आपको प्रकाशन में आने वाले
खर्च की सहयोग राशि का कुछ अंश जमा करवाना पडेगा बदले में आपको पुस्तक की दो प्रतियाँ भेट की जायेंगी . विस्तृत जानकारी के लिए संपर्क करें .... harkirathaqeer@gmail.com
हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} के शुभारंभ पर आप को आमंत्रित किया जाता है। कृपया पधारें!!! आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा |
ReplyDeleteतुम्हे अपना आइना मान कर,
ReplyDeleteसजती संवरती हूँ मैं.……….
waah exreame bindu ....