Tuesday, 27 August 2013

हे कृष्ण.....मैं तो सिर्फ तुमसे प्रेम करती थी.......!!!

हे कृष्ण.....                                                      
             
नही बनना चाहती थी मैं,
कोई मिशाल.......
मैं तो सिर्फ तुमसे प्रेम करती थी.......

हे कृष्ण.....
नही चाहती थी मैं....
असाधारण सी ख्याति,
मैं तो सिर्फ साधारण सा जीवन,
तुम्हारे साथ जीना चाहती थी......
मैं तो सिर्फ तुमसे प्रेम करती थी.......

हे कृष्ण.....
नही चाहती थी....
किसी मंदिर की मूरत बनना, 
मैं तो सिर्फ...
तुम्हारे दिल में रहना चाहती थी.... 
मैं तो सिर्फ तुमसे प्रेम करती थी......

हे कृष्ण.....
नही ही चाहती थी मैं.…कि
हर घर में पूजी जाऊं,
मैं तो सिर्फ....
तुम्हे पूजना चाहती थी....
मैं तो सिर्फ तुमसे प्रेम करती थी......

28 comments:

  1. हे कृष्ण.....
    नही ही चाहती थी मैं.…कि
    हर घर में पूजी जाऊं,
    मैं तो सिर्फ....
    तुम्हे पूजना चाहती थी....
    मैं तो सिर्फ तुमसे प्रेम करती थी.
    प्रभावशाली प्रस्तुति ...

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  2. बहुत सुन्दर.. कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें

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  3. aapne अनन्य प्रेम ,विशुध्ह प्रेम का का सुंदर चित्रण किया हैं |

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  4. सच्चा प्रेम कुछ नहीं चाहता सिवाय निकटता के
    सुन्दर

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - बुधवार- 28/08/2013 को
    हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः7 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra

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  6. हर शब्द कृष्णमय...जय श्री राधे कृष्ण

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  7. हे कृष्ण.....
    नही ही चाहती थी मैं.…कि
    हर घर में पूजी जाऊं,
    मैं तो सिर्फ....
    तुम्हे पूजना चाहती थी....
    आदरणीया सुषमा जी बहुत सुन्दर भाव ..भगवान् के भक्त भी तो पूजे जाने लगते ही हैं ..
    आप सभी मित्र मण्डली को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें ...जय श्री कृष्णा
    भ्रमर ५

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  8. बहुत सुन्दर सहज भावों की अभिव्यक्ति

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  9. सुन्दर रचना.....सुन्दर भाव..............

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  10. prem ke sath puja ka maan bhi sahaj mil jaata hai !
    sundar rachana , aabhar ke sath !

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  11. बहुत सुन्दर .जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ
    latest postएक बार फिर आ जाओ कृष्ण।

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  12. आपको कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें

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  13. बहुत ही बेहतरीन रचना....
    कृष्णा जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ....
    :-)

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  14. सुन्दर ....! वाकई कितना अखरता होगा राधा को कृष्ण को बांटना ....

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  15. जी कृष्ण के प्रेम में खो गया ... फिर उसकी सुध वो ही लेते हैं ...

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  16. बहुत ही सुन्दर रचना ।

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  17. bahut sundar likha hai apne .....prem me aisi urja hoti hai ya to nam kr deti hai ya badnam kr deti hai .....prem hone ke uprant to ye sb hota hi hai chahe chahen ya na chaahen ....prem eeshwar ki nakatata hi deti hai .

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  18. सुन्दर प्रस्तुति

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  19. nice one ,mere bhi blog me padhare

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  20. Behatarin Kavita Sushmaji...Khudkismati se main aapke blog par aa pahuncha..sari kavitayen aur gazals kamal ke hain. Many congratulations for fabulous work!!!

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