Monday 11 April 2016

मैं अधूरी ही रही.....!!!

मैंने कभी तुम्हे दिखाया ही नही की,
मैं कमजोर हूँ...
कि मुझे भी दर्द होता है,
कि मुझे भी तन्हाइयां घेरती है...
क्यों कि मुझे पता था कि,
मुझे तो तुम्हे भी सम्हालना है....
तुम्हारे लिये मुझे हमेसा...
वैसे ही मजबूत बन कर रखना है..
ऐसा नही है कि.. 
मैं कभी रोई नही,
पर तुम्हारे आसुंओं में मैंने,
अपने आंसू छुपा लिये,
मैं हँसती रही,अपने हर दर्द को छिपा कर.....
मैंने आँखों के आंसुओ को रोक लिया,
जिससे तुम मेरी आँखों में,
अपना अक्स देख सको,
क्यों कि मुझे पता था मेरा हारना,
तुम्हे भी तोड़ देगा..
मेरा हारना,
तुम्हारी जीतने का सबब है......
इसलिए मैं अधूरी ही रही,
मेरा अधूरा रहना,तुम्हे पूरा करता है....
इसलिए मैं अधूरी ही रही....!!!

Friday 8 April 2016

वो रूहानी एहसास जी ले....!!!

वैसे तो अरसे से हम साथ रह रहे है,
साथ रहते-रहते,
इक दूसरे की आदत तो गयी है,
पर वो साथ रहने का,
जो वो रूहानी ख्याल कही खो गया है,
प्यार एहसास से आदत में बदल गया,
समझ ही नही पाये....
खो गया वो रोमांच...
जो यूँ ही अचानक.....
हमारे हाथो के टकराने का महसूस होता था..
वक़्त के साथ हमारे बीच,
साथ रहने की मजबूरिया तो बन गयी है,
पर वो हमारे साथ होने की गहराइयाँ,
कही खो गयी है..
क्यों फिर इक बार वो रोमांच,
वो रूहानी एहसास जी ले....
इक बार फिर तुम मेरा हाथ थाम कर,
उस राह पर चल पड़ो,
जहाँ तुम्हारे होने एहसासों से,
इक सिरहन सी दौड़ जाती थी..
वो इक दिन की,
मुलाकात का रूहानी एहसास,
कई महीनो तक...
दिल की धड़कनो को बढ़ा देता था....
चलो क्यों ना फिर ठहर जाये,
इस जद्दोजहद से दूर,
उन्ही राहो पर चल पड़े,
जहाँ हमारी जिंदगी सांसो से नही..
हमारे साथ से चलती थी...

Thursday 7 April 2016

फिर पूछते हो कौन हूँ मैं...!!!

क्यों ना कभी तुम चुपके से पीछे से आकर,
अपनी हथेलिया मेरी पलकों पर रख दो,
फिर पूछो की कौन हूँ मैं,
और मैं तुम्हारी हथेलियों के,
एहसास से जान कर भी,
अनजान बन जाऊं और,
तुम्हारा नाम छोड़ कर,
कितने ही नाम तुम्हे गिना दूँ,
फिर तुम नाराज हो जाओ..
और मैं प्यार से कहूँ,
कि क्या तुम्हारे सिवा कोई और,
मेरी पलको पर बंद कर सकता है कोई,
तुम  खुद एहसास बन कर,
मुझमे रहते हो....
फिर पूछते हो कौन हूँ मैं....

Wednesday 6 April 2016

सिर्फ प्यार ही नही था हमारे बीच.....!!!

सिर्फ प्यार ही नही था हमारे बीच,
कुछ ऐसा है...
जो सांसो को हमारी जोड़ता है,
तुम्हारी वो दोनों आँखे,
जिनमे सारा दिल बसता है,
तुम्हारी धड़कती वो बाते,
जो मेरी सोच पर,
मेरे ख़्यालो में शामिल रहती है...
सिर्फ प्यार ही नही था हमारे बीच,
कुछ ऐसा है जो कि तुम्हारी यादे,
मेरे दिमाग की बात ही नही मानती,
कुछ पलों की ही है दुरी...
पर मेरे धड़कने हर पल,
तुम्हे साथ चाहती है...
सिर्फ प्यार ही नही था हमारे बीच,
कुछ ऐसा है हमारे बीच,
मैं देखु कुछ भी,
उसे देखने का नजरिया तुम्हारा होता है...
सिर्फ प्यार ही नही था हमारे बीच,
कुछ ऐसा है साँसे तुम्हारी होती है,
जिन्दगी मैं जी जीती हूँ....

Friday 1 April 2016

चलो गुर तुम्हे लिखने के सीखा देती हूँ....!!!

चलो गुर तुम्हे लिखने के सीखा देती हूँ....
तुम कागज़ कलम ले के,
साथ बैठो तो मेरे,
मैं एहसास तुम्हे,
जीने के बता देती हूँ..
चलो गुर तुम्हे लिखने के सीखा देती हूँ....
कुछ देर मेरी आँखों में,
अपलक देखो तुम जरा,
तुम्हे आँखों को पढ़ना सीखा देती हूँ..
चलो तुम्हे गुर लिखने के सीखा देती हूँ...
कोई रात मेरे साथ...
चाँद को निहारते गुजारो जो तुम,
तुम्हे चाँद की खूबसूरती के,
राज बता देती हूँ...
चलो तुम्हे गुर लिखने के सीखा देती हूँ...
कभी कोई ढलती शाम,
जो तुम्हारे काँधे पर सर रख कर गुजारूं,
तो तुम्हारे धड़कनो के,
राज तुम्हे बता देती हूँ...
चलो तुम्हे लिखने के गुर सीखा देती हूँ....
कभी जो किसी बारिश में,
भीगो जो मेरे साथ....
मैं तुम्हे हमें भिगोती बूंदों की,
साजिशे बता देती हूँ...
चलो तुम्हे गुर लिखने के सीखा देती हूँ...!!!