सिर्फ प्यार ही नही था हमारे बीच,
कुछ ऐसा है...
जो सांसो को हमारी जोड़ता है,
तुम्हारी वो दोनों आँखे,
जिनमे सारा दिल बसता है,
तुम्हारी धड़कती वो बाते,
जो मेरी सोच पर,
मेरे ख़्यालो में शामिल रहती है...
सिर्फ प्यार ही नही था हमारे बीच,
कुछ ऐसा है जो कि तुम्हारी यादे,
मेरे दिमाग की बात ही नही मानती,
कुछ पलों की ही है दुरी...
पर मेरे धड़कने हर पल,
तुम्हे साथ चाहती है...
सिर्फ प्यार ही नही था हमारे बीच,
कुछ ऐसा है हमारे बीच,
मैं देखु कुछ भी,
उसे देखने का नजरिया तुम्हारा होता है...
सिर्फ प्यार ही नही था हमारे बीच,
कुछ ऐसा है साँसे तुम्हारी होती है,
जिन्दगी मैं जी जीती हूँ....
Wednesday, 6 April 2016
सिर्फ प्यार ही नही था हमारे बीच.....!!!
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खूबसूरती से लिखी कविता , अच्छी लगी
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (08-04-2016) को "नैनीताल के ईर्द-गिर्द भी काफी कुछ है देखने के लिये..." (चर्चा अंक-2306) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
प्यारी कविता
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.. नवरात्र पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ...
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