Saturday 26 January 2013

उसने मुड़ कर देखा तो होता.........!!!

कभी तो मेरे शब्दों ने....                           
उसकी धडकनों को छुआ तो होता.....
कभी तो मेरी ख़ामोशी को.....
उसने सुना होता.....
कभी तो मेरे दिल का दर्द....
उसके दिल में उतर गया होता......
कभी तो मेरी यादो का झोका....
उसको छू कर गुजर गया होता.....
कभी तो यूँ चलते-चलते मेरे कदमो के निशां ने.....
उसके कदमो को रोका तो होता.......
कभी तो मेरी पलकों पर......
उसने अपने ख्वाबो को रखा तो होता......
मैं सच करती उसका हर ख्वाब.......
उसने मुझे पर थोडा भरोसा तो किया होता......
मैं साथ ही तो थी कभी तो......
उसने मुड़ कर देखा तो होता.........!!!

Sunday 13 January 2013

तुम कहो तो....!!!

कुछ 'शब्द' समेटे है मैंने....तुम्हारे लिए... .                          
तुम कहो तो इन्हें पन्नो पर.........बिखेर दूँ.......

कुछ 'रंग' जिन्दगी से चुराये है.....तुम्हारे लिए... 
तुम कहो तो जिन्दगी में तुम्हारी.....भर दूँ....

कुछ 'ख्वाब' छुपा लिए अपनी आखों में....तुम्हारे लिए... 
तुम कहो तो तुम्हारी पलकों पर.....रख दूँ 

कुछ 'लकीरे' किस्मत से चुराई है....तुम्हारे लिए...
तुम कहो तो तुम्हारी हथेलियों पर....सजा दूँ .....

कुछ 'लम्हे' संजो कर रखे है.....तुम्हारे लिए 
तुम कहो तो तुम्हारे साथ.......गुजार लूँ.....

कुछ 'राहे' बना ली है.....तुम्हारे लिए... 
तुम कहो तो तुम्हे मंजिल तक.....छोड़ दूँ..... 

Thursday 3 January 2013

तुम्हारी ख़ामोशी.......!!!


बहुत कुछ लिखवा लेती है,              
तुम्हारी ख़ामोशी.......
तुम कुछ कहते भी नही,
न जाने क्या समझा देती है....
तुम्हारी ख़ामोशी...

अब तक जो कुछ लिखा,
जो कुछ भी जाना..वो,
तुम्हारी ख़ामोशी की अभिवयक्ति थी....
मेरे अनकहे एहसासों को शब्द देती है,
तुम्हारी ख़ामोशी....
इन शब्दों का अर्थ होती है,
तुम्हारी ख़ामोशी....

मैं सोच में हूँ की तुम्हारी ख़ामोशी,
इतना क्यों बोलती है ?
मैं जाना भी चाहूं छोड़ कर तो,
खामोश रह कर भी मुझे पुकार लेती है......

तुम्हारी ख़ामोशी......