Saturday 26 January 2013

उसने मुड़ कर देखा तो होता.........!!!

कभी तो मेरे शब्दों ने....                           
उसकी धडकनों को छुआ तो होता.....
कभी तो मेरी ख़ामोशी को.....
उसने सुना होता.....
कभी तो मेरे दिल का दर्द....
उसके दिल में उतर गया होता......
कभी तो मेरी यादो का झोका....
उसको छू कर गुजर गया होता.....
कभी तो यूँ चलते-चलते मेरे कदमो के निशां ने.....
उसके कदमो को रोका तो होता.......
कभी तो मेरी पलकों पर......
उसने अपने ख्वाबो को रखा तो होता......
मैं सच करती उसका हर ख्वाब.......
उसने मुझे पर थोडा भरोसा तो किया होता......
मैं साथ ही तो थी कभी तो......
उसने मुड़ कर देखा तो होता.........!!!

29 comments:

  1. i have no word to explain...superb.
    keep it up

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  2. हाँ ऐसा भी होता है कभी कभी .....'काश' इस एक शब्द से कायनात जुड़ी है...हम भी ...:)

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  3. wo kah ke chale itani mulakat bahut hai.....

    is baar kavita ke bhaw badal gaye hai...
    abhivyakti bhawpurn hai

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

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  5. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति | आभार | आगे भी ऐसे ही लिखती रहिये और हमें आभार व्यक्त करने का मौका देते रहिये |

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  6. बहुत सुंदर रचना,,,लाजबाब अभिव्यक्ति,,,l

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
    recent post: गुलामी का असर,,,

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  7. काश.......
    उसने मुझ पर न सही, खुद पर भरोसा किया होता..

    मैं साथ ही तो थी,
    कभी तो......
    उसने मुड़ कर देखा तो होता.........!!!

    superb.......

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  8. सुंदर रचना | बहुत खूब |

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  9. उम्दा प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई...६४वें गणतंत्र दिवस पर शुभकामनाएं...

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  10. bahut hi achcha...

    मैं सच करती उसका हर ख्वाब.......
    उसने मुझे पर थोडा भरोसा तो किया होता....

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  11. एक मलाल रह ही गया....
    अब तक दर्द बाकी है..

    सुन्दर भाव..

    अनु

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  12. मैं साथ ही तो थी कभी तो......
    उसने मुड़ कर देखा तो होता.........!!!

    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ.

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  13. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    वन्देमातरम् !
    गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ!

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  14. सुन्दर बन पड़ी है..

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  15. मैं साथ ही तो थी कभी तो......
    उसने मुड़ कर देखा तो होता.........!!!
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    New postमेरे विचार मेरी अनुभूति: तुम ही हो दामिनी।

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  17. कभी तो मेरी पलकों पर......
    उसने अपने ख्वाबो को रखा तो होता......
    मैं सच करती उसका हर ख्वाब.......
    उसने मुझे पर थोडा भरोसा तो किया होता......
    मैं साथ ही तो थी कभी तो......
    उसने मुड़ कर देखा तो होता.

    अद्भुत आपका अंदाज़ गजब की चाहत

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  18. कभी तो मेरी पलकों पर......
    उसने अपने ख्वाबो को रखा तो होता......
    मैं सच करती उसका हर ख्वाब.......


    उम्दा ख्याल है

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  19. सुदर अभिव्यक्ति ...दिल से निकली हुई रचना ...बहुत सुन्दर

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  20. यह कविता अनुभूतियों के सागर में भावनाओं की एक लहर है।

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  21. बहुत ही बढ़िया

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