बहुत कुछ लिखवा लेती है,
तुम्हारी ख़ामोशी.......
तुम कुछ कहते भी नही,तुम्हारी ख़ामोशी.......
न जाने क्या समझा देती है....
तुम्हारी ख़ामोशी...
अब तक जो कुछ लिखा,
जो कुछ भी जाना..वो,
इन शब्दों का अर्थ होती है,
तुम्हारी ख़ामोशी....
तुम्हारी ख़ामोशी....
इतना क्यों बोलती है ?
खामोश रह कर भी मुझे पुकार लेती है......
तुम्हारी ख़ामोशी......
सुषमा आहुति जी ख़ामोशी की बड़ी तेज आवाज होती है बहुत सुन्दर भावनाओं के साथ खुबसूरत प्रस्तुति ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..खामोशी भी कभी कभी बोल लेती है..
ReplyDeleteख़ामोशी तो
ReplyDeleteअपना ही है प्रतिरूप
जिसकी मौन भाषा पढ़कर
हम अपनी अभिव्क्ति को देते हैं
नए नए रूप
बेहतरीन
ReplyDeleteसादर
खामोशी की अपनी ही जुबां होती है
ReplyDeleteवो आवाज़ जो मुंह के अन्दर बंद करा दी जाती है बहुत देर तक और बहुत दूर तक आती है. सुन्दर अभ्व्यक्ति.
ReplyDeleteIt's not written by me,but these words express my feelings at best
ReplyDeleteThnx for such lovely avivyakti
It's not written by me,but these words express my feelings at best.//.
ReplyDeleteThanx for expressing my अभिवयक्ति :)
Wat better way 2 express ur feelings.,,.m ur fan :)
ReplyDeleteमन के भावनाओं के साथ खुबसूरत प्रस्तुति ..,,
ReplyDeleterecent post: किस्मत हिन्दुस्तान की,
ख़ामोशी कभी कभी बड़ा शोर मचाती है.....
ReplyDeleteबर्दाश्त के बाहर होता है वो शोर...
गहन अभिव्यक्ति..
अनु
बहुत बोलती है ये खामोशियाँ ...
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति !
ख़ामोशी ...की आवाज़ वही सुन सकता है जिसके पास एक संवेदनशील दिल हो ......आपकी तरह !
ReplyDeleteखामोश रह कर भी मुझे पुकार लेती है..
ReplyDeleteतुम्हारी ख़ामोशी..
बहुत सुन्दर संवेदनशील रचना ...
किसी की ख़ामोशी किसी की ज़बान बोलती है......बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteवह मौन में ही मुखरित होता है..सुंदर कविता !
ReplyDeleteमैं सोच में हूँ की तुम्हारी ख़ामोशी,
ReplyDeleteइतना क्यों बोलती है ?
बिल्कुल सच ...
मौन की भाषा सबसे मुखर होती है.. अच्छी कविता!!
ReplyDeleteबेहद सुन्दर...
ReplyDeleteबेहद प्रभावी रचना..
:-)love it:-)
खमोशी भी एक कला है जो खामोश रहते हुए भी आपके दिल के करीब रहती है।बेहतरीन रचना,धन्यबाद।
ReplyDeletenice
ReplyDeleteखामोशी की आवाज़ अक्सर दिल को चीर के निकल जाती है ...
ReplyDeleteबहुत खूब ...
मैं जाना भी चाहूं छोड़ कर तो,
ReplyDeleteखामोश रह कर भी मुझे पुकार लेती है......
तुम्हारी ख़ामोशी......
bhavpoorn rachana bahut hi sundar hai sushma ji ...badhai.
khubsurat likha hai...
ReplyDeleteमैं सोच में हूँ की तुम्हारी ख़ामोशी,
ReplyDeleteइतना क्यों बोलती है ?
...वाह! लाज़वाब भावमयी अभिव्यक्ति...
apki Rachna ka har Shabd bolta hai ...sundar Rachana..
ReplyDeleteमैं जाना भी चाहूं छोड़ कर तो,
खामोश रह कर भी मुझे पुकार लेती है......
तुम्हारी ख़ामोशी......
http://ehsaasmere.blogspot.in/
apki Rachna ka har Shabd bolta hai ...sundar Rachana..
ReplyDeleteमैं जाना भी चाहूं छोड़ कर तो,
खामोश रह कर भी मुझे पुकार लेती है......
तुम्हारी ख़ामोशी......
http://ehsaasmere.blogspot.in/
बहुत कुछ लिखवा लेती है,
ReplyDeleteतुम्हारी ख़ामोशी.......
तुम कुछ कहते भी नही,
न जाने क्या समझा देती है....
तुम्हारी ख़ामोशी...
ख़ामोशी भी बहुत कुछ कहती है.सुषमा जी बधाई इस ख़ामोशी को शब्दों में बयाँ करने के लिये.
मैं सोच में हूँ की तुम्हारी ख़ामोशी,
ReplyDeleteइतना क्यों बोलती है ?
मैं जाना भी चाहूं छोड़ कर तो,
खामोश रह कर भी मुझे पुकार लेती है......
तुम्हारी ख़ामोशी......
..सच ख़ामोशी भी कभी कभी इंतना कुछ बोल लेते हैं जिंतना हम बोल कर व्यक्त नहीं कर पाते ..
बहुत बढ़िया
ख़ामोशी, बहुत कुछ कह जाती है।
ReplyDeleteसुन्दर!
ढ़
--
थर्टीन रेज़ोल्युशंस
Bahut dino bad apka blogg visit kar raha hu chhama chahunga:
ReplyDeleteखामोश रह कर भी मुझे पुकार लेती है......
तुम्हारी ख़ामोशी......!
sach dil me ghar gai gai yah aintim pankti... bahut hi sunder.
khamoshi ko juban de di aapne...
ReplyDeleteshandar..
bahut achha lkha hai.
ReplyDeleteshubhkamnayen
nice expression
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति !
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