आज मुझसे यूँ ही एक दोस्त पूछ बैठी की मैंने कुछ क्यों नही लिखा? दिल्ली
वाली घटना पर मैं उसके इस सवाल पर मेरे पास कोई जवाब नही था और....मैं खामोश
रही....और सोचने लगी,ऐसे बहुत सारे सवाल थे जिनका जवाब में मेरे पास सिर्फ....एक
लम्बी ख़ामोशी थी....जब से मैंने इस घटना के बारे में पढ़ा या सुना है मैं समझ
नही पा रही हूँ की मैं क्या कहू?कैसे कहूँ? मैं उस दिन से हर उस शख्स से बच
रही हूँ जो इस बारे में बात भी करता है क्यों की मैं अगर ये कहूँ की हाँ
मुझे भी दुःख हुआ,वो कम ही होगा क्या? मैं सच में इस घटना से नाराज हूँ या
उससे भी कही ज्यादा मैं दुखी हूँ....सच कहूँ तो बहुत कोशिश की अपने दर्द को
शब्दों में लिखने की पर मेरे शब्दों में इतनी शक्ति ही नहीं जो उस दर्द बयां कर सके, मैं समझ नही पा रही हूँ की मैं किस कानून की बात करूँ ? ऐसा क्या बदल दूँ कि जो कुछ हुआ वो ठीक हो जाए....दुःख होता है जब जिस देश में सोनिया जी,शीला जी, मीरा कुमार जी,मायावती जी जैसे लोग हो वहां भी एक नारी के दर्द को समझाने के लिए हमें सड़को पर उतरना पड़ रहा है, कहते है...एक नारी ही दूसरी नारी का दर्द समझ सकती है पर ये क्या है? मैं हैरान
हूँ की वो आम आदमी अपना सब कुछ छोड़ का निस्वार्थ भाव से सिर्फ इसलिए लड़ रहा
है कि इन्साफ हो सके, और वो अभिनेता जो देश की सेवा करने की बड़ी -बड़ी बाते
करते है वो चुप हो कर देख रहे है...हाँ उन्हें दुःख हुआ ऐसा कह कर चुप क्यों है
? मैं नही समझ पाती हूँ कि अभी कुछ दिन ही हुए अन्ना हजारे के आन्दोलन
में यही अभिनेता आकर समर्थन की बात कर रहे थे, अब जब देश की नारी के सम्मान
की बात हो रही है तो ये ख़ामोशी क्यों है...? बस इन्ही सवालो के जवाब में मुझे सिर्फ एक ख़ामोशी मिली है...ये ख़ामोशी क्यों है??
.ये ख़ामोशी क्यों है??
ReplyDeleteuttar ....kyonki yah purush pradhaan samaaj hai ....jab apradhi itni hinsa kar chuke hai to unhe sajaa dene me deri kyo ..kya 10 saal baad unhe punish kiya jaayega
sushma ji yahi baat mujhe bhi khatak rahi hai .........
ReplyDeleteसच मे बहुत दुखी है मन उस घटना से .....
ReplyDeleteबेबसी ...जुबाँ को गूंगा और फ़िज़ा में ख़ामोशी भर देती है ....
ReplyDeleteजिस पर गुज़री है ..उसके लिए दुआ कीजिये !
सुषमा जी ..हर किसी के दिल में हज़ारो सवाल है इस घटना को लेकर पर इसका उत्तर हम में से शायद किसी के पास नहीं है
ReplyDeleteउस घटना से सभी का मन दुखी है,,,बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleterecent post : नववर्ष की बधाई
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 27 -12 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete....
आज की हलचल में ....मुझे बस खामोशी मिली है ............. संगीता स्वरूप . .
शर्मनाक है यह स्थिति.....सच्ची
ReplyDeleteसहमत हूँ आपकी बातों से
ReplyDeleteकी अब कहाँ गए ये बोलबच्चन...
इस दर्दनाक घटना में क्यों नहीं आई उनकी आवाज...
ह्रदय व्यथित हो तो कुछ कह पाना कहाँ संभव होता है....
ReplyDeleteअनु
" "
ReplyDeletebahut dukhi hota hai mann , aisi ghatnao se ...samadhan koi dikhta nhi hai ...bas koshish kar sakte hai ..
ReplyDeletehttp://ehsaasmere.blogspot.in/2012/12/blog-post_23.html
कुछ टूटा दिखाई नहीं देता फिर भी
ReplyDeleteटूटने का स्वर कहीं है अन्तर्मन में ही
इस खामोशी में !!!!!
तुम्हें पता है खामोशियां बहुत कुछ बांटती हैं
सांझा करने में जाने इन्हें कैसा सुकून मिलता है
जब कभी जलते हैं सपने
ये चुपके से ले आती खारा पानी आँखों में
मौन ही होता जहाँ अभिषेक !!!
सच में माँ भारी हो जाता है ... व्यथित है मन ...
ReplyDeleteपर इस गुस्से को सही समय पे सही उपयोग करना जरूरी है ...
पीड़ा अधिक गहरी हो तो ख़ामोशी छा ही जाती है... सहमत हूँ आपके विचारों से
ReplyDeletekhamoshi sab kuchh kah deti hai...
ReplyDeleteसही कहा है..
ReplyDeleteसब मौन में भी सुलग रहे हैं ...
ReplyDeleteबिल्कुल ठीक कहा आपने
ReplyDeleteसही कहा है संगीता आंटी ने .. सब मौन में भी सुलग रहे हैं
ReplyDeleteसबकी संवेदनाएं हैं, आशा की किरण भी जगी है कि आनेवाला कल अच्छा होगा ..
ये ख़ामोशी भी बोलती है .और आवाज से ज्यादा तेज मारक बनकर, मौन भी प्रहार करता है.
ReplyDeleteखामोश हूँ. क्या कहूँ.
ReplyDeleteखामोशी बोलने से अच्छी है। बहुत सुंदर पोस्ट। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
ReplyDeleteअब भी खामोश रहना बहुत कष्टदायक हो सकता है आने वाले भविष्य के लिये.
ReplyDeleteघना मौन भी एक तरह का प्रतिरोध है ! लेकिन अभी बोलने की जरूरत है ,......हां , यह सच है कि समझ नहीं आ रहा की कहां से शुरू करें !
ReplyDeleteसही कहा......कई बार शब्द भी कम पड़ जाते हैं।
ReplyDeleteदामिनी को श्रद्धांजलि
ReplyDeleteख़ामोशी तो
ReplyDeleteअपना ही है प्रतिरूप
जिसकी मौन भाषा पढ़कर
हम अपनी अभिव्क्ति को देते हैं
नए नए रूप