मैं कहाँ शब्दों में बांध पायी हूँ.......तुम्हे
अब तक जितना भी लिख चुकी हूँ....तुम्हे
फिर भी अधुरा-अधुरा सा रहा है.....
अभी कहाँ पूरी तरह से जान पायी हूँ......तुम्हे
मैं कहाँ शब्दों में बांध पायी हूँ......तुम्हे
मैं कहाँ शब्दों में बांध पायी हूँ......तुम्हे
जब यकीन होता है कि,
तुमने अपना मान लिया है मुझे....
जब भी यकीन होता है कि,
मैंने जान लिया है........तुम्हे,
ये भ्रम भी टूटा है हर बार,
मैं कहाँ खुद में ढाल पायी हूँ.......तुम्हे मैंने जान लिया है........तुम्हे,
ये भ्रम भी टूटा है हर बार,
मैं कहाँ शब्दों में बांध पायी हूँ......तुम्हे ......!!!
bahut sundar abhivyakti .....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर एहसास.....
ReplyDeleteप्यार बांधे नहीं बंधता.
अनु
मैं कहाँ खुद में ढाल पायी हूँ.......तुम्हे
ReplyDeleteमैं कहाँ शब्दों में बांध पायी हूँ......तुम्हे ......!!!
गजब की अभिव्यक्ति :)
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है बेतुकी खुशियाँ
खुबसूरत अहसास...
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (12-12-12) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
ReplyDeleteसूचनार्थ |
जब यकीन होता है कि,
ReplyDeleteतुमने अपना मान लिया है मुझे....
जब भी यकीन होता है कि,
मैंने जान लिया है........तुम्हे,
ये भ्रम भी टूटा है हर बार,
मैं कहाँ खुद में ढाल पायी हूँ.......तुम्हे
मैं कहाँ शब्दों में बांध पायी हूँ......तुम्हे ..
कोशिश करिए ....लोग बंधेंगे एक ऐसे बंधन में जो कभी नहीं टूट पायेगा ये मेरा विश्वास है .
ये मार्स और वीनस वाले हमेशा एक दुसरे को समझने में लगे रहते हैं जबकि वस्तुतः वे एक-दूसरे के पूरक ही तो हैं...
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteमैं कहाँ खुद में ढाल पायी हूँ...तुम्हे..
ReplyDeleteमैं कहाँ शब्दों में बांध पायी हूँ..तुम्हे..
वाह ,,, बहुत उम्दा,लाजबाब कविता,,,शुसमा जी बधाई,,,
recent post: रूप संवारा नहीं,,,
मैं कहाँ खुद में ढाल पायी हूँ.......तुम्हे
ReplyDeleteमैं कहाँ शब्दों में बांध पायी हूँ......तुम्हे
वाह ,,, बहुत उम्दा,लाजबाब कविता...सुषमा जी बधाई
recent post: रूप संवारा नहीं,,,
bahut khoobsurat abhivyakti.
ReplyDeleteKABIL - E -TAARIF. . . !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना है |"मैंने जान लिया है तुम्हें -----"बहुत बढ़िया है |
ReplyDeleteसुषमा जी बेहद खूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeleteअरुन शर्मा
्बेहद खूबसूरत अहसास
ReplyDeleteअनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने .. बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
प्रेम के बंधन में बाँधने का सतत प्रयास बाँध लेगा अनजाने बंधन में उन्हें ...
ReplyDeleteबहुत ही शानदार........दिल को छूती पंक्तियाँ ।
ReplyDeletebahut achhi rachna
ReplyDeleteऐसी अनुभूतियां शब्दों में कहां बंध पाती हैं !
ReplyDeleteप्रभावी रचना।
प्यार को दिल में कैद किया जा सकता है ,बाहर के बन्धनों से मुक्त....
ReplyDeleteशुभकामनायें!
bahut khub mam
ReplyDeletebahut khoob mam.....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना, वाह !!!!!!!!!!
ReplyDeleteउन्मुक्त एहसास कभी सीमाओं में बांधे नहीं जा सकते. यही सच है. संदर रचना.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत अहसास
ReplyDeleteदिल को छूती पंक्तियाँ बेहतरीन अभिव्यक्ति ****** जब यकीन होता है कि,
ReplyDeleteतुमने अपना मान लिया है मुझे....
जब भी यकीन होता है कि,
मैंने जान लिया है........तुम्हे,
ये भ्रम भी टूटा है हर बार,
मैं कहाँ खुद में ढाल पायी हूँ.......तुम्हे
मैं कहाँ शब्दों में बांध पायी हूँ......तुम्हे ......!!!
sundar aur nazuk khayaal...
ReplyDeleteNICE POST
ReplyDeleteNICE POST
ReplyDeleteNICE POST
ReplyDeletepehli bar aap ka blog padha - acha laga.
ReplyDeletekavitaye achi hai -**
यह भ्रम टूटना आवश्यक है ताकि खुद के अंदर की किसी कमी को पहचाना जा सके और फिर से चेष्टा उसे पाने की जिसे शब्दों में बांधना सर्वथा असंभव है!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना!!
अगर शब्दों में बाँध पाते तो
ReplyDeleteप्रेम शब्दों से छोटा होता ....
बहुत मुश्किल है उसे शब्दों में बांधना सच में !
अगर शब्दों में बाँध पाते तो
ReplyDeleteप्रेम शब्दों से छोटा होता ....
बहुत मुश्किल है उसे शब्दों में बांधना सच में !
अच्छी रचना है ......
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeletewhat a beautiful line..
ReplyDeleteमैं कहाँ शब्दों में बांध पायी हूँ......तुम्हे
thnx for sharing..
बहुत खूब
ReplyDeleteमैं कहाँ खुद में ढाल पायी हूँ.......तुम्हे
ReplyDeleteमैं कहाँ शब्दों में बांध पायी हूँ......तुम्हे ......!!!
भावपूर्ण लेखन. बहुत बधाई सुषमा जी.
ati sunder !
ReplyDeleteखूबसूरत अहसास
ReplyDeleteएक प्यारी अभिव्यक्ति
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