Thursday 13 April 2023

इन भटकती राहो में..

इन भटकती राहो में..आखों में सिर्फ एक इंतजार...
कोई हाथ पकड़ ले, खुद से पहचान करा दे...
कोई बिठा ले साथ अपने ,
अपनी आँखों से मुझे भी कुछ सपने दिखा दे...
रो लुंगी में तन्हा,कोई साथ अपने मुस्कुराना सीखा दे...उम्मीदे बहुत दी है मैंने भी,साहस भी बनी हूँ.. 
पर इस बार बिखरी हूँ इस कदर, 
कोई मुझे टूट कर फिर से उठना सीखा दे..