मेरे हाथो की ये चूड़ियाँ न जाने,
क्या गुनगुना रही है....
खनक-खनक मेरे हाथो में,
याद तुम्हारी दिला रही है.....
पूछ न ले कोई सबब इनके खनकने का,
मैं इनको जितना थामती हूँ...
नही मानती मेरी बे-धड़क
शोर मचा रही है,
मेरे हाथो की ये चूड़ियाँ
न जाने क्या गुनगुना रही है.....
मैं कुछ कहूँ न कहूँ मेरा हाल-ए-दिल...
मेरी चूड़ियां सुना रही है.....
आज भी तुम्हारी उँगलियों की छुअन से,
मेरी चूड़ियाँ शरमा रही है...
मेरे हाथो की ये चूड़ियाँ न जाने क्या गुनगुना रही है..
मेरी हाथो से है लिपटी,
एहसास तुम्हारा दिला रही है.....
मैं कब से थाम कर बैठी हूँ,
अपनी धडकनों को....
जब भी खनकती है मेरे हाथो में,
धड़कने तुम्हारी सुना रही है.....
मेरे हाथो की ये चूड़ियाँ न जाने क्या गुनगुना रही है..
तुम्हारी तरह ये मुझसे ये रूठती भी है,
रूठ कर टूटती भी है....
मैं इनको फिर मना रही हूँ....
सहज कर अपने हाथो में सजा रही हूँ,
ये फिर मचल कर तुम्हारी बाते किये जा रही है....
मेरे हाथो की ये चूड़ियाँ न जाने क्या गुनगुना रही है..
क्या गुनगुना रही है....
खनक-खनक मेरे हाथो में,
याद तुम्हारी दिला रही है.....
पूछ न ले कोई सबब इनके खनकने का,
मैं इनको जितना थामती हूँ...
नही मानती मेरी बे-धड़क
शोर मचा रही है,
मेरे हाथो की ये चूड़ियाँ
न जाने क्या गुनगुना रही है.....
मैं कुछ कहूँ न कहूँ मेरा हाल-ए-दिल...
मेरी चूड़ियां सुना रही है.....
आज भी तुम्हारी उँगलियों की छुअन से,
मेरी चूड़ियाँ शरमा रही है...
मेरे हाथो की ये चूड़ियाँ न जाने क्या गुनगुना रही है..
मेरी हाथो से है लिपटी,
एहसास तुम्हारा दिला रही है.....
मैं कब से थाम कर बैठी हूँ,
अपनी धडकनों को....
जब भी खनकती है मेरे हाथो में,
धड़कने तुम्हारी सुना रही है.....
मेरे हाथो की ये चूड़ियाँ न जाने क्या गुनगुना रही है..
तुम्हारी तरह ये मुझसे ये रूठती भी है,
रूठ कर टूटती भी है....
मैं इनको फिर मना रही हूँ....
सहज कर अपने हाथो में सजा रही हूँ,
ये फिर मचल कर तुम्हारी बाते किये जा रही है....
मेरे हाथो की ये चूड़ियाँ न जाने क्या गुनगुना रही है..
इसे मैं कविता की नहीं, गीत की श्रेणी में रख रहा हूँ.. एक विरहिणी की व्यथा और उसके चूड़ी के साथ संवाद के माध्यम से बहुत ही सजीव वर्णन किया है आपने!!
ReplyDeleteतुम्हारी तरह ये मुझसे ये रूठती भी है,
ReplyDeleteरूठ कर टूटती भी है....
मैं इनको फिर मना रही हूँ....
सहज कर अपने हाथो में सजा रही हूँ,
वाह बहुत खूबशूरत रचना ,,,, बधाई।
recent post हमको रखवालो ने लूटा
सुंदर भाव....
ReplyDeleteसुषमा बहन
ReplyDeleteसुन्दर कविता
पढ़कर मुझे स्मृति दीदी की लिखी पंक्तियाँ याद आ गई
वो कुछ यूँ है
जब तुमने...
जब सोचा था तुमने
दूर कहीं मेरे बारे में
यहां मेरे हाथों की चुड़ियां छनछनाई थी।
जब तोड़ा था मेरे लिए तुमने
अपनी क्यारी से पीला फूल
यहां मेरी जुल्फें लहराई थी।
स्मृति जोशी "फाल्गुनी"
पूछ न ले कोई सबब इनके खनकने का,
ReplyDeleteमैं इनको जितना थामती हूँ...
नही मानती मेरी बे-धड़क
शोर मचा रही है,
मेरे हाथो की ये चूड़ियाँ
न जाने क्या गुनगुना रही है.....
चूड़ियों को माध्यम बनाती अतर्वेदना बहुत ही सुन्दर
बहुत सुन्दर प्रणय रचना!
ReplyDeleteबहुत खूबशूरत रचना............
ReplyDeletebahut hi sunder,bhavpurn geet likha hein.
ReplyDeletehar ek line mein bahut kuch hein..
excellent....
bahut hi sunder n bhavpurn rachna,
ReplyDeleteharek line mein bahut kuch hein.
excellent work.....
thnx for sharing..
बहुत ख़ूब!
ReplyDeleteआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 17-12-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1082 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
चूड़ियों की खनक और उनकी याद ... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह चूड़ियों की खनक बहुत सुन्दर भाव पिरोये हैं.
ReplyDeleteसुषमा जी ... ये प्रस्तुती बेहद लाजवाब है .. "मेरी हाथो से है लिपटी,
ReplyDeleteएहसास तुम्हारा दिला रही है....." वाह ...
मेरी नई कविता आपके इंतज़ार में है: नम मौसम, भीगी जमीं ..
आज भी तुम्हारी उँगलियों की छुअन से,
ReplyDeleteमेरी चूड़ियाँ शरमा रही है...
ओये होये बहुत ही मधुर अहसासों से लबरेज़ प्रस्तुति है ………सीधा दिल मे उतर गयी :)
खुबसूरत प्रणय रचना!
ReplyDeleteपूछ न ले कोई सबब इनके खनकने का,
ReplyDeleteमैं इनको जितना थामती हूँ...
नही मानती मेरी बे-धड़क
शोर मचा रही है,
मेरे हाथो की ये चूड़ियाँ
न जाने क्या गुनगुना रही है.....
चूड़ियों को माध्यम बनाती अतर्वेदना बहुत ही सुन्दर
बहुत सराहनीय प्रस्तुति. आभार. बधाई आपको
बहुत खूब सुषमा जी
ReplyDeleteसादर
sundar rachna...bahut bahut badhai..
ReplyDeleteहाथों की ये चूढ़ियाँ, जब करती हैं शोर।
ReplyDeleteसुन कर इस संगीत को, नाचे मन का मोर।।
चूड़ियाँ मन की भाषा बोलती हैं ...बहुत सुन्दर अहसास... शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ..
ReplyDeleteदिल के भावों को व्यक्त करती सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट-गम लिया करते हैं
अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
kya baat hai...dil khush..
ReplyDeleteचूडियों की खनक में उनके गीत ...
ReplyDeleteदिल के भावों को व्यक्त करती सुन्दर पोस्ट ...
सुन्दर रचना !
ReplyDeleteरंग बिरंगी ये चूड़ियाँ बहुत सुन्दर लगीं।
ReplyDeletehttp://www.parikalpnaa.com/2012/12/blog-post_5341.html
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत पंक्तियाँ ...आभार
ReplyDeleteअति सुन्दर मनमोहक रचना...
ReplyDeleteलवली.....
:-)
सुन्दर सी खनखनाती हुई कविता |
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति....
ReplyDeleteachchha likha hai aapne ...
ReplyDeleteमनोभावों की सुन्दर अभिव्यक्ति |बहुत भावपूर्ण रचना |
ReplyDeleteप्रेम से सराबोर सुंदर प्रस्तुति।।
ReplyDeletebahut sundar bhavabhivyakti....
ReplyDeleteचूड़ियों में बसे प्रेम को सुंदरता से रचा है ....
ReplyDeleteबहुत खूब !
बिम्बों का सुन्दर प्रयोग, वाह.
ReplyDeleteआरंभ : चोर ले मोटरा उतियइल
बहुत खूबसूरत
ReplyDeletewah behatareen rachana
ReplyDeletewahhh...bahut achha likha hai apne...
ReplyDeletehttp://ehsaasmere.blogspot.in/
achchi rachana
ReplyDeleteचूड़ियो पर खूबसूरत प्रस्तुति
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