Tuesday 3 September 2013

तुम्हारी तस्वीर उतरने की कोशिश की है मैंने......!!!

                                  

एक बार फिर इन्द्रधनुष के रंगों को लिया है मैंने,
ख्यालो को ब्रश बना लिया है मैंने 
जिन्दगी के कैनवास पर,
तुम्हारी तस्वीर उतरने की कोशिश की है मैंने..... 

खाली पड़े कैनवास पर,
कुछ यूँ आड़ी-तिरछी लकीरे खींच दी मैंने....
जिन्दगी की ठोकरों से फिर से,
सम्हलने की कला सीख ली हैं मैंने...... 
इस बेरंग जिन्दगी में तुम्हारे अक्स के साथ,
कुछ रंग भरने की कोशिश की है मैंने........
एक बार फिर........
जिन्दगी के कैनवास पर,
तुम्हारी तस्वीर उतरने की कोशिश की है मैंने..........!!!

20 comments:

  1. कुछ रंग भरने की कोशिश की है मैंने........
    एक बार फिर........
    सुंदर प्रस्तुति

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  2. ठोकरों से संभलने वाले मंजिल तक जरुर पहुँचते हैं ....
    लाज़वाब रचना ..... शुभकामनायें

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  3. जिंदगी की खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  4. उम्र लम्बी सही, पर ज़िंदगी तो छोटी थी,
    जो तेरे साथ कटी, बस वो ही तो जी है मैंने.....बहुत सुन्दर सुषमा जी, नारी सुलभ भावों को अत्यंत सुघड़ता के साथ आप कविता के धागे में पिरोती हैं............बहुत सुन्दर..........

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  5. बहुत बढ़िया सुंदर अभिव्यक्ति ,,,

    RECENT POST : फूल बिछा न सको

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  6. अच्छा लिखा है ..

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  7. सच्चे एहसासों ने सुंदर तस्वीर गढ़ दी हैं ,सुषमा जी !
    नई पोस्ट-“जिम्मेदारियाँ..................... हैं ! तेरी मेहरबानियाँ....."

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  8. कुछ रंग भरने की कोशिश
    एक बार फिर...
    - बहुत अच्छा!

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  9. आशा और विश्वास से भरे शब्द !

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  10. प्रेम के रंग उतारना ही काफी है ... चाहे तिरछी रेखाएं ही बनें ... प्रेम तो ज़िंदा रहेगा ....

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  11. वाह बहुत ही सुन्दर |

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  12. बेहतरीन प्रस्तुति।।।

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  13. बहुत खुबसूरत भावयुक्त रचना!!

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  14. बेहतरीन प्रस्तुति

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  15. मंगलवार 10/09/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    आप भी एक नज़र देखें
    धन्यवाद .... आभार ....

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  16. सुंदर प्रस्तुति,आप को गणेश चतुर्थी पर मेरी हार्दिक शुभकामनायें ,श्री गणेश भगवान से मेरी प्रार्थना है कि वे आप के सम्पुर्ण दु;खों का नाश करें,और अपनी कृपा सदा आप पर बनाये रहें...

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  17. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

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