Wednesday 11 September 2013

मेरी ख़ामोशी भी जिक्र तुम्हारा करती है.........!!!

बात जब वफ़ाओ की करती हूँ,                                         
तो जिक्र तुम्हारा होता है...... 
बात जब एहसासों की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है.......
बात जब यादो की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......

बात ख्वाबो की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है...... 
बात जब सवालो की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है...... 
बात जब जवाबो की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......
  
बात जब शब्दों की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......  
बात जब अर्थो की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है...... 

बात जब शाम की ढलने की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......  
बात रातो के अंधेरो की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......  
बात जब सूरज निकलने की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......
  
बात जब हवाओं के रुख की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......  
बात जब बादल के गरजने की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......  
बात जब सावन की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......  
बात जब सखियों से साजन की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है......  

बात तन्हाई की करती हूँ,
तो जिक्र तुम्हारा होता है...... 
कोई बात करू न करू......
मेरी ख़ामोशी भी जिक्र तुम्हारा करती है.........!!!

24 comments:

  1. बहुत सुंदर !
    लाली मेरे लाल की जित देखूं तित लाल..इश्क की इन्तहां में ऐसा ही होता है

    ReplyDelete
  2. उनके ख्याल आए तो आते चले गए ... उनके बिना शायद ये जीवन, श्रृष्टि कुछ भी नहीं ... भावपूर्ण रचना ...

    ReplyDelete
  3. समर्पण का भाव दिखाती सुंदर रचना ।

    ReplyDelete
  4. ज़िक्र मेरा मुझसे बेहतर है उनकी महफ़िल में.......शानदार |

    ReplyDelete
  5. बात से बात निकली तो हवाओं में फ़ैल गयी .....

    ReplyDelete
  6. प्यार का ये रंग भी बहुत खूब है... जहां देखों एक ही शख़्स दिखाई देता है... सुन्दर रचना के लिए आपकों बधाई।

    ReplyDelete
  7. बहुत बढ़िया -

    आभार आदरणीया-

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - शुक्रवार - 13/09/2013 को
    आज मुझसे मिल गले इंसानियत रोने लगी - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः17 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra





    ReplyDelete
  9. नमस्कार आपकी यह रचना कल शुक्रवार (13-09-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

    ReplyDelete
  10. सुंदर सृजन ! बेहतरीन प्रस्तुति,

    RECENT POST : बिखरे स्वर.

    ReplyDelete
  11. waah bhai kya bat hai sacchi aur bebaak prastuti ....

    ReplyDelete
  12. वाह बहुत खूब

    ReplyDelete
  13. सच्चे प्रेम का वर्णन करते शब्द. सुन्दर.

    ReplyDelete
  14. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (13-09-2013) महामंत्र क्रमांक तीन - इसे 'माइक्रो कविता' के नाम से जानाः चर्चा मंच 1368 में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  15. जिक्र उनका जो खुद से अंजान है..........सुन्दर भाव......

    ReplyDelete
  16. जो दिल के करीब हो... उसका सब में जिक्र होना लाजमी है ...

    ReplyDelete
  17. अति सुन्दर भावपूर्ण रचना । बधाई । सस्नेह

    ReplyDelete