कहते है की हर किसी के साथ ईश्वर नही आ सकता था
तो उसने सबके लिए 'माँ' को बना दिया.....!!!
हमारी हर गलती को माफ़ कर देती है
हर मुस्किल में हमारा साथ देती है
सवाल मुझसे करे कोई जवाब वो देती है
हम हमेशा बच्चे है उसकी नज़र में
माँ तो सिर्फ 'माँ' होती है.....!!
हमें प्यार देती है
दुलार देती है
अपने त्याग और संघर्ष से
हमारा जीवन संवार देती है
हमारे सपनो को पूरा करने के लिए
अपनी सारी उम्र गुजार देती है
माँ तो सिर्फ 'माँ' होती है...!!!
बहुत सुन्दर, सही मायने में सिर्फ माँ ही है जो दर्द को समझती है, ईश्वर का स्थान भी माँ ke बाद आता है!
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा आपने!
ReplyDeleteसादर
MAM APNE MAA KE BARE ME JO BTAYA BILKUL SAHI HAI. MAA SACH ME BHAGWAN KA HI RUP HOTI HAI . . . . . . . . . . .ME BHI MAA KE BARE ME KUCH PANKTIYAN JRUR LIKHUNGA. . . . . . . . . . . . . JAI HIND JAI BHARAT
ReplyDeletekahte hain n ... maa ki mahima n jaye bakhaani
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना मगर माँ से कुछ सवाल-एक अनाथ के भी हैं
ReplyDeleteमाँ तो सिर्फ 'माँ' होती है...
ReplyDeleteरश्मि प्रभा जी ने सही कहा है
माँ की महिमा न जाये बखानी जितना कहें उतना कम
मॉ ही मंदीर मॉ ही पुजा। मॉ से बढ़कर न कोई दुजा।
ReplyDeleteThanks Aahuti ji...for visiting my blog.
ReplyDeleteaapne shabdo me Maa ke sath ki Zindagi ka bahut acha prastutikaran likha hai...
कहते है की हर किसी के साथ ईश्वर नही आ सकता था
ReplyDeleteतो उसने सबके लिए 'माँ' को बना दिया.....!!!
bahut sundar rachna.
मेरे पास माँ है। पिता नहीं है।
ReplyDeleteमाँ तो सिर्फ 'माँ' होती है...
वाकई बच्चों के लिये माँ ईश्वर का ही साक्षात रुप होती है ।
ReplyDeleteमाँ तो सिर्फ 'माँ' होती है..
ReplyDeleteमाँ कहते हीमाँ से बढ़कर कोई नहीं इस दुनिया में
ReplyDeleteबहुत बहुत बहुत सुन्दर रचना! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!
माँ माँ माँ...'माँ' होती है..सुन्दर रचना के लिए बहुत बहुत आभार
ReplyDeletebahut khoob really nice
ReplyDeletehttp://iamhereonlyforu.blogspot.com/
माँ को शब्दों में बांधना मुश्किल कार्य है, जिसे सिद्ध करने का आपका प्रयास सराहनीय है. शुभकामनायें.
ReplyDeleteKuputro Jaayeta kwachidapi kumaata na bhawati...
ReplyDeleteमातृ दिवस की शुभकामनायें.
ReplyDeletebhut sundr kvita bdhai
ReplyDeleteबहुत सुंदर.. मुनव्वर राना की दो लाइनें हैं
ReplyDeleteमां मेरे गुनाहों को कुछ इस तरह से धो देती है,
जब वो बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।।
बहुत सुन्दर रचना|धन्यवाद|
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया रचना . बधाई।
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
माँ तो सिर्फ 'माँ' होती है.....!
ReplyDeletemaa tujhe slam...
bahut sunder ....
ReplyDeletesach hi likha hai aapne ...!!
MAA to sirf MAA hai . Bhagwan se bada darja MAA ke alawa kisi ka nahi ho sakta.
ReplyDeleteहमें प्यार देती है
ReplyDeleteदुलार देती है
अपने त्याग और संघर्ष से
हमारा जीवन संवार देती है
हमारे सपनो को पूरा करने के लिए
अपनी सारी उम्र गुजार देती है
माँ तो सिर्फ 'माँ' होती है...!!
कोई शब्द नही है । मरे पोस्ट पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
bahut hi sunder likhaa aapne
ReplyDeleteadbhut shabd prawah...
ReplyDeletebahut hi umda likha hai
So sweet !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...माँ को नमन .....
ReplyDeleteमाँ सा कौन हो सकता है.....................
ReplyDeleteबस उनका आशीष बना रहे और उन्हें सबका मान मिलता रहे.....
सुंदर कविता सुषमा जी.
शुभकामनाएँ
माँ ने जिन पर कर दिया, जीवन को आहूत
ReplyDeleteकितनी माँ के भाग में , आये श्रवण सपूत
आये श्रवण सपूत , भरे क्यों वृद्धाश्रम हैं
एक दिवस माँ को अर्पित क्या यही धरम है
माँ से ज्यादा क्या दे डाला है दुनियाँ ने
इसी दिवस के लिये तुझे क्या पाला माँ ने ?
माँ तो सिर्फ 'माँ' होती है...!!!
ReplyDelete....बिलकुल सच....माँ को नमन...
sarthak lekhan..... bahut khoob...........
ReplyDeleteमातृ दिवस पर बेहद सुन्दर रचना:-)
ReplyDeletelondon olympic bicycle company
ReplyDeleteExcellent Working Dear Friend Nice Information Share all over the world.God Bless You.
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क्या कहूँ, "माँ" तो एक महामंत्र है,,,, सारे कष्टों का निराकरण करने वाली...
ReplyDeleteनमन सारी माताओं को !!
अच्छी रचना ....