ना जाने क्यों डर सा लगता है..
पा लूँगी कुछ मैं भी..
खो दूंगी कुछ मैं भी....
सब कुछ बिखरा-बिखरा सा लगता है....
ना जाने क्यों डर सा लगता है...
मुड-मुड कर देखती हूँ तुमको,
हर आहट पर यूँ ही रुक भी जाती हूँ....
ये दिल भी कुछ दीवाना सा लगता है.....
ना जाने क्यों डर सा लगता है...
तलाश में हूँ मंजिल की,
सफ़र पर तन्हा नही हूँ मैं...
मेरे साथ चलता,
तुम्हारा साया सा लगता है.....
जब से मिली हूँ तुमसे,
जब से तुम्हे माना है अपना..
न जाने क्यों हर कोई अपना-अपना सा लगता है......
ना जाने क्यों डर सा लगता है...!!!
अपने साए के बिछुड़ने का डर ।
ReplyDeleteहिम्मत कर -
खुशियाँ भर -
मत डर -
है ईश्वर ।।
अच्छी प्रेममयी रचना.....
ReplyDeleteहर कोई जब अपना लगे तो समझो कोई बहुत ही अपना बन गया है
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति सुषमा जी....
ReplyDeleteमोहब्ब्त के इस डर में भी मज़ा है...........
अनु
खो दूंगी कुछ मैं भी....
ReplyDeleteसब कुछ बिखरा-बिखरा सा लगता है....
यहाँ स्वत्वबोधक (possessive) गुणों की अधिकता लगता है .... !!
न जाने क्यों हर कोई अपना-अपना सा लगता है......
ना जाने क्यों डर सा लगता है...!!!
beautifully written...
ReplyDeleteतलाश में हूँ मंजिल की,
ReplyDeleteसफ़र पर तन्हा नही हूँ मैं...
मेरे साथ चलता,
तुम्हारा साया सा लगता है.....
प्यार की सुंदर अनुभूति छाई है इस कविता में.
तलाश में हूँ मंजिल की,
ReplyDeleteसफ़र पर तन्हा नही हूँ मैं...
मेरे साथ चलता,
तुम्हारा साया सा लगता है.
beautiful lines with emotion and feelings .
when you love someone the fear of loosing works.
so so so nice lines.
सुंदर अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteजब से तुम्हे माना है अपना..
न जाने क्यों हर कोई अपना-अपना सा लगता है......
ना जाने क्यों डर सा लगता है...!!!
कुछ खोने का डर है तो निश्चय कुछ पा लिया है...ये सेन्स ऑफ़ इनसेक्यूरिटी उसी की उपज है...खूब कही...
ReplyDeletekuchh paakar use khone ka darr.........ise har dil mahsoos karta hai..........lekin ehsaason ko shabdon me pirokar aisi rachna bunna!sundar!! badhai aapko.
Deleteकितनी अजीब सी बात है ... यह डर चलता है साथ साथ , शायद इस डर से ही हौसले मिलते हैं
ReplyDeleteमुड-मुड कर देखती हूँ तुमको,
ReplyDeleteहर आहट पर यूँ ही रुक भी जाती हूँ....
ये दिल भी कुछ दीवाना सा लगता है.....
ना जाने क्यों डर सा लगता है...
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ !
आभार ..
ये अपनापन और डर का समवेश ही थी असली जिंदगी हैं
ReplyDeletebahut khub...
ReplyDeleteकुछ पाना कुछ खोना यही जीवन है कहीं न कहीं ये डर सबमे होता है ।
ReplyDeleteजब वो साथ है तो डर काहे का ... कुछ खोने का ये कुछ और ... इस इनसिक्योरिटी कों बाखूबी दर्शाती है ये रचना ...
ReplyDeleteप्रभावशाली रचना.
ReplyDeleteप्रेम ऐसा ही होता है...कुछ खोने का डर भी और कुछ पाने की खुशी भी..बहुत सुंदर भाव, आभार!
ReplyDeleteजब से मिली हूँ तुमसे,
ReplyDeleteजब से तुम्हे माना है अपना..
न जाने क्यों हर कोई अपना-अपना सा लगता है......
ना जाने क्यों डर सा लगता है.
भावमयी प्रस्तुति
bahut sunder ...
ReplyDeleteजिसे दिलो-जान से चाहो ...कहीं उसे खोने का डर सा बना तो रहता है ....!!!
ReplyDeleteयह् डर तो हमेशा साथ-साथ चलते हैं,हमारे.रचना...अच्छी लगी.
ReplyDeletepyar ko abhvyakt karti post.
ReplyDeleteये खो देने का डर है ... सुंदर रचना ...
ReplyDeleteबहुत ख़ूब!!
ReplyDeleteबहुत ख़ूब!!
ReplyDeleteacchhe hain bhaav kavita ke..
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
इक अजीब सा डर सा रहता है,क्या होगी ज़िंदगी तेरे बिना........
ReplyDeleteबहुत गहरे भावों को संजोया है...
ReplyDeleteपाकर खोना ना पाने से कहीं ज्यादा डरावना है ।
ReplyDeleteACHHI KAVITA LIKHNE KA ACHHA PRAYAS. AAP KI YE LINE BAHUT HI ACHHI HAI-न जाने क्यों हर कोई अपना-अपना सा लगता है.
ReplyDeleteUMADTE KHAYALAAT KO KAH JANE KI KLA ACHHI KAVITAON KO JANM DETI HAI..
APNE BLOG PR AAP KA INTEZAR KARUNGA...SHAHJAHAN "LUTFI"
मंजिल पर अकेली नहीं मैं साथ तुम्हारा साया सा लगता हैं ....क्या बात |
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भाव संयोजन है सुषमा जी..
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन रचना....
जिससे हम ज्यादा प्रेम करते हैं उसे खोने का डर हरदम साथ रहता है ...ये मनस्तिथि शायद हम सब के साथ है !
ReplyDeletewell ur blog is so beautiful .........
किशोर मन का उद्वेलन है इस रचना में जहां अतिशय प्रेम होता है वहीँ खो जाने का डर भी रहता है ..
ReplyDeleteमुड-मुड कर देखती हूँ तुमको,
हर आहट पर यूँ ही रुक भी जाती हूँ....
ये दिल भी कुछ दीवाना सा लगता है.....
ना जाने क्यों डर सा लगता है...
आपकी द्रुत टिपण्णी के लिए शुक्रिया .कृपया यहाँ भी पधारें -शनिवार, 28 अप्रैल 2012
ईश्वर खो गया है...!
http://veerubhai1947.blogspot.in/
आरोग्य की खिड़की
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/04/blog-post_992.html
महिलाओं में यौनानद शिखर की और ले जाने वाला G-spot मिला
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
कुछ पाना, कुछ खोना, यही तो जीवन है।
ReplyDeleteयह डर नहीं लगना चाहिए....
ReplyDeleteयह दुखद है ...
बढ़िया रचना , आभार !
बहुत खूब....
ReplyDeletev nice ..
ReplyDeleteजब से मिली हूँ तुमसे,
जब से तुम्हे माना है अपना..
न जाने क्यों हर कोई अपना-अपना सा लगता है......
bahut accha likha aapne
..
darte hue bhi larna chaahiye ...
ruk jaana hi dar ki jeet hai..