Monday 2 February 2015

Valentine..डायरी..होटों पर ठहरी हुई कोई बात.....!!!



उस दिन तुम अपने हाथों में..
इक बॉक्स लिये मेरे पास आये थे..
और यूँ ही मेरी तरफ,
अपने हाथ बढ़ाते हुए कहा था...
कि चलोगी मेरे साथ...
मैं तुम्हारे इस अचानक पूछने पर,
कुछ सोच में पड़ गयी थी...
और कुछ कह नही पायी थी...
वो बॉक्स जिसमे तुमन
ख़त लिख कर रखे थे...
वही छोड़ कर....
तुम बिना कुछ कहे...
बिना मेरी तरफ देखे,
मुड़ कर चले गये थे...
तुम्हारे जाने के बाद,
मैंने वो सारे ख़त पढ़े...
जिसमे तुमने मुझमे पसंद,
हर बात का जिक्र किया था ....
मुझ पर कौन सा रंग जचता है...
मेरी कौन सी बात तुम्हे भाती है..
उन तमाम खतो में तुमने कही,
ये जिक्र नही किया कि.....
तुम मुझे प्यार करते हो....
उस दिन भी शायद,
तुम यही कहने आये थे...
पर कह नही पाये...और
मेरे जवाब को जाने बैगेर,
तुम चले गये....
इक बार जो मुड़ कर देखते..
तो मैंने भी साथ चलने के लिये,
तुम्हारी ओर अपना हाथ बढाया था...
मैं आज भी उन खतो को,
थाम कर कब से,
तुम्हारे इन्तजार में बैठी हूँ.....
अभी तक
तुम उन राहो से.....
कभी गुजरे ही नही.......!!!!

6 comments:

  1. वक़्त का कसूर या किस्मत की बात ... पर इंतज़ार है की रहेगा उम्र भर ...

    ReplyDelete
  2. खूबसूरत से अहसासों का संगम

    ReplyDelete
  3. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (03-02-2015) को बेटियों को मुखर होना होगा; चर्चा मंच 1878 पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  4. प्रेम को प्रस्तुत करती बहुत ही सुंदर रचना ...
    मेरे ब्लॉग पर आप सभी लोगो का स्वागत है

    ReplyDelete
  5. गहरे अहसास लि‍ए कवि‍ता

    ReplyDelete