दिल की सारी बाते...
कहनी है तुमसे...
जिन बातो को लब्ज़...
नही दे पाऊँगी..
वो बाते भी...
आँखों से कहनी है....
कुछ भी ना छुपाऊंगी मैं...
हर बात अपने दिल की....
तुमको बताऊँगी मैं....
मैं तो जुबा के बदले,
नजरों से काम लुंगी....
आखों से तुम्हारेे दिल,
मैं उतर जाऊँगी...
महसूस करोगे मुझकों,
खुशबू बन कर साँसों में,
बिखर जाऊँगी...
इक-इक लम्हा कैसे तुम बिन,
भी तुम्हारे ही साथ गुजरा है....
मैं तुमको बताऊँगी मैं.....
जिन्दगी का तो पता नही..
पर तुम्हारे बिन जिन्दगी का,
इक भी लम्हा गुजरा नही...!!!
कहनी है तुमसे...
जिन बातो को लब्ज़...
नही दे पाऊँगी..
वो बाते भी...
आँखों से कहनी है....
कुछ भी ना छुपाऊंगी मैं...
हर बात अपने दिल की....
तुमको बताऊँगी मैं....
मैं तो जुबा के बदले,
नजरों से काम लुंगी....
आखों से तुम्हारेे दिल,
मैं उतर जाऊँगी...
महसूस करोगे मुझकों,
खुशबू बन कर साँसों में,
बिखर जाऊँगी...
इक-इक लम्हा कैसे तुम बिन,
भी तुम्हारे ही साथ गुजरा है....
मैं तुमको बताऊँगी मैं.....
जिन्दगी का तो पता नही..
पर तुम्हारे बिन जिन्दगी का,
इक भी लम्हा गुजरा नही...!!!
सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (09-02-2015) को "प्रसव वेदना-सम्भलो पुरुषों अब" {चर्चा - 1884} पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
दिल से लिखी दिल के करीब की रचना...
ReplyDeletenicely written...good luck!!!
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति
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