क्यों ना लिख दूँ,
आज सारे गुबार दिल के...
ये मौन ये चुप्पी इक दिन,
सब बिखेर कर रख देगी..
क्यों ना लिख दूँ आज सारे ज्वार दिल के....
क्यों ना शब्दो मे लपेट कर,
अपनी आँखों की उदासी को ,
कागज़ में उतार दूँ,
तुमसे मिलने बिछड़ने के किस्सो को...
शब्दो मे सही,क्यों ना जोड़ दूँ,
दिल बिखरे हिस्सो को...
क्यों ना लिख दूँ...
आज सारे गुबार दिल के...
क्यों ना हर दर्द को पंक्तियों में ढाल दूँ,!
तुम्हारे हर जवाब पर मैं इक सवाल दूँ...
क्यों ना हार-जीत का शिलशिला,
यही पर थम जाए...
ये मौन ये चुप्पी इक दिन,
सब बिखेर कर रख देगी..
क्यों ना लिख दूँ...
आज सारे ज्वार दिल के....!!!
Monday, 4 December 2017
आज सारे गुबार दिल के...!!!
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बहुत ही सुन्दर भावनायें
ReplyDeleteBahut Sunder Rachna
ReplyDeleteये मौन ये चुप्पी इक दिन,
ReplyDeleteसब बिखेर कर रख देगी..
क्यों ना लिख दूँ...
आज सारे ज्वार दिल के....!!!
Bahut bahut sunder....
behtarin andaj me rachi hai aap ne yah rachna
sidhe man par war karti....shandar
अति सुंदर
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