ये जो ख़त मैंने तुमको लिखे है.....
बंद है इन लिफाफों में...अभी तक,
तुमने खोले ही नही......
कितने रंग-बिरंगे पन्नो पर,
सजे मेरे शब्द.....
तुमने कभी पढ़े ही नही.....!
दिल की बैचेनियों को,
धडकनों की गुस्ताखियों को....
इन खतो में गढ़ा मैंने......
मेरे खतो को तुम समझते,
तुम तो इन शब्दों की गहराइयों में,
कभी उतरे ही नही.......!!
सुबह के निकलने से लेकर,
शामो के ढलने तक जिक्र है.... इन खतो में,
गुजरते लम्हों के साथ,
दिल जो करता तुम्हारी वो फ़िक्र है...इन खतो में
बंद है कब से कितने राज़,
इन खतो में....
तुमने कभी पढ़े ही नही.....!!!
इन खतो को थाम कर कब से,
तुम्हारे इन्तजार में बैठी हूँ.....अभी तक
तुम उन राहो से.......कभी गुजरे ही नही.......!!!!
बंद है इन लिफाफों में...अभी तक,
तुमने खोले ही नही......
कितने रंग-बिरंगे पन्नो पर,
सजे मेरे शब्द.....
तुमने कभी पढ़े ही नही.....!
दिल की बैचेनियों को,
धडकनों की गुस्ताखियों को....
इन खतो में गढ़ा मैंने......
मेरे खतो को तुम समझते,
तुम तो इन शब्दों की गहराइयों में,
कभी उतरे ही नही.......!!
सुबह के निकलने से लेकर,
शामो के ढलने तक जिक्र है.... इन खतो में,
गुजरते लम्हों के साथ,
दिल जो करता तुम्हारी वो फ़िक्र है...इन खतो में
बंद है कब से कितने राज़,
इन खतो में....
तुमने कभी पढ़े ही नही.....!!!
इन खतो को थाम कर कब से,
तुम्हारे इन्तजार में बैठी हूँ.....अभी तक
तुम उन राहो से.......कभी गुजरे ही नही.......!!!!
अज़ा हैं किसी अजीज को ख़ुदा बना देना
ReplyDeleteख़ुदा नेमत बख्शे
बहुत ही बहुत भावपूर्ण...
ReplyDeleteबेहतरीन सुंदर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteRECENT POST : - एक जबाब माँगा था.
सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteअभी अभी महिषासुर बध (भाग -१ )!
बहुत खुबसूरत
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeletesundar .. jajbato kiladi .. :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना.
ReplyDeleteउनकी इतन बेरुखी पे भी ये इंतज़ार ... सच अहि की प्रेम की कोई हद नहीं होती ...
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना ...
भावपूर्ण रचना..
ReplyDeleteवाह, खूबसूरत,लाजवाब रचना.
ReplyDelete
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 19/10/2013 को प्यार और वक्त...( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 028 )
- पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....
वाह बहुत खुबसूरत |
ReplyDeletesunder abhivyakti, pratiksharat neh se bhari.
ReplyDeleteshubhkamnayen
कुछ ख़त हमेशा ही बंद के बंद रह जाते हैं..और उनकी टीस सदा दिल को सालती रहती है..भावुक प्रस्तुति।।।
ReplyDeleteपढ़ लेता गर वो तुम्हारा खत..
ReplyDeleteलौट आता वो तुम्हारे पास...इतनी दूर नही होता..
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (21.10.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .
ReplyDeletebahut baten yunhi dafan ho jati hai...dil ho ya khat....bahut achhe.....
ReplyDeleteतुम्हारे ख़त को रखा है सम्हालकर
ReplyDeleteआँख की बूंद से सीच देती हूँ
जब आओगे तो देखना
खिले और सुगंधित मिलेंगे-------
बहुत सुंदर प्रेम की अनुभूति-----
प्रेम का खूबसूरत रेखांकन
ReplyDeleteखतों में सजा एक एक पल किसी के लिए ,,,,
ReplyDeleteबेहद खुबसूरत रचना !
भाव विभोर कविता है.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.
http://iwillrocknow.blogspot.in/
भाव विभोर कविता है.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.
http://iwillrocknow.blogspot.in/