Tuesday 15 October 2013

ये जो ख़त मैंने तुमको लिखे है..... !!!

ये जो ख़त मैंने तुमको लिखे है.....                
बंद है इन लिफाफों में...अभी तक,
तुमने खोले ही नही......
कितने रंग-बिरंगे पन्नो पर,
सजे मेरे शब्द.....
तुमने कभी पढ़े ही नही.....!

दिल की बैचेनियों को,
धडकनों की गुस्ताखियों को....
इन खतो में गढ़ा मैंने...... 
मेरे खतो को तुम समझते,
तुम तो इन शब्दों की गहराइयों में,
कभी उतरे ही नही.......!!

सुबह के निकलने से लेकर,
शामो के ढलने तक जिक्र है.... इन खतो में, 
गुजरते लम्हों के साथ,
दिल जो करता तुम्हारी वो फ़िक्र है...इन खतो में 
बंद है कब से कितने राज़,
इन खतो में....
तुमने कभी पढ़े ही नही.....!!!

इन खतो को थाम कर कब से, 
तुम्हारे इन्तजार में बैठी हूँ.....अभी तक 
तुम उन राहो से.......कभी गुजरे ही नही.......!!!!


24 comments:

  1. अज़ा हैं किसी अजीज को ख़ुदा बना देना
    ख़ुदा नेमत बख्शे

    ReplyDelete
  2. बहुत ही बहुत भावपूर्ण...

    ReplyDelete
  3. बहुत खुबसूरत

    ReplyDelete
  4. उनकी इतन बेरुखी पे भी ये इंतज़ार ... सच अहि की प्रेम की कोई हद नहीं होती ...
    भावपूर्ण रचना ...

    ReplyDelete
  5. भावपूर्ण रचना..

    ReplyDelete
  6. वाह, खूबसूरत,लाजवाब रचना.

    ReplyDelete

  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 19/10/2013 को प्यार और वक्त...( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 028 )
    - पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....

    ReplyDelete
  8. sunder abhivyakti, pratiksharat neh se bhari.

    shubhkamnayen

    ReplyDelete
  9. कुछ ख़त हमेशा ही बंद के बंद रह जाते हैं..और उनकी टीस सदा दिल को सालती रहती है..भावुक प्रस्तुति।।।

    ReplyDelete
  10. पढ़ लेता गर वो तुम्हारा खत..
    लौट आता वो तुम्हारे पास...इतनी दूर नही होता..

    ReplyDelete
  11. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (21.10.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .

    ReplyDelete
  12. bahut baten yunhi dafan ho jati hai...dil ho ya khat....bahut achhe.....

    ReplyDelete
  13. तुम्हारे ख़त को रखा है सम्हालकर
    आँख की बूंद से सीच देती हूँ
    जब आओगे तो देखना
    खिले और सुगंधित मिलेंगे-------

    बहुत सुंदर प्रेम की अनुभूति-----

    ReplyDelete
  14. प्रेम का खूबसूरत रेखांकन

    ReplyDelete
  15. खतों में सजा एक एक पल किसी के लिए ,,,,
    बेहद खुबसूरत रचना !

    ReplyDelete
  16. भाव विभोर कविता है.
    मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.
    http://iwillrocknow.blogspot.in/

    ReplyDelete
  17. भाव विभोर कविता है.
    मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.
    http://iwillrocknow.blogspot.in/

    ReplyDelete