Wednesday 28 September 2016

मेरा तुम्हारा हो गया....!!!

हम तुम जब मिले,
सब ख्वाब हमारे थे,
सब रंग हमारे थे...
सभी तस्वीर हमारी थी,
सभी ख्वाइशें हमारी थी,
राहे हमारी थी...
और मंजिले भी हमारी थी...
हम साथ थे,ये दुनिया हमारी थी....
पर अब जब तुम चले गये हो,
तो कहते हो....
मेरे भी कुछ ख्वाब है,
मेरी भी कुछ ख्वाइशें है,
मेरी भी अपनी मंजिले है..
ना जाने क्यों...
मेरी तस्वीरे,तुम्हारी तस्वीरो से...
मेल नही खाती,
क्यों राहे जो हमारी थी कभी,
अब तुम्हारी मंजिलो तक नही जाती...
मैं अपनी मुठ्ठी में सब कुछ,
हमारा ले कर बैठी थी,
तुम्हारे इन्तजार में..
ना जाने कब सब,
रेत की तरह फिसल गया...
अब हमारा...हमारा ना रहा...
मेरा तुम्हारा हो गया....!!!

2 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 29-09-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2480 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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  2. अपनी परिणति तक पहुँच गया !

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