इस बार नही कहूँगी.....कि
मैं तुम्हे याद करती हूँ,
इस बार नही कहूँगी......कि
मैं अपने हर पल, हर लम्हे में
तुम्हे महसूस करती हूँ,
इस बार खामोश रहूंगी
तुम्हारी ख़ामोशी की तरह........
नही कहूँगी.....कि
मेरा इक दिन भी ढलता नही
तुमसे बात किये बिना,
नही कहूँगी कि मुझे मंजिल नही मिलेगी,
तुम्हारे साथ के बिना,
इस बार खामोश रहूंगी.....
तुम्हारी ख़ामोशी की तरह......
नही कहूँगी......कि
तुम्हारे बिन बारिश कि बूंदों का
मुझे एहसास नही होता....
नही कहूँगी......कि
ख़ुशी चाहे कोई भी हो
लम्हा कोई खास नही होता.....
तुम्हारे साथ के बिना,
इस बार खामोश रहूंगी....
तुम्हारी ख़ामोशी की तरह......
नही कहूँगी.....कि
मेरी आखों में कोई ख्वाब नही
तुम्हारे ख्वाबो के सिवा,
नही कहूँगी....कि
मेरे जहन में कोई और ख्याल नही
तुम्हारे ख्यालो के सिवा,
नही कहूँगी....कि
मेरी जिन्दगी में कुछ भी नही
तुम्हारे सिवा.....
इस बार सिर्फ खामोश रहूंगी....
क्यों कि,मैं जान गयी हूँ.....
"ख़ामोशी" ही अब तुमसे मुझको अभिव्यक्त करेगी....
"ख़ामोशी" ही मेरे शब्दों के बोझ से तुमको मुक्त करेगी....
इस बार नही कहूँगी..........
मैं खामोश रहूंगी..............!!!
haan.... main khamosh hi rahungi
ReplyDeleteAwsummmmm..... Good job
बहुत सुन्दर...पर,जब हम किसी को चाहते हैं...लाख कोशिश करते हैं की अब कुछ नहीं कहेंगे..तब भी ....
ReplyDeleteओह सबकुछ तो कह दिया ...भावों का सुन्दर सम्प्रेषण
ReplyDeleteab tum samajh sako to is khamoshi ko samajhna ...
ReplyDeleteइस बार सिर्फ खामोश रहूंगी....
ReplyDeleteक्यों कि,मैं जान गयी हूँ.....
"ख़ामोशी" ही अब तुमसे मुझको अभिव्यक्त करेगी....very nice..
ये ख़ामोशी बहुत कुछ कहती है !
ReplyDeleteWah...yahan to khamoshiyan bhi zubani hai...
ReplyDeleteunka apna ek maza hai, asar hai...
Bahut khoob !!!
www.poeticprakash.com
एक खामोशी कई सवालों का जवाब होती है और यही खामोशी कई प्रश्न भी खड़े करती है।
ReplyDeleteऔर जब खुद को सुकून की तलाश हो तब कुछ पल खामोश रहना ही बेहतर है।
भावों का और भावुकता का एक बेहतरीन संगम है यह पोस्ट!
सादर
"ख़ामोशी" ही अब तुमसे मुझको अभिव्यक्त करेगी....
ReplyDelete"ख़ामोशी" ही मेरे शब्दों के बोझ से तुमको मुक्त करेगी....
इस बार नही कहूँगी..........
मैं खामोश रहूंगी..............!!!
ese kahte hai, khamosh rahkar bhi sab kuch kah jana....very nice
sundar prastuti
ReplyDeletevery nice.
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
बालदिवस की शुभकामनाएँ!
waooo OOO ... awesome ...
ReplyDelete"ख़ामोशी" ही अब तुमसे मुझको अभिव्यक्त करेगी....
"ख़ामोशी" ही मेरे शब्दों के बोझ से तुमको मुक्त करेगी....
क्या खूब कहा !!
वाह ....बहुत खूब ।
ReplyDeleteकल 16/11/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है।
धन्यवाद!
नही कहूँगी.....कि... aur sab kuchh kah bhi diya...
ReplyDeletebahut achhi kavita hai...
अच्छी अभिव्यक्ति,बधाई !
ReplyDeleteलाजवाब है
ReplyDeleteखामोशी के साथ सब कुछ कह दिया..सुन्दर अभिव्यक्ति,बधाई !
ReplyDeletevery beautiful,,
ReplyDeleteemotional and heart touching poem....
achhi rachn a..badhai
ReplyDeleteखामोशी तो और भी मारक होती है. बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteयाद की सुन्दर लहर
ReplyDeleteबोलती हुई खामोशी.....
ReplyDeleteसुन्दर सम्प्रेषण....
सादर बधाई....
कभी कभी ख़ामोशी भी सभी कुछ बोल देती है. सुंदर रचना.
ReplyDeleteख़ामोशी खुद अपनी सदा हो, ऐसा भी हो सकता है...
ReplyDeleteसन्नाटा ही गूँज रहा हो, ऐसा भी हो सकता है...
सब कुछ तो कह डाला...
Awesome piece Sushma....kuchh na keh kar bhi sab kuchh keh diya aapne...
ReplyDeleteरात को पंछी हो चुप तो फड़फड़ाती पाँख बोले
ReplyDeleteलब अगर खामोश हो तो रूप बोले,आँख बोले.
"ख़ामोशी" ही अब तुमसे मुझको अभिव्यक्त करेगी....
"ख़ामोशी" ही मेरे शब्दों के बोझ से तुमको मुक्त करेगी....
बहुत सुंदर भाव...
खामोशी,जबाब भी है और सवाल भी ....
ReplyDeleteयादो भरी सुंदर रचना,उम्दा पोस्ट ...
मेरे पोस्ट में स्वागत है ....
बहुत सुंदर!
ReplyDeleteअपनी खामोशी सामने वाले में अभिव्यक्त होकर मुखर हो जाती है. सुंदर कविता.
ReplyDeleteइन्कार से भरी हुई एक चीख़' और 'एक समझदार चुप' दोनों का मतलब एक है.दोनों अपनी जगह अपना अपना हक अदा करते हैं - सुदामा नारायण पाण्डेय 'धूमिल ' जी की इन पंक्तियों की याद दिला दी सहसा . बहुत सुन्दर
ReplyDeleteओह! इतना कुछ कह कर भी अब खामोशी.
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी आपकी प्रस्तुति.
आपका आभार.
सदा जी की हलचल का आभार.
gazab ka likhi hain .........wah.
ReplyDeleteaapka blog bahut khubsurat hai ..aur ye rachna bhi ....sundar prastuti ...
ReplyDeleteसब कुछ बोलती है यह ख़ामोशी भी ...सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDelete"ख़ामोशी" ही अब तुमसे मुझको अभिव्यक्त करेगी....
ReplyDelete"ख़ामोशी" ही मेरे शब्दों के बोझ से तुमको मुक्त करेगी....
एक खामोश दिल की हलचल ....बहुत कुछ कह गई ..
mano apne dil ki nikli ek abhivyakti aapne abhivyakt kar di...
ReplyDeletelekin me to ab khamosh bhi ho gayi hun fir bhi halaat vahi hain :(
sunder prastuti.
ख़ामोशी बहुत कुछ कह गयी आपकी रचना
ReplyDeletebahut sunder,
ReplyDeletenice .....!
ReplyDeleteबेहतरीन ...... मन के सटीक भाव ....
ReplyDeleteये खामोशी बहुत कुछ कहती है ... इसकी जुबान आवाज़ से ज्यादा तेज़ और गहरी होती है ...
ReplyDeleteख़ामोशी भी कुछ बोलती है.It also communicates.
ReplyDeleteओह! दो दो बार हलचल में आप.
ReplyDeleteएक बार सदा जी ने आपको दिल से पुकारा.
दूसरी बार संगीता जी ने प्यार से दुलारा.
आपकी 'ख़ामोशी'का भाव बहुत बन गया है न्यारा.
Bahut khub !
ReplyDeleteनही कहूँगी.....कि
ReplyDeleteमेरा इक दिन भी ढलता नही
तुमसे बात किये बिना,
नही कहूँगी कि मुझे मंजिल नही मिलेगी,
तुम्हारे साथ के बिना,लाज़बाव रचना।धन्यवाद आहुति जी।
beautifully thought and described. very nice.
ReplyDeleteमैं खामोश रहूँगी....
ReplyDeleteसुन्दर प्रेमभावों से सजी उम्दा रचना...
प्यार की बेहतरीन अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
खामोशी बोलती है ...सुंदर रचना ।
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आप का स्वागत है |
आपकी पोस्ट के लिए मै बशीर बद्र साहेब का एक शेर पढूंगा........
ReplyDeleteमै चुप था तो चलती नदी रुक गई.....
जुबाँ सब समझते है जज्बात की.....
बहुत ही उम्दा रचना...... बधाई......
मनोज
behad khoobsurat rachna.
ReplyDeleteदिल को छु लेने वाली रचना.
ReplyDeleteमगर क्या ख़ामोशी का जवाब ख़ामोशी भी उतना ही प्रभावशाली होता है !!!
"ख़ामोशी" ही अब तुमसे मुझको अभिव्यक्त करेगी....
ReplyDelete"ख़ामोशी" ही मेरे शब्दों के बोझ से तुमको मुक्त करेगी...
....बहुत खूब ! खामोशी की भी एक जुबां होती है...बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति...
Hello! I just would like to give a huge thumbs up for the great info you have here on this post. I will be coming back to your blog for more soon.
ReplyDeleteFrom everything is canvas